बुजुर्ग है माता पिता – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

क्या भाभी जी विनोद भाई साहब की इतनी तबियत खराब है आप अकेले परेशान हो रही है आशीष नहीं आया, नहीं आया शालिनी भाभी ने आंखों में आंसू भरकर  कहा  बेटा तो तभी तक सगा था जबतक उसे पैसा चाहिए था अब उसका काम पूरा हो गया तो अब हमलोगों से मतलब नहीं रखता शालिनी भाभी ने माधवी भाभी से कहा ।

           असल में शालिनी और माधवी दोनों आमने-सामने रहती थी । शालिनी भाभी के दो बेटियां और एक बेटा है । शालिनी जी के पति रेलवे में  ड्राइवर है ।अब रिटायर हो गए हैं । शालिनी जी भी घर पर बच्चों का ट्यूशन करती है । एकं एक पैसा जोड़ जोड़ कर घर परिवार बनाया है । दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है

बड़ी बेटी स्कूल में टीचर हैं और छोटी बेटी बैंगलोर में नौकरी करतीं हैं । बेटे को भी बड़ी कोशिश की कि वो भी अच्छा पढ़-लिख जाए लेकिन उसका पढ़ने लिखने में मन कम ही लगता था । इसी तरह इंटर में फेल हो गया । फिर शालिनी और विनोद जी के बहुत कोशिश करने पर ट्यूशन वगैरह लगा कर इंटर की परीक्षा पास की ।अब उसका आगे पढ़ने का मन ही नहीं करता था । किसी तरह डिप्लोमा कोर्स करके ऐसे ही छोटी मोटी नौकरी करने लगा ।

लेकिन दिमाग इसी में लगा रहता कि कब और कहां से पैसे मिल जाए।इस तरह फितूर दिमाग से आशीष ने एक प्लान बनाया कि जर्मनी जाकर पढ़ना है वहां जाने के लिए और पढ़ने के लिए बीस लाख रूपए लगेगे ।इस तरह का फितूर उसके दिमाग में चलता रहता था। फिर क्या था मम्मी पापा को खूब मस्का लगाने लगा कि वहां से पढ़ लेंगे तो अच्छी नौकरी मिल जाएगी।

पुत्र मोह में विनोद जी और शालिनी जी ने कुछ पैसे अपने पास से और कुछ इधर उधर से लेकर और थोड़ा लोन लेकर आशीष को जर्मनी भेज दिया ।अब वो चला तो गया वहां लेकिन वहां की इंग्लिश उसे समझ ही नहीं आ रही थी ।असल बात तो ये कि पढ़ाई-लिखाई में उसका वैसे भी  मन नहीं लगता था

यहां ही नहीं पढ़ पाया तो बाहर जाकर क्या पढ़ता।दो महीने में वहां से खूब सारी शापिंग करके वापस आ गया ।और घर में बोल दिया कि कुछ दिन की छुट्टी पर आया है फिर चला जाएगा । शालिनी से जब कोई पूछता है तो वो भी यही बताती कि कुछ दिन के लिए आया है वापस चला जाएगा। लेकिन बात कुछ और थी।

               आशीष किसी लड़की के चक्कर में पड़ गया था और बाद में पता चला कि उसने मां बाप से छुपकर कोर्ट मैरिज कर ली है ।और उसके साथ रहने के लिए अशीष को पैसे की जरूरत है जो वो कमा नहीं पा रहा था । मम्मी पापा  से सीधे से मांगता तो मिलता नहीं और शादी की बात भी नहीं बता पा रहा था इसलिए ये सब प्लान बनाया था ।

              बाद में कहीं से पता चला कि आशीष ने शादी कर ली है तो शालिनी भाभी और विनोद जी को बहुत बुरा लगा वो बहुत दुखी हुए। फिर एक दिन उस लड़की के पिता जी पुलिस लेकर घर आ गए कि आपके बेटे ने मेरी लड़की को भगाया है । शालिनी जी ने बहुत कोशिश की उन्हें समझाने की कि इसमें हमारी कोई हाथ नहीं है लेकिन वो नहीं माने ।

