शर्मा जी की पत्नी निर्मला अपने छोटे बेटे की शादी को लेकर बहुत परेशान थी. कितनी सारी लड़कियों का फोटो देखा लेकिन एक भी लड़की उन्हें अपने बेटे के लिए बहू के रूप में पसंद नहीं आ रहीथी. निर्मला जी ने अपने छोटे भाई से भी अपने भांजे की शादी के लिए लड़की देखने के लिए बोला हुआ था.
तभी निर्मला जी के भाई मोहन का फोन आया निर्मला दीदी मैं आज शाम को रिश्ते की बात के लिए किसी को लेकर आ रहा हूं. निर्मला ने अपने भाई से कहा, “मोहन, अचानक से तुम पहले कम से कम बता तो देते घर साफ सुथरा कर देती अब तो बड़ी बहू भी नहीं है उसे भी स्कूल से आते 4:00 बज जाते हैं. मोहनलाल ने कहा कोई बात नहीं हम शाम को इसलिए आ रहे हैं शाम को घर पर सब मिल जाएंगे।
मोहन के फोन रखते ही निर्मला ने अपनी बड़ी बहू को फोन मिलाया और कहा बहु हो सके तो आज जल्दी आना रमेश के रिश्ते की बात करने के लिए लड़की वाले आ रहे हैं. बड़ी बहू रमा ने कहा ठीक है मां जी कोशिश करुँगी जल्दी आ जाऊं।
शाम होते ही मोहन ने लड़की के पिताजी को लेकर आ गया, बातचीत हुआ सबने लड़की की फोटो देखा और पहली नजर में ही सबको लड़की पसंद आ गई अगले सप्ताह संडे को लड़की देखने की लिए लड़की के घर पर जाने के लिए 3:00 बजे टाइम फिक्स हो गया था.
शाम के 8:00 बजे दुकान बंद करके निर्मला के पति महेश चंद और बेटा राहुल जैसे ही घर आए निर्मला जी ने सबसे पहले अपने पति को फोटो दिखाया। वैसे तो फोटो व्हाट्सएप पर महेश चंद जी को और अपने बेटे राहुल को भी भेज दिया था. अपनी शादी की बात सुनकर राहुल बहुत गुस्से में था. राहुल घर आते ही बोला मम्मी आपने अपने मन से मेरी शादी कैसे तय कर दी क्या आपने मुझसे एक बार भी पूछने की जहमत नहीं उठाई और सीधे लड़की देखी और शादी फिक्स कर दी.और तो और लड़की देखने के लिए हां कर दी एक बार भी पूछ लिया होता कि मुझे लड़की पसंद है या नहीं।
तभी राहुल के पिताजी महेश चंद बोले ,”बेटा इसमें तुमसे क्या पूछना क्या हम तुम्हारे लिए गलत लड़की ढूंढेंगे अगर गलत लड़की से ही शादी करना होता तो अब तक कब का कर चुके होते, तुम्हारी मां ने तुम्हें पता नहीं है कितनी सारी लड़कियों के फोटो देखने के बाद इस लड़की को पसंद किया है. “
राहुल ने साफ-साफ कह दिया कि मुझे शादी नहीं करनी है. और अपने कमरे में चला गया. राहुल जब अपने कमरे में चला गया तब राहुल की बड़ी भाभी सीता कमरे में गई और बोली राहुल क्या बात है इतनी अच्छी तो लड़की है तुम क्यों मना कर रहे हो शादी करने से. राहुल ने अपनी भाभी से कहा मैं एक लड़की से प्यार करता हूं और मैं उसी से शादी करना चाहता हूं. सीता ने कहा देवर जी अगर ऐसी बात थी तो पहले बता देना चाहिए था ना माँ जी कब से परेशान थी आपकी शादी करने के लिए कहां-कहां नहीं लड़की देखा। राहुल ने कहा अगर कोई मुझसे पूछे तब तो बताऊंगा ना. क्या मैं अपने आपसे कहूं कि मैं शादी करने जा रहा हूं.
