बहू हमारी महारानी – नेकराम : Moral Stories in Hindi

यह भीड़भाड़ वाला दिल्ली शहर है जहां नजर जाए चारों तरफ लोगों की चहल पहल कश्मीरी गेट के पास बने हनुमान मंदिर के पंडित जी सुरेश शास्त्री जी आज बहुत खुश है अभी तक वह 50 से ज्यादा वर और कन्याओं को विवाह के सूत्र में बांध चुके थे बिचौलिए का काम भी उन्होंने शुरू कर दिया आज वह जनकपुरी इलाके में लड़के वालों के घर जा रहे हैं —

कल शाम मंदिर में लड़के के पिता सीताराम से भेंट हुई थी लड़के के पिता ने कहा था हमारा बेटा राजन कुंवारा है हम दिल्ली में रहते हैं और हमें दिल्ली की लड़की ही चाहिए जो बहू बनकर हमारे घर पर आए एक छोटा सा कार्ड भी दिया था जिस पर जनकपुरी के घर का पता भी लिखा था पंडित जी अपनी तैयारी करके पीले वस्त्र धारण कर जनकपुरी पहुंचे एक बड़े से बंगले के पास पहुंचे उनके आंगन में एक लाल कलर की कार खड़ी थी पंडित जी ने दाएं बाएं देखा तो वहां सभी के अपने बड़े-बड़े बंगले थे —

पंडित जी ने बेल बजाई तो सीताराम ने दरवाजा खोला पंडित जी को राम राम कहा और कमरे के भीतर आने का इशारा किया सीताराम की पत्नी रुक्मणी ने उनके स्वागत के लिए मिठाई नाश्ता पहले से ही तैयार किया हुआ था —

पंडित जी आराम से एक सोफे पर बैठ गए तब सीताराम ने अपनी छोटी बेटी तान्या को पास बुलाते हुए कहा यह मेरी छोटी बेटी तान्या है 18 वर्ष की हो चुकी है हमें इसकी शादी की जल्दी नहीं है दूसरी कुर्सी पर बैठे नौजवान की तरफ इशारा करते हुए कहा यह मेरा बेटा राजू है इसकी उम्र 19 वर्ष की है हमें इसकी शादी की भी अभी कोई टेंशन नहीं है तीसरी कुर्सी पर शांत स्वभाव में बैठे नौजवान को दिखाते हुए कहा यह मेरा सबसे बड़ा बेटा राजन है अब 24 बरस का हो चुका है हमें पहले इसी की शादी करनी है —

सीताराम ने पंडित जी से कहा राजन अब शादी के लायक हो चुका है हमें कोई सुंदर और पढ़ी-लिखी लड़की बताइए तब पंडित जी ने अपने थैले से एक लड़की का फोटो निकालते हुए कहा इस लड़की का नाम काजल है मगर काजल के माता-पिता कह रहे हैं हमें ऐसे लड़के की तलाश है जो इकलौता हो छोटा परिवार हो घर में सास भी ना हो तो और भी अच्छा रहेगा क्योंकि सास और बहू के झगड़े आजकल बहुत देखने को मिल रहे हैं —

सीताराम जी मुस्कुराते हुए बोले पहले आप दोनों बच्चों के गुण तो मिला लीजिए पंडित जी चाय पीने के बाद कुछ देर तक अपने पोती पत्रा को टटोलते रहे फिर बोले काजल के साथ राजन के पूरे 36 गुण मिल रहे हैं तब राजन की मां रुक्मणी बोली पंडित जी हम तो बच्चों की खुशी चाहते हैं आप लड़की वालो के पास जाकर रिश्ता पक्का कर आइए –

तब पंडित जी बोले काजल के परिवार वाले तो इकलौता वर ढूंढ रहे हैं जो घर का अकेला वारिश हो तब रुक्मणी और सीताराम आपस में खुसर-पुसर  करने लगे फिर कुछ देर के बाद पंडित जी को बताया आप लड़की वालों के घर जाकर बताए की लड़का इकलौता ही है और सास ससुर भी नहीं है तब पंडित जी बोले आप झूठ की बुनियाद पर रिश्ता क्यों कायम करना चाहते हैं —

तब सीताराम जी ने पंडित जी को कहा आपको मोटी से मोटी दक्षिणा मिलेगी पंडित जी दक्षिणा का नाम सुनकर बोले ठीक है जैसी आप लोगों की मर्जी मगर लड़की वालों को बाद में पता चला तो हंगामा हो सकता है इसलिए सच्चाई बता देनी चाहिए —

लेकिन आप लोग मुझे दक्षिणा के रूप में अधिक रुपया दे रहे हैं

तो इसमें मेरा भी स्वार्थ है आप जैसे दानी लोगों की ही दक्षिणा की वजह से हमारा भी परिवार पलता रहता है —

