भरोसा – मनप्रीत मखीजा

Post View 2,980   दीदी , ये रुपए आप अपने पास ही रख लो।” मधु की गृह सहायिका ने मधु द्वारा दी जा रही पगार के साथ कुछ मुड़े तुड़े नोट मिलाकर  पुनः मधु की तरफ बढ़ाते हुए कहा।  “क्यों बबली! तुझे रुपए की जरूरत ना है क्या इस बार!”  “दीदी, रुपयों की जरूरत तो … Continue reading भरोसा – मनप्रीत मखीजा