सुबह जया उठाने आई थी।
” इतनी बुझी- बुझी सी क्यों है कुछ हुआ है क्या ? “
उस आधी- अधूरी मुलाकात ने नैना को साल दो साल आगे कर दिया है।
” कुछ नहीं दी “
” नैना तू बहुत वीयर्ड सा बिहेव कर रही है “
नैना अंदर तक कांप गई कहीं हिमांशु सर की बातें दी तक पहुंच तो नहीं गयी उसके पांव जहां थे वहीं जम गए।
उम्र का एक फासला था उनके बीच।
नैना की धड़कनें बहुत तेजी से चल रही थीं।
” नैना तुझसे कुछ पूछ रही हूं ? ” नैना को झकझोरती हुई जया बोली।
नैना की रुलाई छूट गई वह बिस्तर पर बैठ गई।फिर एक- एक करके हिमांशु की तरफ अपना अपना आकर्षण ,अपना पागलपन , अपनी जिद , अंधी ख्वाहिश, हिमांशु को पा लेने की अपनी जुनून और फिर हदों को पार करके कुछ ऐसा कर गुजरने की कोशिश और उस कोशिश में अपनी नाकामियों से उपजी निराशा से मन पर फैलता विषाद का घेरा सब हिचकियों के साथ आंसू बन कर आंखों के जरिए बह निकले।
वह ठंडी आह भरती हुई जया ,
” एक अच्छे- खासे इंसान को तुमने सिर्फ अपनी जिद के लिए इस्तेमाल किया।
यह तो भला हो उस इंसान का कि खुद जल कर उसने तुम्हें जलने से बचा लिया “
नैना को जया दी की यही बातें छूकर जाती है। उनसे चाहे कितनी ही रुखाई से पेश आओ वे कभी भी नाराज़ नहीं होती हैं।
दरअसल …
” दोष नैना का नहीं उसकी उम्र का था।
उस पर उम्र जनित हार्मोन्स के प्रहार बहुत तेजी से हो रहे हैं “
वह जया के कंधे पर सिर रख कर फूट- फूट कर रो उठी। जया ने भी उसे पूरे मन से रो लेने दिया।
जया दी के सामने कन्फेशन कर लेनें के बाद मैं स्कूल में कदम भी नहीं रखना चाहती थी।
पता नहीं अपनी इच्छाओं के वशीभूत हो कर मैंने जो हरकत कर डाली थी उसके बाद मैं हिमांशु सर से आंखें कैसे मिला पाऊंगी ? “
करीब हफ्ते भर ऐसा ही चलता रहा था … जरुरत से ज्यादा सोना और समय से पहले जागना “
लेकिन फिर एक हफ्ते बाद
” जो लम्हे छूट गये शायद फिर से कभी पूरी हो जाए “
मैं स्कूल पहुंच गयी।
जहां मेरी नजरें एक बार फिर हिमांशु सर को ढूंढने में लग गई।
इस बार उनसे मिलकर क्षमा मांगने के लिए। लेकिन वे कहीं भी दिखे नहीं।
तब जा कर प्रिंसिपल रूम के सामने लगे हुए पीरियड बोर्ड को खंगाला वहां भी उनका नाम नहीं था।
मुझे लगा किस्मत अपना खेल, खेल गयी।
क्लास की लड़कियों से पूछने पर पता चला हिमांशु सर ने अपना तबादला ले लिया है। तब हंसती हुई निभा ने ,
” ओए – होए … क्या यह महज क्वासिडेंस है ?
तू और हिमांशु सर एक साथ गायब हो गये थे, आखिर चल क्या रहा है तुम दोनों के बीच “
” चुप कर निभा ! ये क्या अंट- शंट बोलती रहती है “
योंकि कोई नहीं जानता था उन्होंने ऐसा क्यों किया है पर मुझे यह अंदाजा अच्छी तरह से था।
कि उनके इस अचानक लिए फैसले की वजह मैं ही थी “
” फिर कभी दोबारा हिमांशु से मुलाकात हुई नहीं मुझे लगा कम से कम एक बार मुझसे मिल कर तो जाते “
अगला भाग
डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -17)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi