Post View 2,343 ‘संदीप’, हाँ !, यही तो नाम था उनका, अजीब -आदमी थे। हमेशा पढ़ाई की धुन चढ़ी रहती थी। अपने बच्चे को कभी खेलने भी नहीं देते थे। यदि कभी कोई कुछ कहता भी तो कहते…..”प्राइवेट- कम्पनियों में हमेशा कर्मचारियों का शोषण ही होता आया है। जितनी तन्ख्वाह देते हैं, उससे कहीं ज्यादा … Continue reading चाहत – शकुंतला अग्रवाल ‘शकुन’
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