Post View 331 ” ये वक्त भी ना,मुझसे ही इसे सारी दुश्मनी निकालनी थी।कितने आराम से मैं टाँग पसारकर बैठा रहता था,अब दिन-भर खटना पड़ता है..।” बड़बड़ाते हुए मनीष ने अपने जूते खोले, रैक पर रखे और खाना खाकर सोने चला गया।पीछे से पत्नी ने कहा,” सुनो तो..” ” अभी नहीं, आज बहुत थक गया … Continue reading ‘ बुरा वक्त ‘ – विभा गुप्ता
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