Post View 196 “हेलो, रविश जी, आ जाइये, प्रभा जी स्वर्ग सिधार गयी” सबेरे ही मेन्टल हॉस्पिटल से फ़ोन था। घबराकर कार निकाली और चल पड़ा, 2 घंटे का रास्ता था, और वो राह उसे अतीत की तरफ ले गयी। बचपन से माँ को या तो किचन समेटते देखा, या, मशीन में कपड़े सिलते या … Continue reading डायरी – भगवती सक्सेना गौड़
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