लड़की के पिता जी के कोई रिश्तेदार पुलिस में थे तो उनकी मदद से शालिनी जी और विनोद जी को थाने में ले आए और दिनभर वहां बैठाए रखा ।शाम को मजबूरी में विनोद जी ने अशीष को फोन किया कि इस तरह से हमलोगों को थाने में बिठा रखा है किया तुमने है और भुगते हमलोग रहे हैं । फिर लड़की ने अपने पापा को फोन किया

कि इसमें अशीष के मम्मी पापा की कोई ग़लती नही है मैंने अपनी मर्जी से शादी की है । फिर उसके बाद थाने में कुछ पैसा ले देकर वो बेचारे घर आ पाए ।इस घटना से शालिनी और विनोद जी इतने आहत हुए कि उन्होंने आशीष से कह दिया अब हमारा तुमसे कोई रिश्ता नहीं है तुमने तो हमलोगों को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा ।

             इस तरह दो साल बीत गए न आशीष घर आया और न ही कोई फोन किया ।इस बीच विनोद जी बीमार भी रहे लेकिन सब शालिनी भाभी अकेले देखती रही । फिर पता लगा कि आशीष के बेटा हुआ शालिनी को खुशी तो हुई पर मन ही मन में यह गई। ऐसे ही ढाई पौने तीन साल का समय बीत गया। फिर जब दीवाली आई तो आशीष घर आया सबको लेकर ।

           दरवाजे की घंटी बजती शालिनी जी ने दरवाजा खोला तो सामने अशीष बहू और बच्चे को लेकर खडा था । उसने शालिनी की गोद में नन्हे को डाल दिया अब शालिनी कुछ कह न पाई  वह भी नन्हे को गोद में पकड़ कर अपना सारा गुस्सा भूल गई । क्या करें मां बाप ज्यादा देर बच्चों से नाराज़ नहीं रह सकते ।

बहू बेटे ने झुककर मां के पैर छुए शालिनी की आंखें भर आईं ।सब दुख अपमान भूल गई शालिनी जी । इतने दिनों तक बेटे के ग़म में छुप-छुप कर आंसू बहाए शालिनी जी ने पोते के स्पर्श से आज अपमान के आंसू सूख गए । बेटे को माफ करना ही पड़ा और बहू को भी अपनाना पड़ा ।

               पास में बैठी आशीष की दादी ने आशीष को अपने पास बैठाया और बोली देखो बेटा मां बाप के आंख में आंसू देकर तुम कभी सुखी नहीं रह सकते ।जिस घर की छत टपकती है न वहां सुकून से नू रहा था सकता । बुजुर्ग हो रहे हैं तुम्हारे माता-पिता तुम्हें उनका ध्यान रखने की जरूरत है अब तुम नहीं करोगे उनका तो कौन करेगा ।

अब जो कुछ भी उनके पास है घर मकान रूपया पैसा सब तुम्हारा ही तो है । इसलिए बेटा अब ऐसी ग़लती फिर न करना और अपने माता-पिता का ध्यान रखो । बुढ़ापे का सहारा बनो ।इस तरह धोखे से मां बाप का पैसा घसीटना अच्छी बात नहीं है । नहीं दादी अब  से ऐसा कुछ नहीं होगा ध्यान रखूंगा मम्मी पापा का ।

           सरस्वती देवी दादी ने अपने बहू बेटे को समझाया अब माफ़ कर दो आशीष और बहू को बड़ों का बड़प्पन इसी में है कि वो छोटो को माफ कर दे ।जो हुआ सो हुआ अब पोते को गले लगाओ और हंसी खुशी बचा हुआ जीवन बिताओ ।इस जीवन का कोई भरोसा नहीं है । हां ठीक है मांजी ऐसा कहकर पोते अंश को गले से लगा लिया शालिनी जी ने ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

20 नवंबर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!