चिट्ठी तेरे नाम की – सरिता गर्ग ‘सरि’

Post Views: 6 आज की शाम कितनी बोझिल है। गहरे सन्नाटे को चीरते, तमन्नाओं के बादल बरसने को तैयार हैं। यादों की छतरी ओढ़े ,इन बादलों से बचता और दर्द का पुल पार करता मैं दूर निकल जाता हूँ। दुख है तो बस यही कि मैं तुम्हें खुश न रख पाया और हार गया।  कभी-कभी … Continue reading चिट्ठी तेरे नाम की – सरिता गर्ग ‘सरि’