बंजारन – प्रेम बजाज

Post Views: 3 “अरी ओ कजरी सारा दिन‌ सीसे में ही घुसी रवेगी का”? कुछ काम-धाम भी करया कर कभी!” “अम्मा, मोसे ना होता काम-वाम तेरो, मैं तो राजकुमारी  हूं, राजकुमारी और राजकुमारी कोई काम नाही करत” रोज़ का काम था कजरी की मां उसे काम में हाथ बंटाने को कहती और कजरी मना कर … Continue reading बंजारन – प्रेम बजाज