बहरूपिये – विजय शर्मा “विजयेश”

Post View 287 गली में तेज-तेज आवाजों का शोर सुनकर मेरा ध्यान अपने लेखन  से भंग  हो गया। खिड़की में से झाँक   कर  देखा  तो  एक बहरूपिया  नजर  आया । वह  राक्षस  का मुखौटा लगाए था और उसके सर पर  सींग लगे हुए थे। काले लबादे  में  बहुत डरावना और  हुँकार  भरता  वह मुझे … Continue reading बहरूपिये – विजय शर्मा “विजयेश”