सीताराम ने सब बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा अब हम वह काम करने जा रहे हैं जो काम आज तक किसी ने नहीं किया राजू तुम ड्राइवर को एक महीने की छुट्टी दे दो आज से तुम इस घर के ड्राइवर रहोगे तान्या तुम घर की बर्तन मांजने वाली को एक महीने की छुट्टी दे दो उसके बदले तुम नौकरानी बनकर इस घर में रहोगी और मैं रुक्मणी खाना बनाने वाली बनूंगी राजन के पिता इस घर के माली बनेंगे सभी नौकरों को छुट्टी दे दो और दो महीने का एडवांस भी उन्हें दे दो ताकि नौकरी छूटने पर उनके परिवार का खर्चा भी चलता रहे —

तब राजन ने कहा मम्मी जी आप क्या कह रही हो ऐसी शादी से तो कुंवारा रहना ही अच्छा है तब रुक्मणी ने कहा इस घर का पहला कानून है कि बड़ों के आगे छोटों को चुप रहना चाहिए तब राजन खामोश हो गया और पंडित जी भोजन करने के बाद अपनी दक्षिणा लेकर चल पड़े लड़की वालों के घर —

लड़की वालों का घर जनकपुरी से कुछ किलोमीटर दूर राजेंद्र नगर में था

एक घंटे बाद बस का सफर तय करने के बाद पंडित जी राजेंद्र नगर पहुंचे लड़की वालों के घर पहले भी पंडित जी आ चुके थे इस घर के पास वाले मकान से दो बेटियों की शादी भी करवा चुके हैं लेकिन वह रिश्ते अधिक दिन तक ना टिक सके वही पति पत्नी का झगड़ा और सास बहू के झगड़े की वजह से तलाक होकर दोनों बेटियां मां के घर पर बैठी है उन्हीं की दुर्दशा देखकर काजल की मां शांताबाई घबराई हुई थी शायद इसलिए काजल के लिए इकलौता पर ढूंढ रही है —

पंडित जी ने बेल बजाई दरवाजा खुला काजल के पिता अमर सिंह ने पंडित जी को प्रणाम किया और भीतर आने का आग्रह किया —

पंडित जी भीतर जाकर एक कुर्सी पर बैठ गए पंडित जी की खातिरदारी हुई उसके बाद पंडित जी ने बताया जनकपुरी कॉलोनी में आपकी बेटी काजल के लिए एक वर है जिसका नाम राजन है गुण भी 36 मिल रहे हैं लड़का भी इकलौता है एक बड़े से बंगले में अकेला ही रहता है करोड़ों की प्रॉपर्टी है घर में एक कार जो बहुत महंगी है उस कार को चलाने के लिए एक ड्राइवर भी है नौकरानी है बर्तन धोने के लिए खाना बनाने के लिए दूसरी नौकरानी है घर में माली भी रखा हुआ है आपकी बेटी राज करेगी ना देवर भाभी का झगड़ा .. ना ननंद भाभी का लफड़ा ..ना सास बहू की खटपट ना देवरानी और जेठानी की कोई कहासुनी —

पंडित जी की बात सुनकर काजल के माता-पिता बहुत खुश हुए फिर पंडित जी ने कहा मगर दुल्हे ने कहा है कोर्ट मैरिज शादी होगी दो दिन के भीतर ही काजल दुल्हन बनाकर बंगले में आ पहुंची —

राजन अपनी पत्नी काजल का हाथ थामे बंगले की देहरी के बाहर खड़ा था देहरी के भीतर रुक्मणी लोटे में गंगाजल  लिए खड़ी थी तब राजन ने अपनी पत्नी काजल से कहा कुछ साल पहले मैं अपने परिवार के साथ गंगा नहाने गया था तब मेरा पूरा परिवार वहा तेज नदी की धारा में बह गया मैं अकेला ही बचा और तब से आज तक इस बंगले में अकेला हूं घर में खाना बनाने वाली आंटी रुक्मणी को मैं मां जैसा मानता हूं इसलिए मैंने ही कहा था रुक्मणी जी से जब मेरी दुल्हन इस घर में आए तो गंगाजल से उसका स्वागत करना ,, क्या मैंने ठीक क्या ,,

तब काजल ने कहा आप तो महान है नौकरानी को मां समान मानते हो फिर मुझे क्यों कोई एतराज होगा काजल का देहरी पर अच्छे से रुक्मणी जी के हाथों से टीका और गृह प्रवेश हुआ राजन ने अपने घर के सभी लोगों का परिचय देना शुरू किया हमारे बंगले में दो नौकर और दो नौकरानी है मुझे मिलाकर इस घर में कुल हम पांच लोग हैं अब तुम आ गई हो इस बंगले में अब हम टोटल 6 सदस्य हो चुके हैं —

आओ मैं तुम्हें अपने नौकरों से मिलवाता हूं इनसे मिलो यह राजू है इस घर का ड्राइवर यह कार चलाता है बिहार का रहने वाला है यहां शहर में इसका अपना कोई नहीं है रात होने पर कार में ही सोता है

