बेटी ने किया माँ का गठबंधन – संगीता अग्रवाल 

” मम्मी आप रवि अंकल से शादी करने वाले हैं ?” एक दिन रितिका ने स्कूल से आ अपनी माँ से पूछा।

” नहीं …हां …पर तुम्हे किसने बताया ये ? रितिका की माँ आँचल ने झेंपते हुए पूछा।

” मेरी सहेली ने बताया उसे उसकी मम्मी ने बताया कि रितिका की मम्मी उसके नये पापा ला रही हैं !” रितिका बोली।

” देखो बेटा रवि अंकल आपसे कितना प्यार करते हैं तो वो आपके पापा बन जाए तो क्या दिक्कत है !” आँचल ने बेटी को समझाया।

” पर मेरी सहेली बोल रही थी तेरी मम्मी अब तुझे प्यार नहीं करेगी , रवि अंकल भी तुझे मारेंगे क्योंकि कोई सौतेले पापा प्यार नहीं करते !” दस साल की मासूम बिलख पड़ी आँचल ने उसे अपने आंचल में समेट लिया।

” कैसी बातें कर रही है रितिका कि दोस्त कौन सिखाता है इन्हें इनके घर में दूसरों की जिंदगी में झाँकने वाले लोग ये नहीं सोचते कि वो अपने बच्चों को क्या सीख दे रहे हैं। हद होती है !” आँचल बेटी को सीने से लगाए सोचने लगी।

ये है आँचल जिसके पति की मृत्यु आज से चार साल पहले हो गई थी। तब मासूम रितिका छह साल की थी। पति की मृत्यु के बाद उनकी जगह आँचल को बैंक में नौकरी मिल गई थी इसलिए माँ बेटी को पैसे की तंगी नहीं थी । आँचल ने अपनी सारी जिंदगी बेटी के नाम करने का फैसला कर लिया था। पर दो साल पहले उसकी ब्रांच में रवि आया जो खुद विधुर था। धीरे धीरे रवि दोस्ती से कुछ ज्यादा चाहने लगा । आखिर आँचल के भी कुछ ख्वाब थे उसे भी रवि पसंद आने लगा।

बैंक में शुरु हुई मुलाकातें घर में पहुंची और रितिका को भी रवि अंकल अच्छे लगने लगे। रवि के माता-पिता को भी आँचल अच्छी लगी तो वो भी चाहने लगे कि उनके बेटे का घर जल्द से जल्द बस जाए । पर आंचल इस मामले में जल्दबाज़ी नहीं करना चाहती थी। इसलिए उसने रवि से समय माँगा और अब दो साल बाद दोनों ने शादी का फैसला किया। आँचल रितिका को सब बताती उससे पहले ही उसके कानों में गलत तरीके से ये खबर पहुँच गई।

” बेटा अगर आपको रवि अंकल नहीं पसंद तो मम्मा शादी नहीं करेगी बस आप रोओ मत !” आँचल बेटी की कमर सहलाती बोली।



रितिका अब खुश थी कि उसके और उसकी मम्मी के बीच अब रवि अंकल नहीं आएंगे । आँचल ने रवि से भी कह दिया कि वो अपनी बच्ची को दुख देकर अपने लिए खुशियाँ नहीं चुनेगी । रवि जो आँचल से सच्चा प्यार करता था उसने आँचल के फैसले का मान रखा। कुछ समय बाद उसने अपना ट्रांसफर करवा लिया क्योंकि वो पास रहकर आँचल से दूर नहीं रह पा रहा था आँचल के लिए भी ये मुश्किल हो रहा था। रवि के जाने के बाद रितिका और ज्यादा खुश हो गई क्योंकि अब उसे कोई  डर नहीं था। वो नन्ही बच्ची अपनी माँ की खुशी तो देख नहीं सकती थी उसे तो बस ये था कि अब उसकी मम्मी उसी की रहेंगी।

 

समय बीतता रहा रितिका पढ़ लिखकर नौकरी करने लगी और उसे अपने साथ काम करने वाले अनुज से प्यार हो गया। आँचल और अनुज के घर वालों को दोनों की शादी से कोई आपत्ति नहीं थी लिहाजा दोनों का रिश्ता पक्का हो गया।

” अब तो मेरी लाडो कुछ दिन की मेहमान है !” एक दिन आँचल रितिका को लाड लड़ाते हुए बोली।

” मम्मा मेरे जाने के बाद आप तो अकेले पड़ जाओगे !” रितिका कुछ सोचते हुए बोली।

” बेटा हर बेटी को अपने ससुराल जाना ही होता है इसमे कौन सा बड़ी बात है !” आँचल नम आँखों से मुस्कुराते हुए बोली।

