स्मिता ऑफिस से आई तो रानी दीदी घर पर ही थी और सासू मां से बातें कर रही थी। जैसे ही स्मिता रानी दीदी के पैर छूने को झुकी तो गुस्से में उसने दूसरी तरफ मुंह फेर लिया। स्मिता हैरान तो थी लेकिन कमरे में जाते हुए उसे रानी दीदी के सासू मां से बात करते हुए आवाज सुनाई दी कि इसी ने विनय को सिखाया होगा वरना विनय स्कूटर देने से कभी भी मना नहीं करता। हां हां, स्मिता कानून भी दिखा रही थी 18 साल से पहले बिना लाइसेंस के स्कूटर नहीं चलाना चाहिए ,सासूजी रानी से बोली। रानी दीदी पीछे वाले फ्लैट्स में ही रहती थी। अक्सर उनका बेटा दीपू विनय का स्कूटर लेकर सोसाइटी और आसपास घूमता रहता था। अब पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण विनय ने भी गाड़ी छोड़कर ज्यादातर स्कूटर से ही ऑफिस जाना शुरू कर दिया था। इस तरह से में भारी जाम से भी बच जाता था। हमेशा के जैसे जब रानी दीपू के साथ आई और विनय मामा से स्कूटर की चाबी मांगी तो विनय ने साफ मना कर दिया कि तुम अभी छोटे हो लाइसेंस बनने तक स्कूटर नहीं चलाना चाहिए और यूं भी अब मुझे स्कूटर की जरूरत होती है। संयोग से उसी दिन स्मिता ने व्हाट्सएप में आए मैसेज को सबको पड़ा जिसमें कि लिखा था कि 18 साल से कम बच्चों को स्कूटर चलाना जुर्म माना जाएगा और अब कड़ी सजा का भी प्रावधान होगा। बस उसके बाद रानी दीदी और सासू मां को विश्वास हो गया था कि स्मिता ने ही विनय को सिखाया है कि दीपू को स्कूटर ना दिया जाए। उसके बाद रानी दीदी तो स्मिता से बोलती भी नहीं थी।
रानी दीदी की ननद के बेटे का विवाह था और इसीलिए उनके ससुराल में भात देने के लिए तैयारी की जा रही थी। रानी दीदी के पति राजेश तीन बहनों के इकलौते भाई थे। उस दिन जब रानी दीदी की ननद ने अपनी मां से कहा कि रानी दीदी के कानों के झुमके उन्हें भात में भिजवा दो तो उनके पति राजेश ने अपनी माता जी को साफ इंकार करते हुए कहा कि हम जो पैसे दे रहे हैं उसमें से ही एक झुमकी खरीद लो मैंने रानी को शादी के बाद कोई सोने का तोहफा तो दिया नहीं मैं उसका एक भी गहना वापिस लेकर किसी को भी नहीं दूंगा। कहकर राजेश तो बाहर निकल गया लेकिन सासू मां और उनकी बेटी के दोनों यही बात कर रही थी कि राजेश का मन इतना छोटा तो नहीं है कि वह किसी भी चीज को मना कर दे जरूर इस भाभी ने ही सिखाया होगा। उसके बाद दोनों मां बेटी वैसे ही बात कर रहे थे जैसे कि कुछ दिन पहले रानी ने अपनी भाभी के लिए कहा था।
रानी का मन हुआ कि वह गुस्से में उन दोनों से कहें मैं कुछ भी क्यों सिखाने लगी लेकिन तभी उसे ख्याल आया वह भी तो अपनी भाभी से इसी कारण नाराज हुई थी। अगर राजेश ने रानी का कोई भी सामान देने से मना करा तो इसमें गलती कहां थी, रानी के पास दो बच्चे भी हैं और आगे आगे घर खर्च बढ़ेगा भी राजेश जी ने मना करके गलती करी कहां है, वह सही तो कह रहे हैं क्या आज सोना खरीदना इतना आसान है लेकिन तभी उसे ख्याल आया अगर सोना बनना आसान नहीं है तो इस महंगाई के जमाने में अगर उसके भाई भी ने पैट्रोल बचाने के लिए स्कूटर ना देने का फैसला किया तो है गलत कहां था? सच में लोग समझ क्यों नहीं पाते, भाई का गुस्सा कमजोर कड़ी भाभी पर बिना वजह इल्जाम लगा कर क्यों उतारते हैं?
कुछ सोचकर रानी अपने कमरे से झुमकी लाने के बाद सासु मां को देते हुए बोली मैंने कभी किसी को कुछ नहीं सिखाया आप यह झुमके दीदी को भात में दे देना। अरे नहीं ,राजेश सही कह रहा है पैसे तो यूं भी बहुत खर्च हुई ही रहे हैं जब और सामान आ सकता है तो हम उसके लिए सोने का भी कुछ दिलवा देंगे। तुमने क्ह दिया तो मानो मुझे मिल गया ,( रानी की ननद ने मुस्कुराते हुए कहा) अभी आप ही यह रखो। कभी मन हुआ तो मैं आपसे ही लेकर पहन लूंगी। फिर आप ही तो कह रही थी कि मैंने सिखाया होगा, रानी बोली, अरे नहीं भाभी हम हमेशा से भैया को जानते हैं अब उनकी खुद की जरूरतें बढ़ गई हैं महंगाई बढ़ गई है आपने भैया को कुछ नहीं सिखाया भाभी। आप तो बस सब परिवार सहित शादी में आना जरूर और मम्मी पापा को भी कोई बहाना मत करने देना उन्हें भी लेकर आना।
रानी अचानक किसी सोच में पड़ गई और तभी उसने स्मिता को फोन मिला कर कहा भाभी आप बुरा मत मानना, मैं समझ गई हं कि आपने भैया को कुछ नहीं सिखाया। ऐसा कह कर वह दोनों फोन पर ही जोर से हंस दिए।
ब्लाग पढ़ने के लिए धन्यवाद। पाठकगण आप खुद ही सोचो क्या भाइयों में अपना दिमाग नहीं होता जो कि ऐसा सोचा जाता है कि भाभी ने सिखाया होगा।
मधू वसिष्ठ