वो भाभी है मेरी आकाश, जीवन के इस मोड़ पर मैं उन्हें अकेला कैसे छोड़ दूं? पता नहीं किन कर्मों का फल मिल रहा है इन्हें , मैंने अपने जीवन में इतनी सहृदय औरत को आज तक नहीं देखा। भगवान भी अच्छे लोगों की इतनी परीक्षा जाने क्यों लेता है? लेकिन नेहा सोचो तो वो तुम्हारी माँ नहीं है मां-बाप की जिम्मेदारी तो औलाद का फर्ज होता है लेकिन कोई नंद भाभी को अपने घर आज तक ले जाती है क्या इस तरह? क्या उनका खुद का बेटा नहीं है? अनुज का अपनी मां के प्रति कोई कर्तव्य नहीं है क्या,
पिछले दो महीने में कितने फोन कर चुकी हो तुम, हर बार कोई ना कोई बहाना बना देता है अपनी बीमार मा को देखने की भी फुर्सत नहीं है उसके पास। ऐसी औलाद से तो भगवान किसी को औलाद नहीं दे तो अच्छा है।मैं बेकार के पचड़े में ना खुद पडूंगा ना तुम्हें पडने दूंगा समझ गई ना?
अब अपने बच्चों पर ध्यान दो बहुत हो गई भाभी की सेवा। यह क्या कह रहे हो तुम, मैं भाभी को इस तरह बिल्कुल नहीं छोडूंगी। मुझ बिन मां बाप की लड़की का जाने क्या होता अगर भाभी ने संभाला ना होता, कम से कम तुम तो ऐसा मत कहो आकाश तुम तो सब जानते हो,,
और फिर मैं बच्चों की और तुम्हारी जिम्मेदारी से कहां पीछे हट रही हूं? रहने को तो मैं उनके पास भी रह सकती थी लेकिन आप लोगों को कोई परेशानी ना हो इसीलिए भाभी को अपने साथ रखने को कह रही हूं।। उन्होंने जीवन भर किसी से अपने लिए कुछ नहीं कराया है, इतना तो मैं भी कमाती हूं कि उनका इलाज करवा सकूं।
तुम्हें तो समझाना ही बेकार है बस बहस करवा लो जितनी करानी है। इतना कहकर आकाश करवट लेकर सो गया था।आकाश से कहना तो बहुत कुछ चाहती थी नेहा लेकिन चुप ही रही, आंखों में आंसू आ गए बीती सारी बातें चलचित्र की तरह उसकी आंखों के सामने चल पड़ी। बिन मां बाप की लड़की थी
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उसकी भाभी ममता जिसकी शादी उसके चाचा चाची ने उसके भाई से करके अपनी जिम्मेदारी से छुटकारा पा लिया फिर कभी मायके के नाम पर एक दिन भी नहीं बुलाया उन्होंने ममता भाभी को, उसका भाई राकेश जिससे शादी करने को कोई तैयार नहीं था शराब की लत जो थी, मां को लगता था शादी के बाद शायद उसकी यह लत छूट जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ
अपने भाई की शादी के समय नेहा दसवीं क्लास में पढ़ती थी। नेहा छोटी थी पापा का देहांत तभी हो चुका था, मां ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी इसलिए पापा की नौकरी भी उन्हें नहीं मिल पाई हां पेंशन आती थी जिससे उन्होंने दोनों बच्चों को पढ़ा लिखा दिया था। राकेश एक शराब की फैक्ट्री में नौकरी करता था।
वहीं से शराब की लत लग गई थी। शादी के बाद कुछ दिन तो ठीक रहा लेकिन राकेश ने फिर शराब पीनी शुरु कर दी थी ममता के और मां के समझाने का भी कोई असर ना हुआ। भाभी पर हाथ भी उठाने लगा था राकेश।1 साल में उनका बेटा अनुज पैदा हो गया था।