” मम्मा अगर मैं स्वार्थी नहीं होती तो आज आप अकेले नहीं होते कितनी स्वार्थी हो गई थी तब मैं जो रवि अंकल को आपकी जिंदगी मे बर्दाश्त नहीं कर पाई जबकि मुझे तो आपका साथ देना चाहिए था पर मैंने तो आपको और रवि अंकल को दूर कर दिया …सच मैं अच्छी बेटी नहीं हूँ !” आज बरसों बाद रितिका अपनी माँ के सामने फूट फूट कर रो दी।

” नहीं बेटा तू एक बहुत अच्छी बेटी है तूने कुछ गलत नहीं किया वैसे भी अब उन बातों को सोच दुखी होने से क्या होगा …तुम खुशी खुशी अपनी शादी की तैयारी करो मेरी बेटी सबसे खूबसूरत दुल्हन लगनी चाहिए !” आँचल ने बेटी का माथा चूमते हुए कहा। आँचल के चेहरे पर मुस्कान थी पर आँखों की नमी रितिका ने साफ महसूस की अब बड़ी जो हो गई थी। आँखों की नमी पहचानने लगी थी। वो कुछ सोचने लगी ।

” रवि तुम यहाँ !!” कुछ दिन बाद अपने दरवाजे पर रवि को देख आँचल आश्चर्यचकित रह गई। जबसे रवि गया था दोनों ने एक दूसरे से कोई सम्पर्क जो नहीं रखा था।



” आँचल अंदर भी आने दोगी या अपने दिल के दरवाजे की तरह घर के दरवाजे भी मेरे लिए बंद कर दिये तुमने !” रवि नम आँखों से बोला।

” आओ ना …!” आँचल इतना बोल दरवाजे से हट गई।

” कैसी हो आँचल खुश तो हो ?” रवि ने सोफे पर बैठते हुए पूछा।

” हां अब तो बेटी की शादी की तैयारी में लगी हूँ तुम बताओ तुम भी अपने परिवार के साथ खुश होंगे !” आँचल ने कहा।

” कैसा परिवार आँचल माँ मेरी शादी के सपने देख चल बसी घर मे बस पापा और मैं है !” रवि बोला।

” क्या …तुमने शादी नही की।” आंचल हैरानी से बोली।

” आँचल दिल के दरवाजे बार बार नही खुलते पत्नी की मृत्यु के बाद सोचा था शादी नहीं करूंगा फिर तुमसे मिला तुम अच्छी लगी तुम्हारे साथ शादी के सपने देखे पर तुम नहीं मिली तो सोच लिया ये सुख मेरी किस्मत में ही नहीं !” रवि के इतना कहते ही आंचल तड़प उठी।

” रवि अंकल इसमे सारी गलती मेरी है प्लीज आप मुझे माफ़ कर दो और मेरे पापा बन जाओ !” तभी वहाँ रितिका आई और रवि का हाथ पकड़ कर बोली।



” क्या बकवास कर रही हो रितिका तुम होश में तो हो …!” आँचल रितिका की बात सुन गुस्से में बोली।

 

” मम्मा प्लीज मैं बचपन में की अपनी गलती को सुधारना चाहती हूँ इसलिए मैंने रवि अंकल का पता लगाया है और उनसे मिलकर जब ये जान गई कि वो अभी तक अविवाहित है तब बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया है अब आप भी मान जाइये ना !” रितिका माँ से बोली।

” तुमने रवि को यहाँ बुलाया है …तुम पागल हो चुकी हो । ये तुम्हारी शादी की उम्र है मेरी नहीं समझी तुम …तुम्हे समाज की अपने ससुराल वालों की किसी की परवाह नहीं है …ये आजकल के बच्चे भी ना पता नहीं क्या समझते हैं रिश्तों को !”  आँचल गुस्से में बोली।

” मम्मा मुझे या मेरे घर वालों को इससे कोई दिक्कत नहीं बल्कि हमें तो खुशी होगी आपकी चिंता भी नहीं रहेगी हमें या रितिका को !” तभी वहाँ अनुज आकर बोला।

” ओर मम्मा किस समाज की बात कर रहे हो आप वो समाज जो एक विधवा से उसकी सारी खुशिया यहां तक कि उसके जीवन के रंग भी छीन लेता है !” रितिका माँ से बोली।

” मुझे नहीं पता पर जो तुम लोग सोच रहे वो नहीं हो सकता !” ये बोल आँचल अंदर चली गई।

