‘ बेड़ियाँ नहीं, कवच है ‘ – विभा गुप्ता
Post View 74,845 ” ये तू क्या कह रही नीरू?तू उस बेवकूफ़ के लिए अपना घर छोड़ देगी?तेरा दिमाग तो ठीक है ना?” निर्मला ने आश्चर्य से नीरु से पूछा। “हाँ-हाँ, मेरा दिमाग ठीक है।तू चाहे जो भी कह, लेकिन मैं तो उससे बहुत प्यार करती हूँ।अगर पापा नहीं मानेंगे तो मैं घर छोड़ दूँगी … Continue reading ‘ बेड़ियाँ नहीं, कवच है ‘ – विभा गुप्ता
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