बुनियाद – ऋतु अग्रवाल 

Post Views: 3 आज गंगा बहुत बेचैन थी। ना जाने, मन में कैसे-कैसे भाव आ रहे थे। इन्हीं भावों की परिलक्षितता उसके उठान में दिख रही थी। बड़ी ही तीव्रता से लहरें उठती और उसी वेग में गिरकर वापस लौट जाती। गंगा से जब रहा नहीं गया तो वह सरस्वती को पुकारने लगी,” सरस्वती! छोटी! … Continue reading बुनियाद – ऋतु अग्रवाल