बहु जब लड झगड़कर अपने मायके पहुंची तब उसे हुआ आत्मग्लानि का एहसास !! (भाग 2 ) – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi : खत पढ़ते पढ़ते मगनलाल जी को लगा जैसे उनके पीछे कोई खडा हैं उन्होने पीछे देखा तो चंदाजी खड़ी थी !! वे बोली क्या पढ़ रहे हैं जी ??
मगनलाल जी बोले तुम्हारी बड़ी बहू मायके जाने से पहले या खत लिखकर छोड़ गई है बस वही पढ़ रहा हूं !!
चंदा जी बोली जी जरा जोर से पढ़िए मैं भी सुनना चाहती हूं कि उस दिन ऐसा क्या हो गया था कि दोनों भाई और दोनों बहू में हाथापाई तक बात पहुंच गई !!
मगनलाल जी अब खत जोर से पढ़ने लगे जिसमें राधा ने लिखा था अभी तीन महीने पहले ही तो रिया और सोमन का भयंकर एक्सीडेंट हुआ था , जैसे तैसे उन दोनों की जान बच पाई है और ऐसे में अगर मेरी बेटी को लंगड़े होने का ताना मारा जाए तो क्या यह सही हैं पापाजी ??
चंदा जी बीच में ही बोली आज भी वह दिन याद आता है तो रूंह कांप उठती हैं !! आप और मैं तो हिम्मत हार चुके थे , वह तो राधा ही थी जो ऐसे समय में भी बिना हिम्मत हारे पति और बेटी के वापस अच्छे होने की उम्मीद लगा कर बैठी थी और निरंतर हमें भी हौसला दिए जा रही थी , शायद उसके हौसले और भगवान पर भरोसे का ही असर था कि रिया और सोमेन आज हमारे बीच वापस खड़े हैं !!
छोटी बहू आभा को रिया को इतना बड़ा ताना मारने से पहले तनिक सोचना चाहिए था और पीछे-पीछे राज ने भी ऐसा बोला यह तो हद है !!
मगनलाल जी बीच में ही झल्लाते हुए बोले मुझे खत आगे भी पढ़ने दोगी या बीच में ही टोकती रहोगी !! मगन लालजी ने खत आगे पढ़ना शुरू किया तीन महिने पहले हुए एक्सीडेंट की वजह से सोमेन की नौकरी छूट गई क्योंकि उन्हें घर पर रहकर आराम करने की हिदायत थी जिससे घर का सारा बोझ राज भैया पर आ गया बस तब से आभा मुझे रोज ताने सुनाने लगी कहने लगी अगर मेरा पति तुम लोगों के खर्चे ना उठाए तो तुम लोगों का क्या होगा ?? मुझसे यह ताने रोज रोज नहीं सुने जाते!!
पापाजी अब आप ही बताईए अगर मैं इन बातों को लेकर अलग रहना चाहती हुं तो क्या यह गलत हैं ?? मैं अपने पति और बच्ची के खिलाफ एक शब्द नहीं सुन सकती !! मेरे पति और बच्ची को इस वक्त हौसले और आत्मविश्वास की जरूरत हैं ना कि ऐसे कमजोर व्यक्तियों के उलाहनों की , आप हमेशा सच का साथ देते हैं मगर कुछ दिनों से हमें लग रहा हैं जैसे हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा हैं !!
खत पढ़कर मगनलाल जी बोले कितने खुशी के दिन थे वह चंदा जब हमारे दोनों बेटो की शादियां हुई थी , दोनों बहुएं भी तो रच बस गई थी परिवार में !!
जहा एक तरफ बडी बहु राधा घर की जिम्मेदारियों के प्रति सजग और सुशील वहीं दूसरी तरफ छोटी बहु आभा चंचल और मिलनसार !! पुरे घर में उसके हंसी ठहाकों की आवाज गूंजती !! दोनों ने मिलकर यह परिवार एक सूत्र में बांधे रखा था चंदा , ना जाने किसकी नजर लग गई हमारे घर को जो अब सभी को अलग होना हैं इस घर से और मैं क्यों भेदभाव करूंगा मेरी दोनों ओलादों में ?? बडे बेटे और बहु को हमारे बारे में ऐसा क्यों लग रहा हैं ??
चंदा जी बोली कभी कभी अनजाने में हमसे ऐसी नासमझी हो जाती हैं जिससे हम भेदभाव कर बैठते हैं और हमें पता ही नहीं चलता !! मैं नहीं चाहती कि हमारे घर का कभी बंटवारा हो क्योंकि घर का बंटवारा मतलब सब कुछ बंट जाना !!
जब घर का बंटवारा होता हैं तो सिर्फ वह घर का बंटवारा नहीं होता , वह तो बडे बुर्जुगों का भी बंटवारा होता हैं बोलते हुए रो पड़ी चंदाजी !!
मगनलाल जी बोले बस यही वजह हैं कि मैं भी बंटवारा नहीं करना चाहता मगर इस मसले का भी तो कोई ना कोई हल निकालना ही पडेगा और मैं नहीं जानता था कि छोटी बहु आभा इतनी तेज स्वभाव की हैं कि वह इस तरह ताने मारती होगी !!
चंदा जी बोली अरे !! आभा तो हमेशा अपनी मम्मी से फोन पर चिपकी रहती हैं !!
शादी को पांच साल हो गए मगर घर के काम भी ढंग से नहीं करती आपकी छोटी बहु , ओर तो ओर एक बार जब वह अपनी मम्मी को यहां की सारी बातें बता रही थी और मैं वहां कुछ काम से गई थी तो मैंने उसकी सारी बातें सुन ली और जब मैंने उससे कहा कि बेटा , इस तरह अपने घर की बातें अपने मायके में नहीं बताया करते तो उल्टा मुझ पर ही वह भड़क गई और बोली आपको शर्म नहीं आती मेरी बातें सुनते हुए !! हां मैं मानती हु वैसे आभा के दिल में कोई खोट नहीं , जो भी बात हो मुंह पर बोल देती है मगर कभी-कभी इतना कड़वा बोलती है कि सामने वाला उसे पचा नहीं पता !
मगनलाल जी बोले मैं जब पहुंचा तो मैंने बिना कुछ जाने राधा और सोमेन पर सारा इल्जाम लगा दिया , जबकि पहले मुझे बात की तह तक जाना चाहिए था !!

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बहु जब लड झगड़कर अपने मायके पहुंची तब उसे हुआ आत्मग्लानि का एहसास !! (भाग 3 ) – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

भाग 1

बहु जब लड झगड़कर अपने मायके पहुंची तब उसे हुआ आत्मग्लानि का एहसास !! – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

स्वाति जैन

 

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