बेटी मुझे माफ़ कर दे ,मैं तेरी खुशियों का गुनहगार हूँ। – ममता गुप्ता

आज कई बरसो बाद वो अपनी माँ के आगे बिलख पडी..।

अरे !! क्या हुआ मेरी लाडो..तुम इतना रो क्यो रही हो..? इतनी सालों में आज माँ से मिली हैं शायद इसलिए बिलख बिलख कर रो रही है ना… यसोदा जी ने अपनी बेटी नमिता को गले लगाते हुए कहा।।

माँ!” मैं अब ससुराल कभी नही जाऊंगी..? मुझे वहाँ नही रहना…? नमिता ने रोते हुए कहा।।

“ये तू क्या कह रही हैं..? ऐसा क्या हुआ जो तू ससुराल नही जाएगी..? यसोदा जी ने बड़े आश्चर्य से कहा।।

अब सहन नही होता माँ… आज पूरे पांच बरस हो गए है मुझे उन लोगो के अत्याचार सहते सहते… अब नही सहा जाता मुझसे… नमिता ने बिलखते हुए कहा।।

अत्याचार…ये तू क्या कह रही हैं मेरी लाडो… यसोदा जी यह सुनकर स्तब्ध रह गई।

हाँ माँ !!अत्याचार..।।

तू पाँच साल से ससुराल वालों के अत्याचार सहती रही,औऱ हमे तूने जरा सी भनक भी नही लगने दी..?

भनक क्या लगने देती माँ… जब भी आप से ससुराल वालों के बारे में कुछ कहती तो आप खुद यह कहती थी कि- देख धीरे धीरे सब कुछ अच्छा होगा, अभी तू उस घर मे नई नई हैं ना तो तुझे एडजस्ट होने में समय लगेगा..औऱ जिसने एडजस्ट करना सीख लिया, तो समझो उसने जीवन जीना सीख लिया…मैं तो आपके कहे अनुसार ही ससुराल मैं एडजस्ट करने लगी थी…!!




लेकिन जिस दिन से मैं बहु बनकर उस घर मे गई हूं, उसदिन से ही कभी सास तो कभी ननद दोनो ने ही मेरी नाक में दम करके रखा है। ननद तो बात बात पर ऐसे टोकती हैं जैसे  वो मेरी सास हो…।।

“अरे …भाभी तूने यह साड़ी कैसे पहनी हैं देखो साड़ी थोडी  नीचे बांधा करो,औऱ ये क्या तुमने मैचिंग के ज्वेलरी औऱ चूड़ियां क्यो नही पहनी… तुम सिंघानिया परिवार की इकलौती बहू हो थोड़ी बनठन के रहा करो…।।  ननद इस तरह से हुकुम चलाती हैं…।

औऱ गर में ननद के कहे अनुसार बनठन के रहू तो सास बोलती हैं कि “ओ महारानी तू किसी रईस बाप की बेटी नहीं है जो रोजाना में गहने पहनकर काम करेंगी…!! अब तू कौनसी नई नवेली दुल्हन हैं जो सज सवर के रहती है..!! तेरे बाप दहेज़ में नही दिया ये सब जा चुप चाप इन्हें उतार कर मेरे कमरे में रख दे…सास इस तरह बर्ताव करती है।।

इधर कुआ उधर खाई वाले हालात बन जाते हैं। और जब मैं आपके दामाद(विपिन) से ननद औऱ सास के बारे में कुछ कहु तो वो भी उनकी ही बोली बोलते हैं, उनसे कहना मतलब कह कर खोना हैं, उसको तो बस रात में शराब पीकर मेरे जिस्म से खेलना…औऱ कुछ नही की घर मे क्या हो रहा है उसकी पत्नी के साथ इससे कुछ लेना देना नही है। बस जो दीदी औऱ माँ ने कहा है वो ही करना है वरना सास उनके कान भर देती जब हाथ उठा देते थे…। मैं जब भी तीज त्योहार पर यहाँ आती थी तब मैं आपको यह सब बताना चाहतीं थी लेकिन मैं यह सोचकर चुप रह जाती की शायद धीरे धीरे सब सुधार जाएंगे.. लेकिन ऐसा नही हुआ बल्कि मानसिक रूप चोट देने लगे..!! लेकिन आज तो मैने ठान लिया कि मैं अब की बार कभी वापस नही आऊँगी…!!

