सुमन.. यह हर समय सड़ा हुआ सा मुंह बनाए रखने की जरूरत नहीं है समझी, देवर की शादी है चेहरे पर खुशी होनी चाहिए पर यहां तो ऐसा लग रहा है जैसे सारा काम का बोझ इसी के सिर पर आ गया हो, अरे कभी तो हस्ती मुस्कुराते रहा करो, सारे रिश्ते तो यही समझते होंगे की सास ने इतने जुल्म कर रखे हैं, क्यों….
क्या तुझे मैं परेशान करती हूं मारती हूं तो फिर तू ऐसी क्यों रहती है, प्रमिला जी को लगता की सुमन अपने देवर की शादी से खुश नहीं है,… अब जा नीचे.. फटाफट देख मेहमानों को क्या चाहिए
और हां चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कुराहट रखना पता नहीं किस बात पर फूली हुई रहती है, आजकल की बहू को देखो नखरे खत्म नहीं होते और प्रमिला ने अपनी बहू को ऐसा कहकर नीचे भेज दिया! परसों सुमन के देवर की शादी है उसे बहुत खुशी है किंतु जब प्रमिला जी अभी से नई बहू के सारे दिन गुणगान करती है
और बात-बात पर सुमन को नीचा दिखाने की कोशिश करती है तो सुमन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता, मां अभी से ही दोनों बहू के बीच में दूरियां बढ़ा रही है, वह कितनी खुश है कि उसके देवर की शादी उसकी मनपसंद लड़की से हो रही है माना कि वह अच्छे पैसे वाले घर की लड़की है
तो मैं भी कोई ऐसी वैसी घर की लड़की नहीं हूं पर यह बात बात पर ताने देना, कितना भी काम कर लो कभी उनके चेहरे पर खुशी ना दिखना, यह सब मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता पर मैंने कभी इन्हें पलट कर जवाब नहीं दिया शायद इसी का यह नाजायज फायदा उठाते हैं और मन ही मन बड़बड़ाती हुई सुमन चेहरे पर झूठी मुस्कान लाती हुई
मेहमानों की खातिरदारी में लग गई! दो दिन बाद हंसी-खुशी उसके देवर प्रणव की भी शादी हो गई और देवरानीका गृह प्रवेश हो गया, खूब जोरों शोरों से घर में उसका स्वागत किया, सुमन और उसकी देवरानी पायल में खूब बनने लगी, दोनों बिल्कुल सगी बहनों के जैसी रहने लगी किंतु प्रमिला जी को इस तरह अपना सिंहासन डोलता नजर आया,
अब वह बात-बात पर सुमन को नीचा दिखाने की कोशिश करने लगी ताने देने लगी… तूने ढंग का खाना नहीं बनाया, कपड़े सही से तह नहीं करें, तूने ऐसा नहीं किया वैसा नहीं किया और सुमन इन सब बातों को सुनकर रोती हुई चुपचाप अपने कमरे में आ जाती! एक दिन किसी बात पर सास ने सुमन को खूब सुनाया
और सुमन जब अपने कमरे में बैठी हुई रो रही थी तभी पायल वहां आ गई और बोली “भाभी..आप यह सब कैसे सह लेती हो” जितना आप दबोगी सभी आपको और दबाने की कोशिश करेंगे, आपकी जगह अगर मैं होती और मुझे कोई ऐसी ऊंची आवाज में उल्टा सीधा बोलता
तो मैं उसको उसकी गलती का एहसास अवश्य करवाती अरे जब मैंने कोई गलती की ही नहीं तो मैं कसूरवार क्यों हुई, भाभी अगर आप इसी तरह डर कर आंसू बहाती रही तो देखना एक दिन आपकी परिवार में भी कोई इज्जत नहीं होगी आप सिर्फ अच्छी बहु बनने के चक्कर में अपना आत्मविश्वास और आत्मसम्मान दोनों को खो दोगी,
कई बार सुमन ने पायल की बात पर गौर करके कुछ कहने की हिम्मत की किंतु उससे सब नहीं हुआ लेकिन एक दिन जब सास ने सुमन की बेटी को बोला.. एक भी ढंग का काम नहीं करती जैसी मां वैसी बेटी तो सुमन को बहुत जोर का गुस्सा आ गया, अपनी 8 साल की बेटी के लिए ऐसा सुनते ही सुमन बेकाबू हो गई और उसने झट से कह दिया…
क्यों मां मैं किस चीज में आपकी कमी करती हूं जो अब आप मेरे साथ-साथ मेरी बेटी को भी सुनाने लग गई, अरे वह सिर्फ 8 साल की है उसे तो छोड़ दीजिए मैंने बहुत सालों तक बर्दाश्त किया है
पर अब मेरी भी बर्दाश्त की सीमा खत्म हो गई है! उसका ऐसा रूप देखकर प्रमिला जी से कुछ कहते नहीं बना और उसका ऐसा रूप देखती रह गई, आज सुमन को हालांकि अपनी सास को जवाब देने पर अच्छा नहीं लग रहा था किंतु उसे एक संतुष्टि हो रही थी कि शायद अगली बार से उसे बार-बार शर्मिंदा न होना पड़े!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
“भाभी आप यह सब कैसी सह लेती हैं”