सीता ने जाकर अपनी सास से कहा कि राहुल किसी लड़की से प्यार करता है और वह उसी से शादी करना चाहता है.
निर्मला जी यह सुनकर बहुत गुस्सा हुई जब उसने लड़की पहले से ही पसंद कर लिया था तो मुझे बता देता लेकिन मैं जब तक लड़की नहीं देखूंगी मैं शादी नहीं होने दूंगी. अगर उसे अपने पसंद से करना है तो कंही जाकर कर ले.
राहुल ने वीडियो कॉलिंग कर अपनी गर्लफ्रेंड आशा से अपने घर वालों की बात कराइ. राहुल के घर वाले को आशा पसंद आ गई. फोन काटने के बाद राहुल की मां ने कहा, “देखो भाई ठीक है तुमने लड़की तो पसंद कर ली है हम शादी भी करने के लिए तैयार हैं लेकिन बिना दहेज के नहीं करेंगे इसमें तुम कुछ भी नहीं बोलोगे। राहुल चुपचाप था वह सोच रहा था कैसे भी करके शादी हो जाए.
अगले दिन आशा के पिताजी राहुल के घर पर शादी की बात करने के लिए आए. जब दहेज की बात आई तो आशा के पिताजी ने दहेज देने से इनकार कर दिया। लेकिन राहुल के जिद के कारण राहुल के घर वालों को आशा से शादी करनी पड़ी।
अगले 6 महीने में ही राहुल और आशा की शादी हो गई आशा आप अपने ससुराल में आ गई थी. घर में जब तक मेहमान थे तब तक तो आशा से कोई कुछ भी नहीं कहता था. जैसे ही सारे मेहमान चले गए. उसके अगले दिन ही आशा के सास निर्मला जी आशा के कमरे में गई और जाकर बोली बहू सूरज कब का निकल चुका है अब तक कोई सोइ रहोगी क्या? सुबह सुबह सबको चाय पीने की आदत है आज तो देर से उठ गई कल सुबह 6:00 बजे के पहले ही चाय बनाकर सबको दे देना और हां बड़ी बहू भी 8:00 बजे तक अपने स्कूल पढ़ाने चली जाती है उसका भी नाश्ता 8:00 बजे तक बन जाना चाहिए।
अभी तो आशा के ठीक से मेहंदी के रंग भी नहीं छूटे थे. आशा जो सुबह 6:00 बजे सो कर उठी थी रात के 12:00 बज जाते थे फिर भी उसके काम खत्म नहीं होते थे इसी हुए इसी टेंशन में होती थी कल सुबह जल्दी उठना है नहीं तो नींद भी नहीं खुलेगा। आशा तो यह भूल ही गई थी कि उसकी नई नई शादी हुई है. कितने सपने संजोए थी शादी होने के बाद हनीमून के लिए शिमला जाएगी लेकिन यहां तो जब से शादी हुई है इस घर से भी एक दिन बाहर नहीं निकली शिमला तो जाने की दूर की बात है. कभी-कभी तो वह सोच रही थी इस घर में बहू के रूप में आई है या एक नौकरानी के रूप में. क्या लड़की की शादी इसलिए होती है कि वह अपने मायके से जाकर ससुराल की नौकरानी बन जाए. क्या-क्या सपने संजोए थे आशा ने। आशा भी टीचर बनना चाहती थी लेकिन उसे अब लग नहीं रहा था यहां रह कर पढ़ाई भी कर पाएगी क्योंकि घरवालों के रंग ढंग देखकर तो यही लगता था.
