भाभी.. आपको जरा भी होश नहीं है क्या.. गैस पर दूध छोड़ दिया सारा दूध बहकर बाहर आ गया आपसे कोई भी काम ढंग से होता है या नहीं, पता नहीं कहां से लाकर गांव की लड़की को हमारी भाभी बना दिया! और सुबह आपने जो बर्तन साफ किए थे उनमें भी साबुन रह गया था,
मैं तो अभी 10-15 दिन के लिए ही यहां आई हुई हूं पर मैं देख रही हूं आप घर को सही से मैसेज नहीं कर पा रही, 6 महीने हो गए आपको इस घर में आए हुए अब तक आप इस घर के तौर तरीके नहीं समझ पाई! इतने में ही रोहित भी वहां आ गया और बोला..
भाभी आज आपने आलू की सब्जी में कितनी तेज मिर्च कर दी, रायते में भी नमक नहीं डाला, मैंने अपने दोस्तों के टिफिन में से खाना खाया है, ऑफिस में सभी कितना अच्छा खाना लेकर आते हैं बस मेरा ही खाना पता नहीं कैसा होता है, आजकल इतनी मिर्च कौन खाता है फिर भी आप हर सब्जी में इतना तेल मसाला डालते हैं किसी के स्वास्थ्य की चिंता भी है या नहीं आपको,
मम्मी आज से मेरा खाना आप हीबनाइएगा! पहले नंद दिशा और अब रोहित की बातें सुनकर नीति को रोना आने लगा किंतु क्या करती वह इस घर की बहू पत्नी और भाभी है, निशांत ने उसे शादी के तुरंत बाद ही कह दिया था रोहित और दिशा में मेरी जान बसती है उन्हें कभी भी यह नहीं महसूस चाहिए कि उनकी भाभी उनके मुताबिक नहीं आई बहुत उम्मीद है उन्हें तुमसे
, दिशा तो फिर भी अपने ससुराल में रहती है किंतु तुम्हें रोहित की जिम्मेदारी लेनी होगी, कहने को तो रोहित 25 साल का है फिर भी अभी बच्चा ही है, मम्मी पापा भी आखिर कब तक करेंगे, तुम तो नौकरी भी नहीं करती तो तुम्हें तो भाभी के सारा फर्ज निभाना ही होगा, अगले दिन दिशा फिर नीति से बोली.. भाभी आपकोअपनी शॉपिंग की पड़ी है
और यहां मम्मी पापा नाश्ते के लिए परेशान होते रहते हैं, आपका सारा ध्यान सिर्फ खुद को सजाने में लगा रहता है, मैं तो चली जाऊंगी अपने ससुराल, करना आपको ही है, मेरा काम आपको समझाना है अब आप चाहे बुरा माने चाहे भला, मुझे कई बार लगता है आप मम्मी पापा की भी सेवा सही से नहीं कर पा रही वह आपको बोझ लगने लगे हैं,
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आप रात को भी उनको दूध देने से पहले ही सो जाती हैं बेचारी मम्मी ठंड में उठकर खुद का और पापा जी का दूध करके लाती है, भाभी आपको थोड़ा सा ध्यान देना चाहिए! अगले दिन नीति अपने कमरे में से बाहर नहीं आई, 7-8 बज गए पूरा घर अस्त व्यस्त हो गया, नाश्ते का पता ना कोई लंच की तैयारी, ऑफिस जाने वालों को अलग गुस्सा आ रहा था आखिर नीति सुबह-सुबह चली कहां गई
इसे अपने परिवार की बिल्कुल भी चिंता है या नहीं, और सभी मिलकर नीति को कोस रहे थे, पता नहीं इतनी देर तक कहां गई है मैडम? सभी को बडबड करते हुए देखकर दिनेश जी यानी कि नीति के ससुर बोले…. क्यों एक दिन नीति ने काम नहीं किया तो क्या आसमान फट गया या उसके बिना घर का काम नहीं होगा, तुम सभी के हाथ पैरों में क्या जंग लग रही है
नीति के आने से पहले भी तो सारे काम होते थे तो अब क्यों नहीं हो रहे ,रोहित और दिशा वह तुम्हारी भाभी है किंतु तुमने भाभी से कम उसे तो अपनी जरूरत की मशीन बना लिया, सारे दिन तुम उसको आदेश देते रहते हो, किस चीज की कमी करती है तुम्हारी सेवा में, और क्या अभी तुम्हें सेवा की जरूरत है, कौन सा फर्ज नहीं निभाती वह, तुम लोग तो समझने की कोशिश ही नहीं करते,