नमिता ने अपने ऊपर हुए अत्याचारों से अपनी माँ को अवगत करवाया।।




बेटी के दर्द को सुनकर माँ का दिल भी रोने लगा औऱ कहां अब मेरी बेटी को यह सब सहन नही करना पड़ेगा।।

माँ बेटी वार्तालाप बगल वाले कमरे में बैठे नमिता के पिता ने सुन ली।।

बेटी की सहनशक्ति देख कर वो झट से उस कमरे में गए औऱ बोले तेरा असली दोषी तो मैं हूँ बेटा ….।। शायद 

मैने तेरे साथ अन्याय किया है…

“काश… उसदिन भाईबन्दों की बातों में न आता तो तुझे आज यह दिन देखने को नही मिलता।

मुझे मेरी बेटी पर उसदिन विश्वास करना चाहिए था -” जब बड़े भाई ने तुझे एक लड़के के साथ देखकर न जाने क्या क्या  लांछन तेरे ऊपर लगाए औऱ मैं चुपचाप उनकी बातें सुनता रहा, ये तक नही सोचा कि लड़के लड़कियों में केवल ही सम्बंध नही होता,एक अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं, लेकिन उसदिन मेरी ही मति मारी गई जो तेरी पढाई लिखाई छुड़वाकर, शादी करवा दी औऱ जल्दबाजी में  किसी से कोई पूछताछ नही की….

तेरी माँ ने भी मुझे कितना समझाया था कि एक बार बेटी की पूरी बात तो सुन लीजिए।। जल्दबाजी में लिया गया फैसला कभी सही नही होता ऐसा न हो कभी तुम्हे खुद के फैसले पर पछताना पड़े।।

पर मैंने गुस्से में उल्टा इसे ही बुरा भला कह दिया।।

मुझे माफ़ कर दे मेरी बेटी…तेरा असली गुनाहगार तो मैं हु…नमिता के पिता ने हाथ जोड़ते हुए कहा।

लेकिन मैं अपनी गलती का प्रायश्चित करके रहूँगा। अब तुझे मैं कभी भी उस नरक में नही जाने दूंगा।। मैं तुझसे वादा करता हूं।। पिता ने नमिता को गले लगाते हुए कहा।।

कुछ दिन बाद विपिन नमिता को लेने आया।। नमिता के माता पिता ने बिपिन को साफ साफ मना कर दिया कि वो अब तुम जैसे जल्लाद के साथ नही रहेगी।। तुम्हारा असली चेहरा अब हमारे सामने आ गया…!! हम तो तुम्हें बड़ा ही भला मानस जानते थे,हमे क्या पता कि इस भोले भाले चेहरे के पीछे भेड़िया छिपा बैठा है…।। अब मेरी बेटी मेरे पास ही रहेगी… तुम अपने उल्टे दिन गिनना शुरू कर दो।। नमिता के पापा ने बिपिन से गुस्से में कहा।।

विपिन अपना सा मुंह लेकर वहाँ से चला गया।।

नमिता खुश थी कि उसकी जिंदगी में फिर से खुशियां लौट आई थी।।नमिता ने विपिन को तलाक देकर उससे आजाद हुई औऱ अत्तीत को भूलकर नए सिरे से अपनी ज़िंदगी शुरू की।

दोस्तों !!कई बार ऐसा होता हैं कि बड़े भी कभी भी बिन सोचे समझे जल्दबाजी में फैसला ले लेते हैं, फिर भुगतान बच्चो को पड़ता हैं ,इसलिए माता पिता से अनुरोध हैं कि वक्त के साथ अपनी सोच बदले, बेटियों की बात सुने,किसी की बातो में आकर बेटियों की ज़िंदगी खराब न करे।।

धन्यवाद

आप सभी को मेरी कहानी कैसी लगी बताना जरूर।

#अन्याय 

©ममता गुप्ता

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