बहु संस्कारी ही क्यों चाहिए? – मुकेश पटेल
Post View 1,082 “अरे क्या बताऊं तुम्हें बेटा हमारी तो जिंदगी जैसे-तैसे चल रही है| बहुओं के ऊपर बोझ बनकर रह गए हैं |बहुए भी जब मर्जी आती है खाना देकर चली जाती है वरना हमारे कमरे में कोई झांकने वाला भी नहीं|” सुषमा जी अपनी बेटी रिंकी को यह सारी बातें बता रही थी … Continue reading बहु संस्कारी ही क्यों चाहिए? – मुकेश पटेल
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