क्या वह इंसान नहीं है, दिशा तुम सोफे पर बैठे-बैठे थक जाती हो और वह काम करते-करते भी ना थके, हम सब उसके ऊपर इतने डिपेंड कैसे हो गए और दिशा तुम भाभी को ज्ञान दे रही थी तुम खुद अपने सास ससुर को छोड़कर 5 दिन से यहां मायके में हो क्या तुम्हारे सास ससुर को परेशानी नहीं हो रही होगी
किंतु क्या उन्होंने एक बार भी तुमसे जल्दी आने के लिए बोला, तुम कितना अपने साथ ससुर के लिए करती हो सब पता है? अगर तुम वहां नहीं हो तो क्या घर का काम नहीं हो रहा? बेटा तुम भी किसी घर की बहू हो, भाभी हो, तो फिर तुम्हें अपनी भाभी में कमियां कैसे नजर आई ,
तुम भी तो यहां आकर अपनी सास ननंद की बुराई करती हो कि सारे दिन मुझे काम करवाते हैं और इतना काम करने के बाद भी कमियां निकलते ही रहते हैं, मैं क्या करूं समझ नहीं आता? यही व्यवहार तुम अपनी भाभी के साथ दोहरा रही हो और रोहित अगर एक दिन सब्जी तीखी हो गई
तो तुमने भाभी को इतना सुना दिया क्या तुम्हारी मां से कभी सब्जी में गड़बड़ी नहीं हुई, तुम दोनों भाई ऑफिस में काम करते हो तो क्या किसी पर एहसान करते हो, या जब तुम्हारा बॉस किसी काम के लिए सुनाता होगा तुम्हें भी तो बुरा लगता होगा, वह बेचारी बच्ची इस घर में कितने सपने संजोकर आई होगी
कि मेरी ननद और देवर मेरे दोस्त और भाई बहन बनेंगे लेकिन तुम लोगों के व्यवहार से उसका रोज न जाने कितनी बार दिल दुखता होगा आज मैंने ही नीति को कोई भी काम करने से मना कर दिया जब उसका किया हुआ तुम्हें पसंद ही नहीं आता तो उसका काम करने का फायदा भी क्या और उसे बाहर पार्क में जाने के लिए बोल दिया
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तुम्हारी मां थोड़े बहुत घर के काम इसलिए करती हैं ताकि उनके हाथ पैर चलते रहे मैं भी तुम्हारी मां की मदद करवाता हूं, वह बाजार अपनी शॉपिंग के लिए नहीं इस घर की जरूरत का सामान लेने के लिए जाती है, नीति बेचारी तुम सबको खुश करने में लगी रहती है
उसने तो अपने भाभी होने का फर्ज पूरी ईमानदारी से निभाया किंतु क्या तुम उसके नंद और देवर बन पाए, तुम्हें तो बल्कि उसके दोस्त भाई और बहन होना चाहिए, अगर कोई लड़की नौकरी नहीं करती घर पर रहती है तो क्या उसकी कोई इज्जत नहीं है तुम्हारी जैसी भी मर्जी होगी तुम उसको सुनाओगे?
बेटा अपने छोटे-मोटे काम तो सभी को करने चाहिए नीति के आने से पहले भी तो तुम अपने काम स्वयं करते थे तो अब क्या हो गया! हां पापा… आप बिल्कुल सही कह रहे हैं हमने भाभी शब्द को गलत समझ लिया, जब भाभी एक मां दोस्त और बहन हो सकती है तो क्या हम अपनी मां बहन और दोस्त को तकलीफ में देख सकते हैं
उनका दिल दुखा सकते हैं किंतु हमने तो बार-बार ऐसा ही किया है किंतु अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा, हम अपनी भाभी को वह सब सुख देंगे जो वह डिजर्व करती हैं प्लीज पापा आप भाभी को बुला लीजिए और जैसे ही नीति घर में आई सभी से माफी मांगने लगी मम्मी मुझे बहुत देर हो गई मैं फटाफट फटाफट सारा काम कर दूंगी
आप बिल्कुल टेंशन मत लीजिए तब दिशा और रोहित एक साथ बोले… नहीं भाभी आज आप कोई भी काम नहीं करेंगे और अगर कोई काम करेंगे तो हम सब मिलकर आपका सहयोग करेंगे नीति को समझ नहीं आ रहा यह सब क्या हो गया किंतु वह अपनी ससुर जी की तरफ देखकर समझ गई सारा प्लान इनका ही था और वह अपने ससुर के आगे नतमस्तक हो गई! काश ऐसे समझने वाले ससुर हर घर में हों!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता “भाभी”
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