– हिमांशु ,
” नैना, क्या कर रही हो ? और मेरी यह टी- शर्ट तुम्हारे हाथ में ?
इस कमरे में क्या कर रही हो तुम ? “
हिमांशु बाथरूम से निकल टाॅवेल लपेटे नैना के एकदम सामने हैरान – परेशान खड़ा था।
” हिमांशु, मेरा मतलब है सर , मैं यहां, वो …”
कितना कुछ कहना था, पर एक भी शब्द नहीं निकला नैना की जुवान से जो उसकी उस कमरे में में उपस्थिति को सही ठहरा पाता।
नैना झेंपते हुई जल्दी से मुड़ी, और कमरे से बाहर हो ली,
उसके पीछे -पीछे हिमांशु भी बाहर आया,
” एक मिनट रुको यहां ,ये पकड़ो कार्ड , ये तुम्हारा ही है ना ?
नैना पलट कर देखी, और धक से रह गई … हिमांशु के हाथ में वही लिफ़ाफ़ा था जिसमें नैना ने अपना दिल उड़ेल कर रख दिया है।
अब इसके बाद नैना के पास कहां कुछ बचा था कहने को।
नैना ने हिमांशु के हाथ से लिफ़ाफा नहीं लिया, उसकी स्थिति काटो तो खून नहीं है वाली हो गई है ,
” पकड़ो इसे , यही देने के लिए बुलाया था ,
नैना पढ़ाई पर ध्यान दो।
मुझे बहुत उम्मीदें हैं तुमसे , इस तरह करोगी तो कैसे चलेगा ? यह साल बहुत कीमती है तुम्हारे लिए इस सबके लिए पूरी उम्र पड़ी है “
नैना अवाक!
पता नहीं चल पा रहा है सर ने कार्ड पढ़ा भी है नहीं ?
वो सीधे बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई कैम्पस से बाहर निकल कर ही सांस ली थी।
वह जल्दी से जल्दी घर पहुंच कर सोना चाहती थी। एक लंबी नींद जो सब कुछ भुला दे।
उम्र की पटरी पर दौड़ती बेपरवाह सी दिल की गाड़ी नैना को किधर लिए जा रही थी उसे पता नहीं था।
जैसे वह ट्रेन में सवार तो हो गई है पर उसे मालूम नहीं है।
कि उसकी स्टेशन कौन सी है और उसे जाना किधर है जहां से बिना भटके हुए वह वापस घर आ जाएं।
फिर उस दिन वो घर वापस आ कर पूरे दिन सोती रही । जया बार- बार कमरे में आ कर उसे देख जाती पर नैना बेखबर थी।
जिस- तिस करके दिन बीता था। जया बेचैन हो कर घूमती रही ।
शाम ढ़ले सात बजे वह पलंग पर बैठ गई ,
” क्या है ये नैना ? शाम के सात बज गये हैं तूने अभी तक ड्रेस तक नहीं चेंज की “
” क्या शाम के सात बज गये ? झटके से उठी नैना , तो अपनी गर्दन पकड़ कर चीख उठी,
” उफ़ ! मैं गर्दन नहीं मोड़ पा रही हूं लगता है मोच आ गई ? “
” जिस तरह से सोई है बेखबर हो कर मोच तो आएगी ही “
चल कपड़े बदल कर बाहर आ जा चाय बना रही हूं। कुछ बातें करनी हैं तुमसे “
नैना गर्दन नहीं मोड़ पा रही थी फिर भी उठ कर हाथ- मुंह धोकर बाहर निकल आई।
परिवार में तब जया की शादी के चर्चाएं ज़ोर – शोर से चल रही है। पर जया की इच्छा – अनिच्छा की जानने की कोशिश भी किसी ने नहीं की है।
यह भी विचारणीय प्रश्न है ?
जया जब छोटी थी उसका जीवन सुकून भरा था वह मनमौजी थी।
आगे …
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -13)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi