“आँखों पर ज्यादा चर्बी चढ़ गयी है?” जो तुम खुद को होशियार समझ रही हो? और मेरे घरवालों को बेवकूफ़? मैंने तुम्हें पहले ही कह दिया था, मेरे घर में मेरी माँ की चलती है, वो जैसा कहेंगी, तुम्हें करना है। तुमने हाँ कहा था, तभी मैंने शादी किया था, नहीं तो…….” अपनी बात कहते, कहते अमित रुक गया। सीमा अचंभित होकर अमित की बातें सुन रही थी,
उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। क्या कह रहा है अमित उसे? और क्यों?उसने कौन सी गलती कर दिया? जो इतनी ओछी बातें, और गुस्से में बात कर रहा है मुझसे? सीमा और अमित का प्रेम विवाह था। अमित की समझदारी, और स्मार्टनेस से जहां सीमा आकर्षित हुई थी, वहीं सीमा की सरलता और सौम्यता से अमित सीमा की तरफ खींचता चला आया था।
दोनों ने अपने-अपने परिवार की सहमति से शादी किया। आज शादी के दो साल होने को है, सीमा, घर ऑफिस और परिवार की जिम्मेदारी बख़ूबी, निभा रही है। हाँ परिवार थोड़ा बड़ा है, संयुक्त परिवार, आजादी कुछ कम थी,….फिर भी सबके साथ रहने से परेशानी भी कम थी।
दो जेठ-जेठानी, सास-ससुर, ननद, देवर जेठानी के बच्चे आदि। ननद ऋतु, थोड़ी, सांवली थी, पर पढ़ाई में काफ़ी होशियार। स्नातक के बाद उसका मन था, bed करे और परीक्षा देकर सरकारी शिक्षक बने। पर सीमा के सास-ससुर किसी तरह उसकी शादी कर भार हल्का करना चाहते थे। सांवली रंग होने के कारण, कई लड़केवाले,…..
ऋतु को शादी के लिए मना कर चुके थे। इसलिए, ऋतु के माता-पिता को लगता,….कोई भी परिवार जो पसंद कर ले ऋतु को, ज्यादा पैसा भी देना पड़े तो शादी कर, हम ऋतु की चिंता से मुक्त हो जायेंगे। अनुज के परिवार वाले को ऋतु पसंद हो गयी। अनुज प्राइवेट काम करता है,…जमीन-जायदाद ठीक-ठाक है। माँ-बाप का इकलौता बेटा है,
ऋतु के परिवार वाले को सबकुछ ठीक लगा। मंगनी की तिथि भी तय हो गई। पर जिस दिन अनुज के परिवार वाले और ऋतु के परिवार वाले मिल रहे थे, उसी दिन से सीमा को अनुज पसंद न आया था। सीमा ने सोचा,…मेरे मन का भ्रम है। पर बीते कल ऋतु को अकेले में रोते देख….उसका शक यकीं में बदल गया। दअरसल अनुज बिगड़ैल लड़का था।
नशा खूब करता था, और ऋतु से जैसे बात करता, जैसे उस पर अहसान कर रहे हो। ऋतु को अनुज के व्यवहार से चोट पहुंची थी। पर ऋतु किसी से कह भी नहीं पा रही थी, बड़ी मुश्किल से तो उसकी शादी तय हुई है, क्या कहे? किससे कहे? कौन समझेगा उसे? और बाद में सबकुछ ठीक हो जायेगा, न भी होगा तो..
.बस यही सब सोच ऋतु रो रही थी। जिसपर सीमा की नजर पड़ गयी। सीमा ने प्यार से,….गले लगाकर ऋतु से रोने का कारण पूछा तो, ऋतु भाभी के स्नेह से पिघल गयी, और कहने लगी, भाभी,….वो अनुज, अनुज अजीब तरीके से बात करता है। और रोज नशा करता है। कहता मेरे माँ-बाप को कोई दिक्कत नहीं है,
तो तुम्हें भी नहीं होनी चाहिए। भाभी आगे की ज़िंदगी सोचकर डर लगता है। भाभी मैं खुद की नौकरी करना चाहती थी ताकि…..कहते-कहते ऋतु और रोने लगी। तभी सीमा ने अनुज से बात करने की सोची, सीमा ने अनुज को फोन लगाया और प्यार से कहा,….आप ऋतु के साथ ऐसा क्यों कर रहे…..?
