काकी थकी हारी हाट से आई, लेकिन उसके चेहरे पर खुशी की चमक थी। आज उसके सारे अमरूद, नींबू बिक चुके थे। उसकी टोकरी में जो दो अमरूद बचे थे उसे काकी हाट के गेट पर बैठी उस बच्ची के हाथ में थमा दिया जो माँ के साथ भीख मांग रही थी। काकी घर आकर … Continue reading बाल-विधवा – पुष्पा पाण्डेय
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