चाॅंद सी मेरी जिंदगी, – अनीता चेची
Post View 508 “ऐ चाॅंद मुझे पता है ,तू जीवन से जुड़ा है जैसे आते हैं जीवन में उतार-चढ़ाव वैसे ही तू घटता बढ़ता है कभी पूर्णिमा में खिलता है कभी अमावस में खो जाता है कभी धरा संग प्रीत लगाता कभी भानु से चमकता है।” पूर्णमासी के खिले हुए चाॅंद को देखते हुए नीलिमा … Continue reading चाॅंद सी मेरी जिंदगी, – अनीता चेची
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