बसेरा – वीणा

Post Views: 3 सुबह से ही हॉस्टल के दो चक्कर लगा चुका था वह,पर कमरे के दरवाजे पर लगा ताला मानो उसे मुँह चिढ़ा रहा था। चौकीदार से भी वह दो तीन बार पूछ चुका था। आखिर में कहाँ गई ज्योति? रह रह कर सूरज के मन में एक ही बात आ रही थी।कल शाम … Continue reading बसेरा – वीणा