अभी सीमा की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि,….अनुज ने कहा, अपनी ननद को आईने में एक बार और देख लीजिए। मैं कहाँ लाखों में एक, और वो…..उसे तो मेरी हिमाकत करनी ही होगी। सीमा को अनुज की इस बात से बहुत गुस्सा आया। उसने कहा, “इंसान को चेहरे से नहीं, चरित्र से परखा जाता है। और आपका चरित्र बता रहा है
कि आप गिरे हुए इंसान हैं।” और सीमा ने फोन काट दिया। बात अनुज की माँ से होते हुए, सीमा की सास तक पहुंच गयी। सीमा से उसकी सास ने पूछा, “तुम्हें किसने हक दिया था, अनुज से सवाल करने का? ऋतु और अनुज आपस में सब हल करते। जब रिश्ता तय हो गया, तो बीच में तुम घर के होनेवाले दामाद को भला-बुरा कहनेवाली कौन होती हो?
अनुज से माफ़ी मांगो। और भविष्य में इन सब मामलों में कोई दखलंदाजी नहीं करोगी।” सीमा ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा, “माँ जी मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है जो उनसे माफ़ी माँगूँ। और हाँ, अब उस लड़के से ऋतु की शादी नहीं होगी। ऋतु आगे पढ़ेगी, नौकरी करेगी, बाद में इसकी शादी की बात करेंगे।
” सीमा की बातें सुन, सीमा की सास ने……अपनी बेटी का घर तोड़ने का आरोप लगाया और सीमा को भला-बुरा कहा। मेरी बेटी या मेरे घर के मामलों से दूर रहो, आदि आदि। जब अमित को माँ ने सारी बातें बताई तो,….अपनी बहन की शादी टूटने के गुस्से से वो भी सीमा पर ऊबल पड़ा। पर सीमा ने संयम के साथ कहा,
“अमित, क्यों तुमलोग ऋतु की भावनाओं को समझना नहीं चाहते हो? उसके रंग के कारण, दुनिया तो छोड़ो खुद तुमलोग उसे पसंद नहीं करते हो। वो पढ़ना चाहती है आगे, उसे मौका दो, फिर शादी तो हो ही जायेगी। कम से कम वो अनुज जैसे नशाबाज लड़के के अधीन तो नहीं रहेगी।” सीमा ने इतने प्यार से,
इतनी गहरी बातें कही कि अमित अपनी ही बातों से शर्मिंदा हो गया। पास ऋतु भी खड़ी थी,….अमित ने उसकी तरफ देखा, तो वो भाभी की बातों से सहमत दिख रही थी। आज अमित ने अपनी बहन को देखा, तो सच में बहुत प्यारी और आत्मविश्वासी लग रही थी। आज से पहले उसे ऋतु इतनी प्यारी कभी नहीं लगी थी।
अमित ने ऋतु को गले से लगा लिया और बोला,….पगली रोते नहीं, बताती अपने मन की बात, हम तुम्हारे गैर हैं क्या? ऋतु ने कहा, “भैया मुझसे कभी किसी ने कुछ पूछा ही कहां, बचपन से सुनती आ रही हूँ, इसे कोई पसंद कर लेगा, तो हमलोग गंगा नहा लेंगे। बस मैं भी डरी रहती थी।” अमित ने ऋतु को कहा,
ठीक है अनुज पसंद नहीं है, नहीं होगी उसके साथ तुम्हारी शादी, और जा आगे पढ़ाई की तैयारी कर। ऋतु के कमरे से चले जाने के बाद अमित, सीमा के सामने कान पकड़ते हुए, बोला माफ़ कर दो, आज तुमने मेरी बहन की सुंदरता से अवगत कराया। साथ ही, मेरे परिवार के हित में अच्छा फैसला लेने के लिए धन्यवाद। सीमा झूठ-मूठ रूठते हुए बोली,….
अब बताओ, आंख पर ज्यादा चर्बी किसकी चढ़ी है? मेरी या….? बात पूरी होने से पहले ही अमित ने कहा, मेरी,…मुझे ही अहंकार हो गया था। मेरे घरवाले कभी गलत नहीं सोच सकते। पर…..
ऋतु की भावनाओं को सिर्फ तुमने समझा। सीमा खुश थी कि अब उसकी नंद को रंगों से नहीं, देखा जायेगा। अमित ने माँ को मना लिया, कि ऋतु अपनी पढ़ाई आगे कर बाद में शादी करेगी। और अनुज जैसे लड़कों से तो अपनी बहन की शादी वो बिल्कुल नहीं करेगा।
#आंखों पर चर्बी चढ़ना
चाँदनी झा