भ्रम – विनय कुमार मिश्रा

Post View 5,447 “तुम अब हर पैकेट पर चार रुपये बढ़ा कर लिया करो दुकानदारों से” पत्नी और मैं दोनों मिलकर पापड़ बनाते और बहुत छोटे स्तर पर बेचते हैं। धंधा ज्यादा पुराना नहीं है। पर कुछ एक मोहल्ले में बिक्री बढ़ गई है। हम चालीस रुपये का पैकेट दुकानदार को देते हैं वे पचास … Continue reading भ्रम – विनय कुमार मिश्रा