राजन ने एक आंख दबाकर राजू को इशारे में समझा दिया फिर अपने छोटे भाई राजू से कहा —

राजू अपनी नई मालकिन को शादी की मुबारक बात दो राजू ने सर झुकाकर प्रणाम करते हुए कहा मालकिन जी आपको शादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं काजल ने खुश होते हुए अपने पर्स से सौ का नोट निकाला और राजू की तरफ बढ़ाते हुए कहा रख लो अपनी नई मालकिन की तरफ से छोटा सा तोहफा है —

फिर राजन ने तान्या को अपने पास बुलाते हुए कहा यह इस घर की नौकरानी है बेचारी बहुत गरीब परिवार से है हमारे बंगले में बर्तन धोना  साफ – सफाई करना सारा दिन यही काम रहता है  तब काजल ने कहा अब मैं आ गई हूं तान्या तुम बिल्कुल भी फिक्र मत करना ठीक है मैं तुम्हारी महीने की पगार बढ़ा दूंगी बस यूं ही मन लगाकर काम करती रहना लो तुम भी सौ रूपए रख लो अपनी नई मालकिन की तरफ से मेरा पहला तोहफा स्वीकार करो तान्या ने सौ रूपए हाथ में लेते हुए कहा मेमसाहब ईश्वर आपको और दे आपकी जोड़ी बनाए रखें —

तान्या के परिचय के बाद राजन ने काजल से कहा वह देखो जो गमले में पानी दे रहे हैं इस घर के माली है वर्षों से गमले में पानी देने का काम कर रहे हैं बागवानी का अच्छा अध्ययन भी किया है तब काजल उनके पास पहुंचकर उनके पैर छूए तो सीताराम बोले अरे मालकिन जी आपने मेरे पर क्यों छूए मैं तो इस घर का मामूली सा माली हूं तब काजल ने कहा इस घर में कोई ससुर जी नहीं है मेरे मुझे आशीर्वाद तो चाहिए था इसलिए आपके पैर छू लिए आप भी तो मेरे पिता समान है —

काजल रसोई घर में पहुंची तो रुक्मणी जी दूध उबाल रही थी तब काजल..  रुक्मणी जी से बोली मां जी सब लोग बाहर अपना अपना इनाम ले रहे है आप अकेली रसोई घर में क्या कर रही हैं

तब रुक्मणी जी ने कहा

मालकिन जी आज आपका पहला दिन है तो आपके लिए खीर बना रही थी तब काजल ने कहा इस घर में मेरी कोई सासू मां तो है नहीं आप ही मेरी मां बनकर मुझे आशीर्वाद दे दीजिए जी मालकिन जी जैसी आपकी इच्छा रुक्मणी जी ने गैस को बंद करके काजल को आशीर्वाद दिया तो काजल ने अपने पर्स से दो सौ का नोट निकाल कर कहा लो  मां जी अपनी नई मालिक की तरफ से तोहफा स्वीकार कीजिए —

रुक्मणी जी ने रुपए लेकर काजल को कहा तुम जुग जुग जियो बेटी

रुक्मणी जी फिर से गैस चूल्हा चालू करके दूध उबालने में लग गई

और काजल से पूछा मालकिन जी आप खाने में क्या-क्या पसंद करती हो तब काजल ने बताया मां जी आज आप अपनी पसंद का कुछ भी बना दीजिए कल से मैं अपनी खाने की लिस्ट आपको दे दूंगी ठीक है मालकिन जी ऊपर वाला कमरा आप और साहब के लिए सजा दिया गया है आप वहां आराम कीजिए जब तक मैं खाना बनाकर तैयार करती हूं —

तभी राजन रसोई घर में आ पहुंचा और काजल से बोला अब तो तुम सबसे मिल चुकी हो ऊपर चलो कमरा फूलों से सजा है आज अपनी सुहागरात है काजल शरमाते हुए बोली धीरे बोलो मुझे शर्म आती है अब इसमें शर्म की क्या बात है राजन ने काजल का हाथ थामा और ऊपर वाले कमरे में ले गया काजल घूंघट करके बिस्तर पर बैठ गई —

राजन एकदम बिस्तर से उठा और बोला तुम यही आराम करो मैं तुम्हारे लिए और अपने लिए गरमा गरम दूध लेकर आता हूं तब काजल बोली नौकरानी किस लिए रखी है तान्या को आवाज दो वही दूध लेकर आएगी तब राजन ने कहा ऐसे शुभ काम के लिए घर की नौकरानी से दूध मंगवाओगी छी छी इतने में तान्या ने दरवाजा खटखटाया दूध का गिलास लिए तान्या खड़ी थी दूध का गिलास आगे बढ़ाते हुए बोली मालकिन जी साहब से कहो गेट पर आकर दूध का गिलास ले जाए तब राजन ने काजल से कहा मैं इस बहन मानता हूं इसलिए आज सुहागरात के दिन मेरे लिए दूध ले आई —

