बस नंबर पच्चीस ग्यारह – अंकित शर्मा
Post View 2,741 वह एक अंधेरी रात थी । काले बादलों ने आसमान के ऊपर अपना घर बनाया हुआ था कि मानो बस अभी बरसने ही वाले हों । दूर – दूर तक कोई आवाज़ नहीं , सिवाय झींगुरों के । वह एक घना सुनसान जंगल था , जिसके बीचों-बीच से निकली एक कच्ची सड़क … Continue reading बस नंबर पच्चीस ग्यारह – अंकित शर्मा
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