एक दिन तो रात में उसने अपने पति राहुल से कह दिया राहुल ऐसा नहीं हो सकता है कि हम लोग किसी दूसरी जगह रेंट पर घर लेकर रहे यहां तो मैं सुबह से शाम तक सिर्फ काम ही काम करती हूं. राहुल ने कहा तो फिर तुम क्या कहना चाहती हो. क्या तुम यह चाहती हो? अपने मां-बाप से और भाई से अलग हो कर कहीं और रहूं। इस दुनिया की सारी औरतें तो यही सब करती है ससुराल में एक लड़की क्या करती है घर की देखभाल करती है और फिर भाभी भी तो सुबह से शाम तक नौकरी करने जाती हैं और शाम के आने के बाद भी घर के काम में भी हाथ बटाती हैं.
आशा समझ गई थी कि अपने पति से भी कुछ कहना बेकार है वह अपनी जिंदगी को अपनी नियति समझ कर जीने लगी थी.
आज सावन का पहला सोमवार था आशा ने व्रत रखा हुआ था सुबह-सुबह तो सबको नाश्ता करा कर थोड़ी देर आराम कर लेती हूं फिर लंच बनाऊंगी।
अभी आशा बिस्तर पर लेटी ही थी तभी आशा की सास की आवाज आई, बहू दो कप चाय लेकर आना मेरी सहेली उर्मिला आई है और हां वह बेकरी वाली बिस्कुट भी लेकर आना. आशा ने सुबह से कुछ खाया नहीं था पूरे शरीर में थकान हो गया था और सिर में भी दर्द से उसका हाल और भी बुरा हो गया था लेकिन इस घर में आशा की दुख दर्द कोई समझने वाला नहीं था.
आशा जैसे ही चाय लेकर अपने सासु मां के कमरे में पहुंची। आशा की सास किसी मंदिर के घंटे की तरह जोर जोर से बजने लगी. तुम्हारे मायके वाले ने कौन सा मेरा घर भर दिया है जो रानी की तरह अपने रूम में जाकर आराम फरमा रही होती है बड़ी बहू को देख एक तो इतना ज्यादा दहेज भी लेकर आई है और नौकरी भी करने जाती है महीने के आखिर में आधे तनख्वाह का पैसा मुझे दे जाती है बहू हो तो “बड़की बहू” जैसी। शादी से पहले तुमने कहा था कि मास्टर डिग्री लिया है तुम्हारे मास्टर डिग्री का क्या फायदा जब एक रुपए कमा ही नहीं रहे हो तो.
इतना सुनकर आशा के आंखों से आंसू टपक कर के जमीन पर गिरने लगे रुंधे हुए गले से बस इतना ही कह पाई मां जी आज सावन का प्रथम सोमवार था इसलिए मैंने व्रत रखा हुआ था सिर में दर्द हो रहा था इसलिए थोड़ा आराम करने चली गई थी.
आशा के कमरे से बाहर जाते ही निर्मला की सहेली ने कहा, “आजकल की बहुओं का यही हाल है बहानेबाजी करती रहती हैं घर का कोई काम ना करना पड़े एक हमारा जमाना था सास को एक बार भी टोकने का मौका नहीं देते थे और आजकल की बहुएं झट से जवाब दे देती हैं.
आज आशा के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचा था उसने मन में सोच लिया था अब बहुत हो गया अब वह भी जॉब करेगी, आखिर उसने भी तो इतनी पढ़ाई की थी. आज मेरी जेठानी जॉब करने जाती हैं तो उनको घर में सब इज्जत से बात करते हैं.
शाम होते ही आशा की जेठानी जैसे ही स्कूल से घर आती थी आशा तुरंत पानी और चाय बना कर देती थी. आज आशा की जेठानी घर पर आ गई लेकिन आशा न पानी और ना ही चाय देने आई. आशा की जेठानी को जब उसकी देवरानी आशा कहीं दिखाई नहीं दी तो वह उसके कमरे के अंदर चली गई, अंदर गई तो देखी, आशा अपने बेड पर सोई हुई थी और रो रही है.