राजन ने तान्या के हाथों से दूध का गिलास ले लिया और कमरे के भीतर रखी टेबल के ऊपर रख दिया तब राजन बोला मैं अभी आता हूं नीचे कमरे में मैंने तुम्हारे लिए एक गिफ्ट रखा है राजन दौड़कर सीढ़ियों से नीचे उतरा और रसोई घर पहुंचा तो मां रुक्मणी सब्जी बना रही थी तब राजन बोला मां तुम अकेली छः लोगों का खाना बना लोगी तब रुक्मणी बोली मैं तेरी मां हूं मुझे मत सिखा छः तो क्या मैं दस लोगों का खाना अकेले बना सकती हूं चल तू बहू के कमरे में जा बार-बार नीचे आएगा तो उसे शक हो जाएगा —

अरे मां में इतना पागल नहीं हूं काजल से झूठ बोलकर नीचे आया हूं मैंने कहा तुम्हारे लिए एक गिफ्ट लेने जा रहा हूं तब मां रुक्मणी ने कहा सुन अलमारी में सोने के कंगन और चांदी की तगड़ी रखी है जा अपनी बहू को पहना दे राजन अलमारी से सारे गहने लेकर छत पर बने कमरे पर पहुंचा तो काजल वीडियो कॉल से अपनी सहेली और मायके वालों से बात करके बहुत खुश थी काजल की खुशी देख राजन भी खुश था लेकिन उसे यह डर था जब नाटक का पर्दाफाश होगा तब काजल को कितना दुख होगा —

राजन ने काजल से कहा तुम गहने पहनो मैं जरा माली से मिलकर आता हूं काजल गहने पहनने लगी राजन दौड़कर आंगन में पहुंचा तो सीताराम जी घास उखाड़ रहे थे राजन ने कहा डैडी सुबह से सारी घास उखाड़ दी थोड़ी बहुत तो बचा कर रखो कल भी तो काम करना है तब सीताराम बोले रसोई घर से खीर की खुशबू आ रही है थोड़ी सी खीर लाकर दे दे मैं यहीं बैठा बैठा खा लूंगा ठीक है मैं मम्मी से कह देता हूं राजन ने धीरे से कहा और रसोई घर में पहुंचकर अपनी मां रुक्मणी को बताया मम्मी खीर बनने के बाद डैडी को बगीचे में ही दे देना

रसोई घर में तान्या भी आ गई और राजू भी थोड़ी देर में रसोई घर में आ पहुंचा सीताराम भी रसोई घर में आ पहुंचे और वहां मौजूद सबको देखकर सीताराम जी बोले सब यहां खीर का मजा ले रहे हैं और मैं आंगन में अकेला घास उखाड़ उखाड़ कर थक गया मेरे हाथों में छाले पड़ गए तब राजन ने कहा आप लोग जल्दी-जल्दी खीर खा लिजिए फिर अपने-अपने कामों में जुट जाना मैं दुल्हन के कमरे में जाता हूं वरना वह नीचे भी आ सकती है —

राजन दौड़कर ऊपर वाले कमरे में पहुंचा तो काजल गहने पहन चुकी थी राजन के आते ही काजल ने कहा काफी देर हो गई मां जी दूध उबाल रही थी खीर की खुशबू आ रही हैं अब तुम यहीं रुको मैं रसोई घर से होकर आती हूं –

काजल कमरे से बाहर निकली तो राजन ने तुरंत फोन किया फोन राजू ने उठाया तो राजन ने बताया जल्दी रसोई घर से बाहर निकलो काजल नीचे ही आ रही है तब राजू ने कहा मां ,, भाभी जी नीचे ही आ रही है तब रुक्मणी ने कहा तुम सब लोग अपने-अपने कामों में जुट जाओ मैं तुम्हारी खाई हुई झूठी कटोरी अभी सिंक में धो देती हूं इतने में काजल रसोई घर में आ पहुंची सबके हाथों में एक-एक कटोरी थी जिनमें खीर थी पीछे-पीछे राजन भी चला आया तो काजल ने कहा सारे नौकर रसोई घर में क्यों इकट्ठे हैं और आप सब लोगों के होठों पर सफेद सफेद क्या चिपका है —

काजल एकदम चौंक कर बोली ओह आप लोग यहां चोरी छिपे खीर खा रहे हो तब राजन ने बात संभाली और कहा मैं अभी रसोई घर में आया था और सब नौकरों को कहा था आज मेरी सुहागरात है मुझे और नई मालकिन को डिस्टर्ब मत करना नई दुल्हन की खुशी में सब लोग रसोईघर में आकर खीर खा लेना —

तब काजल ने राजन से कहा अब तुम चुप रहोगे रसोई घर में क्या कोई कुछ खाता है मां जी  बाहर टेबल पर खाना लगाइए तान्या तुम भी मां जी के साथ खाना परोसने में मदद करो हम सब मिलकर एक साथ खाना और खीर का आनंद लेंगे टेबल सजाई गई कई तरह की सब्जियां टेबल पर दिखाई दी सब्जी चावल रायता गरमा गरम पूरी सब लोगों ने मिलकर खाना खाया —