कभी ममता ने अपनी किस्मत को नहीं कोसा, मां अक्सर भाभी से माफी मांगती थी कि मैं तुझे इस घर में लाकर कुछ नहीं दे पाई मगर भाभी यही कहती थी
इसमें आपका क्या दोस् मां? सब कुछ भाग्य से ही तो मिलता है अपना अपना नसीब है मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। इसी सदमें मे एक दिन माँ भी चल बसी। हां लेकिन मरने से पहले उन्होंने मकान भाभी के नाम कर दिया था। और अपने सारे जेवर और जितनी एफडी कराई हुई थी तब भाभी को दे दी थी।नेहा भाभी के साथ काम करवाना चाहती तो भाभी म
मना कर देती थी कि तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें अपने पैरों पर खड़ी जरूर हो जाना लाडो , मैं नहीं चाहती जिंदगी में जो मेरे साथ हुआ वह तेरे साथ भी हो।मां के न रहने पर वो कब नेहा से उनकी लाडो बन गई पता ही ना चला?, 12वीं की। परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी उसने, भैया ने बिना बताए ही शादी पक्की कर दी थी,
उस दिन पहली बार भैया से उसके लिए विद्रोह किया था भाभी ने, पहली बार ऐसा रोद्र रूप देखा था उनका, पता नहीं उनके झगड़े का असर था या भैया को अपनी गलती समझ में आ गई थी उन्होंने फिर कभी उसकी शादी का जिक्र नहीं किया। भैया अपनी आधी कमाई तो पीने में ही उड़ा देते थे। भाभी ने फिर सिलाई का काम भी शुरू कर दिया था। पीएचडी करने के साथ-साथ नेहा भी मैथ की कोचिंग देने लगी थी। ।शराब ज्यादा पीने के कारण भैया का लीवर भी खराब हो गया था।
लेकिन भाभी ने उनकी सेवा करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जाने किस मिट्टी की बनी थी भाभी
यही कहा करती थी जैसे भी हैं मेरा सुहाग है इन से।
अनुज के पिता है और तुम्हारे भाई हैं। भैया को कभी अपशब्द नहीं बोले उन्होंने।
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।अपने आखिरी समय में भैया उनके सामने हाथ ही जोडे रहते थे और आंखों से आंसू बहते रहते थे,
तभी नेहा की पीएचडी भी पूरी हो गई थी और मेरी सरकारी नौकरी लग गई थी। आकाश भी उसी कॉलेज में पढ़ाते थे, तभी नेहा की शादी हो गई, मां के आधे जेवर उन्होंने उसे सौंप दिए थे लाख मना करने पर भी,
अनुज इंजीनियर बन गया था उसकी भी शादी हो गई थी और वह अब अपने परिवार के साथ मुंबई सेट हो चुका था। एक ही शहर में रहने के कारण नेहा अपनी भाभी के पास आती जाती रहती थी। अनुज की इच्छा थी कि उसकी मां यह मकान बेचकर उसके साथ मुंबई चले,
भाभी अपने जीते जी अपनी बड़ों की अमानत बेचना नहीं चाहती थी, अनुज ने इसी गुस्से में अपने घर आना बंद कर दिया था और अब तो फोन पर खैर खबर लेनी भी बंद कर दी थी, अनुज औलाद जरूर भाभी की था लेकिन उसमें एक भी गुण अपनी मां का नहीं आया था। नेहा के फोन करने पर उसने यही कहा था, बुआ माँ आपको मकान का आधा हिस्सा देने को कहती है तो आप ही माँ की सेवा करो। मुझसे ज्यादा चिंता तो आपकी रहती है उन्हें।
नेहा ने कहा भी था मुझे कुछ नहीं चाहिए अनुज सब तुम्हारा है, लेकिन अनुज ने फोन काट दिया था। अपने बेटे से बेरुखी सहन नहीं कर पाई भाभी