आशा की जेठानी ने आशा को अपने गोद में लेकर कहा क्या हो गया बहन, क्यों रो रही है? आशा ने दोपहर की सारी बातें अपनी जेठानी से बता दी कि आप तो जानती हैं भाभी कि मैं पूरे दिन काम करती हूं फिर भी सासु माँ ताने मारती रहती हैं.
आशा की जेठानी ने कहा, “अरे पगली तू सासु मां की बातों का बुरा मान गई वह तो ऐसी ही है मैं भी जब नई-नई शादी करके आई थी तो मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा था लेकिन उसके बाद मेरी नौकरी लग गई और फिर मैं घर में मुझे टाइम ही कहां रहता है कि मैं रहूं। मैं तो कहती हूं तुम भी नौकरी कर लो मेरे स्कूल में ही एक टीचर का पद खाली है तनख्वाह तो ज्यादा नहीं दे पाएंगे लेकिन तुम कहो तो बात करु..
आशा ने एक पल में ही हाँ कह दिया क्योंकि अब वह आत्म सम्मान से जीना चाहती थी. आशा की जेठानी ने उसी समय प्रिंसिपल को फोन लगाकर बताया कि मेरी देवरानी है आप बोले तो कल इंटरव्यू के लिए साथ ही लेकर आ जाऊं। स्कूल की प्रिंसिपल ने हां में जवाब दिया।
उसके बाद आशा की जेठानी ने आशा से कहा, मैं भी स्कूल के चक्कर में घर के कामों में तुम्हारा हाथ नहीं बटा पाती हूं क्योंकि अभी एग्जाम खत्म हुआ था तो घर आकर भी स्कूल के बच्चों के पेपर जांच करने होते हैं. तुम तो अपना बिल्कुल ही ख्याल नहीं रखती हो शादी करके आई थी तो कितनी कोमल फूल की तरह लगती थी अब तो ऐसे लगती हो जैसे इस गुलाब के पेड़ में सिर्फ कांटे ही कांटे बच गए हैं.
तभी आशा ने कहा नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है आज मैं व्रत हूं इसलिए ही चेहरा ऐसा लग रहा है और सिर दुःख रहा है.
देखो भाई अब कुछ खाओगी नहीं तो सिर तो दुखेगा ही ना. चलो अब जल्दी से बाहर चलो मैं तुम्हारे लिए एक अच्छी सी गरमा-गरम चाय बना कर ला रही हूं और फिर हम दोनों मिलकर पिएंगे साथ में सासू मां को भी पिलाएंगे फिर देखना तुम्हारा सिर दर्द कैसे चुटकियों में गायब हो जाता है.
शादी के बाद आज पहली बार आशा को ऐसा लग रहा था जैसे उसके जले हुए घाव पर किसी ने मरहम लगा दिया हो.
अगले दिन आशा इंटरव्यू देने गई और स्कूल में उसका सिलेक्शन हो गया. फिर क्या था उसके बाद वह भी अपनी जेठानी के साथ स्कूल जाने लगी. आशा की जेठानी और आशा दोनों मिलकर सुबह-सुबह जल्दी-जल्दी घर वालों के लिए नाश्ता बनाते और फिर एक साथ ही स्कूल चले जाते. अब दोनों देवरानी जेठानी मिलकर साथ रहने लगी.
आशा को भी जितना तनख्वाह मिलता था उसमें से आधे पैसे अपने सास को दे देती थी अब उसकी सास भीआशा से सही से बात करती थी.
दोस्तों इस कहानी को लिखने का मकसद यह है कि आपको अपने आत्मसम्मान की रक्षा स्वयं करना पड़ेगा कोई दूसरा नहीं करने आएगा.आप अगर किसी और के भरोसे बैठेंगे तो वही लोग आप पर ताने मारेंगे इसीलिए आत्मनिर्भर बनिए और दूसरे को भी प्रोत्साहित कीजिए।