फिर काजल ने वहां बैठे सभी लोगों से कहा राजन तो मेरे साथ आज रात को ऊपर वाले कमरे में सोएंगे फिर आप लोग कहां सोते हैं आप लोगों के सोने का स्थान कहां पर है तब सीताराम जी बोले मेमसाहब मैं तो आंगन में चादर लेकर वही घास पर सोता हूं तब राजू ने कहा बाहर कार खड़ी है मैं कार में ही सोता हूं मुझे कार की रखवाली भी करनी होती है तब तान्या ने कहा मैं तो कहीं भी सो जाती हूं रुक्मणी जी ने कहा रसोई घर की सफाई के बाद में रसोई घर में ही सोती हूं फिर सब खिलखिला कर हंसने लगे ताकि काजल कोई और सवाल जवाब ना कर पाए रात के 10:00 बज चुके थे काजल ने राजन को इशारा किया चलो मुझे नींद आ रही है राजन अपनी नई दुल्हन के साथ अपने छत वाले कमरे में चल पड़ा —

रात का पहर धीरे-धीरे जाता रहा और सुबह सूरज उगने की तैयारी करने लगा राजन की आंख खुली तो सुबह के सात बज चुके थे राजन नीचे आया तो सभी लोग अपने-अपने कमरे की दीवारों से अपनी फोटो उतार कर एक संदूक में रख रहे थे तब राजन ने पूछा यह आप लोग क्या कर रहे हो तब राजू ने बताया भैया शुक्र है कल भाभी जी हमारे कमरों में नहीं गई क्योंकि उनका पहला दिन था थकान के कारण बंगले में पूरा नहीं टहल सकी लेकिन आज पक्का हर एक-एक कमरा घूमेंगी अगर हमारी तस्वीर दीवार पर लटकी मिल जाएगी तो भाभी जी को शक हो सकता है —

हम तो इस घर के नौकर हैं भला नौकर कोई मालकिन के बंगले में अपनी फोटो कैसे लगा सकते हैं हम सारी फोटो इस संदूक में भरकर ताला लगा कर बाहर बगीचे में गाड़ देंगे —

रुक्मणी जी ने तान्या से कहा तुम एक घंटे के बाद अपनी भाभी जी को चाय देकर चली आना तब तक हम इस संदूक को बगीचे में गाढ़ देंगे सीताराम ने कुल्हाड़ी की मदद से आंगन में एक गहरा गड्ढा कर डाला और संदूक वहां पर छिपा दिया तान्या चाय बनाकर काजल के कमरे में पहुंची और चादर खींचते हुए आवाज लगाई मेमसाहब चाय तैयार है तब काजल ने अंगड़ाई लेते हुए कहा पहले मैं बाथरूम होकर आती हूं फ्रेश हो जाऊ फिर चाय नाश्ता करूंगी काजल की बात सुनकर तान्या ने कहा मैं चाय वापस ले जाती हूं दुबारा आपके लिए चाय का प्रबंध करती हूं

एक महीना कैसे बीता पता ही नहीं चला काजल ने अपने पति से कहा सुनो जी यहां आराम करते-करते मैं थक गई हूं और मायके  की याद भी आ रही है आज मायके जाना है ड्राइवर से कह दो गाड़ी तैयार रखे तब राजन ने राजू को बताया तेरी भाभी अपने मायके जाना  चाहती है गाड़ी एकदम चमका दे  ठीक है —

राजू ने सर हिलाया और गाड़ी तैयार करके आधे घंटे बाद होर्न बजाया अब तक काजल भी गहनों में लदी तैयार हो चुकी थी

राजू ने कार का ढक्कन खोलते हुए कहा मालकिन जी आप  पीछे साहब के साथ पीछे वाली सीट पर बैठिए और मुझे बीच-बीच में रास्ता बताते रहना राजू कार चलाकर काजल के मायके के घर की तरफ चल पड़ा आधे घंटे बाद  राजू कार लिए काजल के मोहल्ले में खड़ा हुआ था आस – पड़ोस की महिलाओ ने जब काजल को एक सुंदर सी महंगी कार में अपने दूल्हे के साथ बैठे देखा तो बोल पड़ी अरे अपनी काजल बिटिया आई है चारों तरफ शोर मच गया एक महीने में कितनी तगड़ी हो गई पहले कितनी कमजोर थी अब तो कितनी मोटी हो गई काजल और काजल के दुल्हें का मोहल्ले वालों ने जमकर स्वागत किया —

तब काजल ने बताया मेरे माता-पिता ने मेरा विवाह एक बहुत अच्छे परिवार में किया है दूल्हा इकलौता है और घर में सास ससुर भी नहीं है ना देवर और ना ननंद है घर में नौकर चाकर है वही सारा काम संभालते हैं —