यही सदमा ममता को लग गया था, अब वे अपने में ही खोई हुई रहने लगी थी। धीरे-धीरे उनकी हालत खराब होती जा रही थी। इसीलिए नेहा उन्हेंअपने साथ रखना चाहती थी। पिछले 1 महीने से उसका एक पै र अपनी भाभी के पास और एक अपने घर में था इसी वजह से आकाश झल्लाया हुआ था
। नेहा कॉलेज से सीधी भाभी के पास जाया करती थी वह दो-तीन घंटे में आती थी। लेकिन आकाश की बातें सुनकर आज अंदर से आहत हो गई थी। आकाश को मान सम्मान देने में भाभी कहां कभी पीछे हटी थी? एक दामाद से कम प्यार नहीं किया था भाभी ने आकाश को, जब तक इंसान काम करता है तब तक सबका प्यारा होता है स्वार्थ निकल जाने पर सब फालतू लगने लगते हैं।
लेकिन मैं स्वार्थी नहीं हूं मैं अपने किसी फर्ज से पीछे नहीं हटूंगी मन ही मन निर्णय ले चुकी थी नेहा।
अगले दिन संडे की छुट्टी थी बच्चों को भी जल्दी उठा दिया था उसने।और वह अपना काम खत्म करके दोपहर को भाभी के पास चली गई।, जाकर देखा तो ममता बिस्तर पर लेटी थी, आज खाना भी नहीं बनाया था। नेहा के पूछने पर बोली आज मन नहीं है लाडो, तबीयत भी ठीक नहीं है तेरा जो मन करताहै
तू बनाकर खा ले, आंख भर आई नेहा की ऐसा तो पहली बार हुआ था जब भाभी ने उसे कुछ काम के लिए कहा था, नेहा ने फटाफट भाभी के मनपसंद सूजी का हलवा बनाया और अपने हाथों से खिलाने लगी, नेहा ने कहा भाभी अब आप मेरे साथ रहोगी अब मैं आपकी कोई बात नहीं सुनूंगी। इस मकान पर अनुज का हक है आप अपने जीते जी उसे सौप दीजिए, लेकिन भाभी ने बताया मैंने आधा मकान तुम्हारे और आधा अनुज के नाम कर दिया है। मेरा फैसला अटल है। अगले जन्म में तुम मेरी कोख से पैदा होना लाडो।
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मेरी इच्छा है मैं जिस घर में डोली में आई थी उसी घर से मेरी अरथी निकले। , नेहा ने अपनी भाभी के मुंह पर हाथ रख दिया,। जाने क्यों लाडो आज तुम्हारे भैया की बहुत याद आ रही है,। कहते-कहते बहुत तेज खांसी उठ गई ममता को नेहा पानी का गिलास लेकर भागी और अपनी भाभी को पिलाने लगी
एक दो घूंट पानी पिया होगा और ममता की गर्दन एक ओर लुढ़क गई। नेहा ने आकाश को फोन किया जल्दी से आकाश भी डॉक्टर को लेकर।आ गया था। लेकिन ममता तब तक दुनिया से जा चुकी थी। नेहा तो जैसे बुत बन गई थी। बड़ी मुश्किल से उसे रुलाया गया। अनुज आया और अंतिम क्रिया कर्म की जिम्मेदारी खत्म करके चला गया। नेहा अभी उस सदमें से उवर नहीं पाई है यही सोचती रहती है।
भाभी सिर्फ करने के लिए ही दुनिया में आई थी उन्हें किसी से कुछ नहीं कराना था अपना, शायद वह जानती थी कि जाएग दुनिया में रही तो सब पर बोझ बन जाएगी। भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली। तभी तो अपने पास बुला लिया। आकाश भी बहुत शर्मिंदा था। लेकिन अब पछताने से क्या होता है कहे हुए शब्द कहां वापस आते हैं?
पूजा शर्मा स्वरचित।
दोस्तों हर बार की तरह आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।