डर  – रचना कंडवाल

Post View 7,282 मां मैं चलती हूं मुझे देर हो रही है। “अरे बेटा ठीक से नाश्ता कर ले हमेशा हड़बड़ी में रहती है”। तेरी पसंद के आलू के परांठे बनाएं हैं। मां शाम को घर लौटूंगी तो एक गर्म बना देना। मां बड़े प्यार से बेटी को निहारती रही। सामने पापा अखबार पढ़ रहें … Continue reading  डर  – रचना कंडवाल