काजल अपने पति राजन को साथ लिए अपने फ्लैट में पहुंची

राजू सड़क किनारे कार खड़ी करके उसी में बैठकर आराम करने लगा राजू ने अपनी मां रुक्मणी को फोन लगाकर बताया मां हम सुरक्षित पहुंच गए हैं भाभी जी बहुत खुश है भाभी जी को अभी तक बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि मैं ड्राइवर नहीं उनका देवर हूं — शेष भाग कल

भेद खुलने पर क्या काजल के होंगे सपने चकनाचूर

 बादल अचानक घिर आए तेज बारिश की मोटी मोटी बूंदें तड़ा – तड़ धरती पर गिरने लगी राजू कार के भीतर बैठा मोबाइल में गेम खेल रहा था तभी काजल का कॉल आया – ड्राइवर जी जल्दी हमारे घर के सामने चल आओ बारिश की वजह से हमारे घर के सामने वाली नाली पानी से भर चुकी है नाली में थोड़ा कूड़ा फंसा हुआ है उसे जल्दी निकाल दो

इस वक्त अब हमें सफाई वाला भी कहीं ना मिलेगा –यह बात अपने साहब को मत बताना वरना उन्हें बुरा लगेगा —

काजल की बात सुनकर राजू तुरंत कार से निकला और अपनी भाभी जी के घर के सामने पहुंच कर नाली में फंसा कचरा निकालने लगा कचरा तो निकल गया लेकिन सारे कपड़े गीले हो गए राजू वापस कार में आकर बैठ गया कपड़े भी एक ही जोड़ी थे राजू भीगे कपड़ों में कंपकंपाता हुआ ही कार में बैठा रहा 3 घंटे से ज्यादा बीत चुके थे —

तभी राजू के मोबाइल में राजन का कॉल आया राजन ने पूछा राजू तुम ठीक तो हो बारिश तेज हो रही है कार से बाहर मत निकलना वरना तुम्हारे कपड़े गीले हो जाएंगे मैं इस समय बाथरूम के भीतर हूं वहीं से तुम्हें कॉल कर रहा हूं ताकि किसी को शक ना हो मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए खाना भिजवाता हूं —

आप मेरी चिंता मत कीजिए भईया मैं ठीक हूं कार में बैठा हुआ गेम खेल रहा हूं

राजन ने अपनी पत्नी काजल से कहा वह अपना ड्राइवर कार लिए बाहर हमारी प्रतीक्षा कर रहा है कुछ उसके लिए भी खाने-पीने के लिए भिजवा देती —

काजल ने तुरंत एक थाली तैयार कर दी जिसमें चार रोटियां और छोले की सब्जी थी किंतु बारिश अभी भी लगातार हो रही थी तब काजल छाता लेकर तुरंत कार के पास पहुंची कार के शीशे का दरवाजा खटखटाया तो राजू ने दरवाजा खोला काजल ने तुरंत थाली देते हुए कहा हम तो आपको भूल ही गए थे मैं खाना लाई हूं इसे आप खा लीजिए जाते-जाते काजल ने कहा आपके साहब 2 दिन तक यहीं अपनी ससुराल में रूकेंगे एक बात और कहनी है बारिश रुकने के बाद

हमारे परिवार के लोगों को कार में बिठाकर जहा वह कहे उन्हें घुमा लाना — जी  मालकिन जी राजू ने सर हिलाया

बारिश रुकने के बाद राजू ने काजल के परिवार वालों को कार में बिठाकर उनकी मनचाही जगह पर उन्हें घूमाता रहा रात होने पर राजू कार में ही सो जाता था उन्हीं एक जोड़ी कपड़े में राजू ने 2 दिन बिता दिए तीसरे दिन राजू अपने भाई राजन और अपनी भाभी काजल को वापस अपने बंगले में ले आया —

काजल के आते ही बंगले में सब लोगों ने अपनी अपनी पोजीशन ले ली

इस बार काजल अपने साथ अपने छोटे भाई विक्रम और अपनी छोटी बहन शालिनी को भी साथ ले आई —

काजल तुरंत रसोई घर में पहुंची और रुक्मणी जी से कहा मां जी

पहले आप छ: लोगों का खाना बनाती थी अब दो लोग और बढ़ चुके हैं

रुक्मणी जी ने सर हिलाते हुए कहा मालकिन जी आप चिंता मत कीजिए मैं तो 10 लोगों का खाना भी 2 घंटे में तैयार कर सकती हूं

विक्रम सारा दिन टेलीविजन देखता और खाने के लिए बार-बार रुक्मणी जी से फरमाइश करता लेकिन रुक्मणी जी विक्रम के कहे अनुसार उसकी पसंद का भोजन और व्यंजन बना देती

शालिनी दिन भर में तीन जोड़ी कपड़े बदलती फिर गंदे करके अपने कपड़े तान्या को दे देती तान्या दिन भर कपड़े धोने में और बर्तन धोने में लगी रहती

पूरे 15 दिन हो चुके थे शालिनी बहुत खुश थी ऐसी ठाठ-बाट  की जिंदगी देखकर शालिनी ने अपनी बड़ी बहन काजल से कहा दीदी

तुम्हारी किस्मत कितनी अच्छी है मेरे लिए भी ऐसा ही दूल्हा ढूंढना जो इकलौता हो —

तब काजल ने कहा यह तो पंडित जी का आशीर्वाद है तब शालिनी ने  कहा तुम अभी मेरे साथ पंडित जी के घर चलो शायद और ऐसा ही रिश्ता मेरे लिए भी मिल जाए इस बात का जीजा जी को बिल्कुल भी पता नहीं चलना चाहिए गाड़ी तो विक्रम चला ही लेता है

तुम मैं और विक्रम हम तीनों पंडित जी के घर चलते हैं हनुमान मंदिर कश्मीरी गेट के पास ही है —

दोपहर हो चली थी विक्रम कार चला रहा था काजल और उसकी छोटी बहन शालिनी कार के पीछे वाली सीट पर बैठी हुई खिड़की से सड़क पर आते जाते लोगों को देख रही थी —

कश्मीरी गेट पहुंचने के बाद सामने ही हनुमान मंदिर दिखाई दिया कार को सड़क किनारे खड़ा कर दिया गया

तीनों तेज कदमों से मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे  मंदिर पहुंचने के बाद

वही पर एक कमरा था उस कमरे के भीतर से आवाज आ रही थी

पंडित जी पहले आपका मंदिर पुराना सा लगता था लेकिन अब एकदम नया और चमकता रहता है और सजावट भी बहुत अच्छी है आखिर इतना पैसा कहां से आया तब पंडित जी की आवाज आई

कुछ महीने पहले मैंने एक रिश्ता करवाया था दूल्हे का नाम राजन था और उनके पिता का नाम सीताराम  –

उस सीताराम के तीन बच्चे थे सबसे छोटे बेटे का नाम राजू

छोटी बेटी का नाम तान्या और सबसे बड़े बेटे का नाम राजन

सीताराम की पत्नी रुक्मणी जी ने अपने बेटे राजन की खुशी के लिए

घर में खुद नौकरानी बनना स्वीकार किया क्योंकि आजकल की बहुओ को सास पसंद नहीं है

मुझे तो दक्षिणा मिली थी झूठ बोलने की तो  मैंने रिश्ता पक्का करवा दिया यह कहकर कि दूल्हा इकलौता है और घर में कोई नहीं है उसके सिवा राजन के परिवार वालों को नौकर बताकर मैंने रिश्ता करवा दिया

मंदिर की सजावट भी तो करनी थी इसलिए मैं झूठ बोलने पर विवश हो गया था —

काजल व शालिनी और विक्रम तीनों ही पंडित जी की बात सुनकर उल्टे पांव ही अपनी कार की तरफ बढ़े

कार तेज रफ्तार में बंगले की तरफ दौड़ी जा रही थी गाड़ी के पहिए तेज तेज घूम रहे थे कार बंगले पर आकर रुकी

सीताराम तपती धूप में आंगन में घास उखाड़ रहे थे विक्रम दौड़ता हुआ सीताराम जी के पास पहुंचा और सीताराम जी के साथ बैठकर बोला

घर में बैठे-बैठे 15 दिनों से कमर दुखने लगी है आज मैं भी आपके साथ घास उखाड़ूंगा  विक्रम भी आंगन में घास उखाड़ने लगा

शालिनी बंगले के अंदर पहुंची तो तान्या ढेरों कपड़े धो रही थी

शालिनी भी तान्या के साथ कपड़े धोने में मदद करने लगी

काजल रसोई घर में पहुंची तो रुक्मणी जी शाम का खाना बनाने में लगी हुई थी

काजल ने रुक्मणी जी से कहा आज आप आराम कीजिए आज मैं खाना बनाऊंगी कितने दिनों से घर में आराम करते-करते मैं पक चुकी हूं

अगर काम नहीं करूंगी तो मैं बीमार पड़ सकती हूं

तब रुक्मणी जी बोली मेमसाहब घर में आठ लोगों का खाना तुम अकेली कैसे बना पाओगी

तब काजल बोली मैं इस घर की मालकिन हूं यहां पर मेरा हुक्म चलता है आप जाओ और आराम करो मुझे ही खाना बनाने दो

काजल रसोई घर में खाना पकाने लगी

शाम हो चुकी थी अब तक राजन भी बाहर से घूम कर आ चुका था

टेबल पर सजा हुआ खाना तैयार था

सभी लोग खाने के लिए अपनी-अपनी कुर्सियों पर बैठे थे

तब राजू ने राजन को देखकर कहा साहब इस घर की काजल मालकिन ने हमें जबरदस्ती यहां कुर्सी पर बैठा दिया और कहा कि हम सब लोग एक साथ ही खाना खाएंगे

तान्या भी बोल पड़ी शालिनी ने मुझे घर के बर्तन और कपड़े नहीं धोने दिए सारा काम खुद अकेले ही शालिनी ने किया

राजन ने जब खाना खाया तो खाने की तारीफ करते हुए कहा आज खाने का स्वाद कुछ अलग है तब रुक्मणी जी बोली आज खाना काजल ने बनाया है

सब लोगों ने खाना खाया मगर काजल ने खाना नहीं खाया तब राजन ने पूछा क्या हुआ काजल तुम खाना क्यों नहीं खाती

काजल की आंखों से आंसू बह निकले वह रोते हुए बोली मैं खाना नहीं खाऊंगी मेरे साथ आप लोगों ने धोखा किया है

मेरी मां समान सासू मां कितने दिनों से अकेले ही छह लोगों का खाना नौकरानी बनकर सुबह शाम  बनाती रही कभी चाय कभी कॉफी कभी नाश्ता तैयार करती रही लेकिन इनके चेहरे पर जरा सी भी उदासी ना आई

मेरी नंद एक नौकरानी बनकर मेरे लिए सब कुछ सहती रही

इस घर का छोटा मालिक एक ड्राइवर की जिंदगी जीता रहा

और पिता समान मेरे ससुर जी बगीचे में ही सोते रहे आखिर यह सब क्यों किया आप लोगों ने मुझे आपने पाप का भागी बनाया है मुझे तो नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी

इस घर के सबसे बड़े बेटे राजन यह तो मेरे पति थे इन्होंने भी मुझसे झूठ छिपाया —

आपस में बाते हो ही रही थी कि तभी दरवाजे से

अचानक रमेश शास्त्री बंगले में आ पहुंचे काजल की बात सुनकर पंडित जी ने बताया काजल बेटी कसूर इनका नहीं है कसूर इस समाज का है

लड़की जब जवान होने लगती है शादी लायक होने लगती है

उसे तभी से ही सास के बारे में उल्टा सीधा सिखाया जाता है

दूल्हे की मां खराब बताई जाती है और लड़की की मां दुनिया में सबसे प्यारी बताई जाती है

दुल्हे की बहन को चुड़ैल बताया जाता है और अपनी बहन को दुनिया की सबसे प्यारी परी बताया जाता है

दूल्हे के भाई को जल्लाद बताया जाता है और अपने भाई को हीरे की खान

कुंवारी लड़कियों को ससुराल के बारे में बचपन से ही गलत शिक्षा दी जाती है उसके मन में जहर घोल दिया जाता है ससुराल के खिलाफ ..

इसी कारण शादी होने के बाद लाखों घर तबाह हो जाते है

माता-पिता को तो भगवान बताया जाता है लेकिन सास ससुर को शैतान यही तालीम दी जाती है आजकल छोटी-छोटी बच्चियों को

लेकिन लोग भूल जाते हैं जो किसी के मां-बाप है वह किसी के सास ससुर भी है

एक स्त्री के दो रूप होते हैं एक तरफ वह मां का रोल अदा कर रही होती है और दूसरी तरफ सास का

मां थप्पड़ मार दे तो बेटी चुप रहती है लेकिन सास अगर थोड़ी सी ऊंची आवाज में बात कर दे तो बहू तुरंत गर्म हो जाती है

क्योंकि उसको सिखाया ही नहीं गया की सास भी मां ही होती है ,, उसका आदर करना चाहिए सम्मान करना चाहिए और अगर गलती होने पर कोई बड़ा हमें डांट दे तो इसमें हर्ज ही क्या है

गलती यहां बैठे लोगों की नहीं समाज की है

अपनी बेटियों को संस्कार दे ताकि वह पराए घर जाकर

घर उजाड़ने की नहीं घर बसाने की बात करें

जैसे अपने भाई बहनों से प्यार करती है वैसे ही अपनी नंद और अपने देवर से प्यार करें ।

पढ़ाई के साथ-साथ आजकल की बेटियों को भी संस्कारों की  जरूरत है

मां तो सबको प्यारी है मगर सास भी प्यार की एक मूरत है

बात पूरी होने के बाद

पंडित जी के लिए भी भोजन की व्यवस्था की गई

शालिनी ने पंडित जी से कहा अब आप मेरे लिए कोई बड़ा सा घर देखिए जिसमें नंद  देवर और सास ससुर जी हो इनके बिना परिवार अधूरा है

पंडित जी ने फिर अपनी बात कही

इस समाज में

सीताराम जैसे ससुर सब घर में मौजूद हैं लेकिन  बहुएं उन्हें पहचान ही नहीं पाती

रुक्मणी जैसी सास सब घर में मौजूद है लेकिन बहुएं उन्हें पहचान ही नहीं पाती

तान्या जैसी नंद सब घर में मौजूद है लेकिन भाभियां उन्हें पहचान ही नहीं पाती

राजू जैसे देवर सब घर में मौजूद है लेकिन भाभियों उन्हें पहचान ही नहीं पाती

करोड़ों की आबादी वाले भारत में सास – बहू के झगड़ों की छुटपुट खबरों को देखकर हताश नहीं होना चाहिए क्योंकि

वहां शिक्षा और संस्कार का अभाव रहा होगा ।।

लेखक – नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

दिल्ली से

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!