रितिका ने रवि से कुछ दिन इंतज़ार करने को कहा। रवि तो वैसे भी सारी जिंदगी अकेले ही काटने वाला था इसलिए उसने रितिका की बात मान ली।

कुछ दिन तक रितिका और अनुज आँचल को मनाते रहे पर वो ट्स से मस ना हुई ।

” ठीक है मम्मा आप ज़िद्दी हैं तो मैं भी आपकी बेटी हूँ कुछ साल पहले आपने मेरी खुशी के लिए शादी ना करने का फैसला किया था आज मैं आपको अकेला नही छोड़ सकती इसलिए मैं फैसला करती हूँ कभी शादी नहीं करूंगी …अनुज से कह दूंगी मैं मुझे भूल कर आगे बढ़ जाए वो !” रितिका ने हार कर कहा।

” दिमाग़ खराब हो गया तुम्हारा !” आँचल ने गुस्से मे रितिका के थप्पड़ मार दिया । आज पहली बार आँचल ने बेटी पर हाथ उठाया था वो बेटी को मार कर खुद ही रोने लगी । रितिका माँ से लिपट गई और खुद भी रोने लगी।

” मम्मा प्लीज मान जाओ मेरी बात वरना अपने गिल्ट के कारण मैं शादी बाद भी खुश नही रहूंगी और जब खुश ही नहीं रहूंगी तो शादी का फायदा क्या !” रितिका रोते रोते बोली।

बहुत देर रो लेने के बाद बेटी की खुशी के लिए आँचल ने शादी को हां कर दी …पहले दिन आँचल की रवि से शादी हुई जिसमे गठबंधन रितिका ने किया और अगले दिन आँचल और रवि ने रितिका का कन्यादान किया …रितिका अपने गिल्ट से मुक्ति पा खुशी खुशी विदा हुई।

आँचल और रवि की शादी से कुछ लोग खुश हुए और इसे सही फैसला बताया पर कुछ लोगों ने ऊँगली भी उठाई । पर वो लोग तब नही आये थे सामने जब आँचल ने अपनी बेटी की परवरिश अकेले की थी। इसलिए उनका ऊँगली उठाना कोई मायने नही रखता था।

मेरी कहानी को ले आपकी क्या राय है बताइयेगा जरूर।।

आपकी

संगीता अग्रवाल 

10 thoughts on “बेटी ने किया माँ का गठबंधन – संगीता अग्रवाल ”

  1. कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना पर किसी भी तकलीफ़ के वक्त कोई नहीं आएगा। समाज को छोड़िए आप ने सही लिखा है। धन्यवाद

  2. रीतिका का फैसला सही था। सभी बच्चों को अपने विधुर एवं विधवा मां बाप जो 40 45 के उम्र के हो उनकी शादी करा देना चाहिए।क्योंकि साथी की जरुरत अन्तिम समय मे अधिक होती है।जब बच्चे अपनी दूनिया मे व्यस्त हो जाते है।

  3. कहानी तो अच्छी और सकारात्मक माहौल में खत्म हुई पर अव पछताये होत क्या जव चिङिया चुग गई खेत। सारी जवानी तो दोनों ने अकेले निकाल दी अव एक दुसरे दुख तकलीफ़ विमारी ही वाटेंगें।समाज की सुन कर राजा राम ने अपनी पत्नी का त्याग किया इसने समाज के गलत संदेश से वशीभूत वेटी को समझाने की जगह खुद बच्ची बन कर जीवन के सभी रंग से महरुम हो गई।

  4. बहुत ही सुन्दर और मार्मिक कहानी है बहुत बहुत धन्यवाद।

  5. Waaaaaah Bahut Sundar Aur Marmsprsi Rachna Hai Aapki Aur Ek Prernadayak Lagi Jo Aaj Bhi Samaj Kya Khaega Ke Chakkar Me Yah Kadam Uthane Se BHi Darte Hai Aapki Yah Kahani Padhkar Sayad Kitne Logon Ka Ghar Bas Jaye Aur Kya Chahiye Isse Badi Khusi Ho Hi Nahi Sakhti Bahut Abhar Ji Aapka Jo Aapne Satya Ko Apne Lekhn Dwara Paribhashit Kiya Dhanywaad Ji 🌹👌👌👌🥰🥰🥰🎉🎉🎉📝👍👍🙏🙏

  6. मुझे ये कहानी , कहानी नही बल्कि समाज की हकीकत लगी। क्योकि हमारा समाज महिलाओ की खुशियों को कुरीतियों मे दबाकर रखना चाहता है।

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