” हां, लेकिन जितनी जल्दी हो उसके हाथ पीले कर दूं तो मन को सुकून मिले आज कल का जमाना … “
आगे यह वाक्य शोभित ने पूरा किया …
” बहुत खराब है यही ना ” आप जैसा प्रगतिशील व्यक्ति यह कह रहा है ?
” तुम गलत समझ रहे हो,
इस मामले में मैं पुराने विचारों का ही हूं। पर कुसुम की इच्छा के विरुद्ध जा कर उसका विवाह कभी नहीं करूंगा।
” अगर वह आपकी इच्छा के विरुद्ध जा कर विवाह करना चाहे तो ? “
” वह कभी ऐसा नहीं करेगी, बहुत मासूम और सीधी – भोली बच्ची है “
नैना थोड़ा मुस्कुराई, राॅय बाबू ने उसे आश्चर्य से देखा।
” हर पिता अपनी बेटी को मासूम , सीधी-नन्हीं बच्ची ही समझता है “
” आपके पिता भी आपको ऐसा ही समझते हैं”
राॅय बाबू ने हंस कर कहा।
सिमट कर रह गई नैना के पास कोई जवाब नहीं है।
कुछ देर की शांति के बाद शोभित ,
” अच्छा मान लीजिए, कुसुम किसी दूसरी जाति में शादी करना चाहें ?”
” दूसरी जाति में ?
अर्थात तुम्हें कैसे यह ख्याल आया ?”
” बस ऐसे ही , मैंने कुछ उड़ती- उड़ती खबर सुनी है “
” क्या ? ओफ्फो … क्या तुम जानते हो उसे “
” करीब- करीब! वो आपके बोलपुर वाले घर के पड़ोस में रहने वाले घोषाल बाबू के बेटे का मित्र है। “
“वो … ‘जीशान’ ? वह तो दूसरी जाति ही नहीं दूसरे धर्म का …” कह कर राॅय बाबू चुप हो गये।
” राॅय बाबू , कलकत्ता इतना बड़ा शहर भी तो नहीं यहां बात फैलते देर नहीं लगती “
” वे दोनों पिछले दो महीने से एक दूसरे से मिल – जुल रहे हैं “
अचानक नैना ने शोभित को इशारे से चुप हो जाने को कहा, उसे लगा कहीं राॅय बाबू को दिल का दौरा ना पड़ जाए।
शोभित चुप हो भौंचक्का सा उन्हें देखने लगा।
” ओह … आई एम सौरी,
मेरा ख्याल था आप जानते होंगे, मैं सच में पागल हूं “
राॅय बाबू ने हाथ उठा कर उसे चुप रहने का इशारा किया फिर कुछ कष्ट से आराम कुर्सी पर पीछे पीठ टिका कर बैठ गए।
उनके माथे पर बल आ गये।
” सच में मुझे अफसोस है। हमें लगा आप जानते होंगे कुसुम बहुत सीधी सच्ची है। वह कम से कम आपसे तो झूठ नहीं बोलेगी “
” उसे झूठ बोलना कहीं तुमने ही तो नहीं सिखाया है शोभित?
यू नौटी ब्याए” उन्होंने धीमी आवाज़ में कहा।
नैना को इस बातचीत में मजे आने लगे हैं। वह उन्हें सुनने में मशगूल हो गई है ।
” या फिर कुसुम ने ही तुम्हें मुझसे झूठ-मूठ मजाक करने को कहा है ?”
अगला भाग
डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -84)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi