” चारों धाम घरवाली है ? ” – राजीव कुमार श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

Post View 2,307 हां  तो बात जरा पुरानी  है। पापा के ऑफिस  में  उनके एक  साथी  थे मिश्रा जी। हम बच्चों के साथ उनकी खूब पटती थी। उनके बच्चे भी हमारी ही उम्र के थे।उनकी पत्नी की हमारी मम्मी से अच्छी बनती थी। इस तरह पूरी मिश्रा फैमिली ही हमारी पारिवारिक मित्र थी। आंटी और … Continue reading ” चारों धाम घरवाली है ? ” – राजीव कुमार श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi