“ये क्या कैसे तैयार हुई है! तू भी ना किस फ़ूहड़ को पत्नी बनाकर ले आया है,ये एक कॉरपोरेट पार्टी है, और उसमें शगुन ऐसे जायेगी, मेरी तो नाक ही कट जायेगी, लोग कहेंगे बहू से ज्यादा तो सास मॉर्डन लग रही है, अभि इसे थोड़ी तो मॉर्डन ड्रेस दिला दे और ढंग से रहने का सलीका सीखा, ऐसे तो ये इस घर में नहीं रह पायेगी, नीलम जी ने गुरूर से अपनी बहू को कहा।
“मम्मी, शगुन इतनी अच्छी तो लग रही है, लाल अनारकली सूट में खिल रही है, और लंबे लहराते बाल से गजब का कहर ढा रही है, इसकी इसी सुंदरता और सादगी पर मै फिदा हो गया था, और अब इसे ही बदल दूं, ये तो ठीक नहीं होगा, मेरी पत्नी सबसे अलग है और मुझे इसे पार्टी में ले जाते हुए कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं हो रही है।
अपने बेटे अभि का जवाब सुनकर नीलम जी चुप हो गई, जब पति ही पत्नी की तरफ बोले तो किसी दूसरे की हिम्मत नहीं है वो कुछ कहें। पूरे रास्ते नीलम जी चुप बैठी रही, मन ही मन सोचती रही, मेरी बात नहीं मानी और इस गंवार से शादी कर ली, मेहता जी की बेटी टीना से शादी करता तो वो हमारे साथ उठने-बैठने लायक तो होती, इसके साथ जाने से तो मुझे शर्म ही आती है,ये तो हमारी आज नाक ही कटवा देगी, मेरे गुरूर को बड़ी चोट
पहुंची है, अभि ने तो मेरी बात नहीं मानी, पर अपने छोटे बेटे राहुल के लिए मै टीना जैसी ले आऊंगी…. अरे!! टीना जैसी क्यों!! टीना ही लेकर आ जाऊंगी, घर भी अच्छा है और टीना पैसे वाली भी है, मुझे भी बहुत पसंद है, मन ही मन खुश होती रही और उन्होंने शगुन से थोड़ी भी बात नहीं की। उनके हिसाब से शगुन अनारकली सूट में बहन जी टाइप लग रही थी।
सब पार्टी में पहुंचे गये, अभि शगुन का हाथ पकड़कर अन्दर गया, शगुन को देखकर सबके मुंह से वाह-वाह निकल रहा था, सब दोनों नये शादीशुदा जोड़े को शुभकामनाएं और आशीर्वाद दे रहे थे, अभि को बिजनस में बड़ी सफलता मिली थी, इसीलिए नीलम जी ने ये पार्टी रखी थी।
वो खुद महंगा गाऊन पहनकर आई थी तो उन्हें अपनी बहू सामान्य सी लग रही थी। जब पार्टी में शगुन के सूट और उसकी तारीफ हो रही थी तो नीलम जी से ये बर्दाश्त नहीं हो रहा था। थोड़ी देर में मॉर्डन कपड़ों में टीना अपने पापा के साथ आ गई तो नीलम जी ने उनसे सहमति ली और राहुल के साथ टीना की सगाई की घोषणा कर दी, पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
घर आकर राहुल ने कहा, ‘मम्मी अचानक टीना से मेरी सगाई क्यों करवा रही है, पहले हम एक-दूसरे को जान तो लें, हमने सिर्फ बिजनस की ही बातें की है, कभी घर-परिवार और रिश्तों की कोई बात नहीं की, ये सुनकर नीलम जी ने चुप करवा दिया, ‘मै नहीं चाहती कि तू भी अभि के जैसी कोई गंवार घर में उठाकर ले आयें, मुझे मेरे बराबर स्टेटस वाली बहू चाहिए, जो मेरे साथ किटी पार्टी और बाहर उठ-बैठ सकें, और सबके बीच मेरा गुरूर बना रहें।
राहुल अपनी मम्मी की बात का विरोध नहीं कर पाता था और उसकी सगाई तय कर दी गई, नीलम जी टीना को बहू रूप में देखने के लिए बहुत उत्साहित थी।
अगली सुबह नाशते की टेबल पर नीलम जी चिल्लाकर बोली,” ये क्या तुझे थोड़ी भी अक्ल नहीं है, हम नाशते में ब्रेड-बटर खाते हैं और तूने ये घी के परांठे और आलू की सब्जी बना दी, अभि तो इन्हें छुयेगा भी नहीं, इतना घी हमें नुकसान करेगा।
शगुन चुप थी, तभी अंदर से अभि आकर बोलता है,”मम्मी शगुन को मैंने ही परांठे सेंकने को बोला है, रोज ब्रेड बटर खाकर मै उकता सा गया हूं, आपको ऑफिस जाने की जल्दी होती है तो आपको समय नहीं मिलता है, इसीलिए मैंने शगुन को कहा कि मुझे ये खाना है, तो उसने बना दी, वैसे आप ब्रेड बटर भी खा सकती है, फ्रिज में रखा हुआ है।
नीलम जी कुछ नहीं बोली उन्हें भी परांठे खाकर अच्छा लगा था पर वो हर बार शगुन का अपमान कर रही थी और उसे नीचा दिखाने में उन्हें मजे आ रहे थे।
उन्हें अपने स्टेटस और पैसों का बड़ा गुरूर था।
अभि एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवार का बड़ा बेटा है और अपनी मां नीलम जी के साथ कपड़ों का बिजनेस करता है, अभि के पापा के बाद नीलम जी पर ही सारा भार आ गया था, उन्होंने रसोई और घर छोड़कर सिर्फ अपने बिजनेस पर ध्यान दिया क्योंकि दोनों बेटे छोटे थे, उन्हें पालना था, अपने पैरों पर खड़े होना था।
बिजनस करते-करते उनमें भी बहुत बदलाव आया, उनके रहने का ढंग और सोच भी बदल गई, अभि और राहुल ने अपनी पढ़ाई पूरी की और घर के बिज़नस में ही लग गएं। उनकी मेहनत का परिणाम था कि बिज़नस अच्छे से सेट हो गया था।
अब नीलम जी को अभि की शादी की चिंता हुई, उन्होंने कई जगह लड़कियां देखी पर उन्हें कोई पसंद नहीं आई। टीना के लिए वो अभि का रिश्ता भेजने वाली थी कि एक सुबह उन्होंने देखा कि अभि मंदिर से आ रहा है। उसके साथ में शगुन भी गले में माला डाले हुए थी।
“मम्मी, मैंने अपने बचपन के प्यार से मंदिर में शादी कर ली है, आपको कहता तो आप कभी नहीं मानती, मैंने सोचा शादी करके आऊंगा तो आप मना नहीं कर पायेगी।
नीलम जी को बहुत बुरा लगा, वो तो सोचकर बैठी थी कि टीना और अभि की शादी होगी तो उन्हें बिजनस में फायदा होगा, साथ में टीना इकलौती बेटी भी है तो बहुत सारा दहेज लेकर आयेगी और उसकी दौलत भी उन्हें ही मिल जायेगी, पर अभी ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया, शगुन उनके पुराने पड़ौसी की बेटी है जो चार बहनों में सबसे बड़ी है, उसके पापा स्कूल में सामान्य टीचर हैं, जो किसी तरह बस अपना परिवार चला रहे थे।
दोनों के रिश्ते को स्वीकारने के अलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं था, शगुन सामान्य घरेलू लड़की थी जिसे घर के सभी काम आते थे और नीलम जी चाहती थी उनकी बहू मॉर्डन तरीके से रहने वाली और पैसे वाली हो।
बस शगुन घर में तो आ गई पर नीलम जी उससे चिढ़कर ही रहती थी, नीलम जी खुद बिज़नस में व्यस्त रहती थी तो घर और रसोई नौकरों के भरोसे चल रहे थे पर अब शगुन ने आकर सब कुछ संभाल लिया था।
अभि और शगुन में बहुत अच्छी बनती थी,नीलम जी ने अभी भी शगुन को मन से बहू नहीं स्वीकारा था।
नीलम जी टीना और राहुल की शादी की तैयारियां बहुत जोर-शोर से कर रही थी, आखिर उनकी पसंद की बहू जो घर आ रही थी,और साथ में दहेज भी मिलने वाला था। टीना अपने साथ बहुत सा दहेज़ और महंगी वस्तुएं, कपड़े और गहने लाई थी। नीलम जी ने शादी के बाद अपने ऑफिस में भी पार्टी दी, लेकिन वो टीना की शॉर्ट ड्रेस देखकर हैरान रह गई,” टीना तुम हनीमून पर नहीं जा रही हो, ऑफिस में कई बड़े लोग भी होंगे, ये तुम्हारी शादी की पार्टी है, थोड़ा लंबा ड्रेस, महंगा वाला गाऊन ही पहन लेती, ये सुनकर टीना बोली,” सासू मां आपने भी गाऊन पहना है, मै भी पहनती तो सास-बहू में कुछ अंतर नहीं रह जाता, फिर मै इस ड्रेस में कंफर्टेबल हूं तो आपको परेशानी क्यों हो रही है? नीलम जी ने चुप रहना बेहतर समझा।
अगली सुबह टीना नौ बजे तक भी नहीं उठी और राहुल के ऑफिस जाने का समय हो गया था, शगुन ने सबके लिए नाश्ता बना दिया, पर टीना उठकर नहीं आई।
नीलम जी ने उठाना चाहा तो वो गुस्से से बोली,” सासू मां आपको मुझसे क्या काम है? मेरे पापा ने बहुत पैसा दिया है, एक नौकर रख लो पर मुझे तंग मत करो,और उसने दरवाजा बंद कर लिया।
नीलम जी ऑफिस चली गई, दोपहर को नौकर लंच दे गया, बड़ी भाभी ने खाना बनाकर भेजा है, बाहर का मत खाना, वरना नुकसान करेगा। नीलम जी ने लंच बॉक्स खोलकर देखा, दाल, रोटी, सूखी सब्जी, सलाद, चावल सभी कुछ था, घर का खाना और वो भी बहू के हाथ का खाना खाकर उनकी आत्मा तृप्त हो गई, अब
उन्हें अभि की पसंद पर नाज होने लगा, लेकिन उन्होंने कभी अभि और शगुन को बताया नहीं कि वो शगुन को पसंद करने लगी है, शगुन घर में सबका ख्याल रखती थी, टीना कमरे से बाहर नहीं निकलती थी, फिर भी वो अपने देवर राहुल का ध्यान रखती थी।
एक दिन फोन आया कि शगुन के पापा बीमार है तो वो तबीयत पूछने मायके चली गई। वहीं पीछे से नीलम जी की कार का एक्सीडेंट हो गया और वो बिस्तर पर आ गई।
अगली सुबह नाश्ते का समय हुआ तो टीना ने सबको ब्रेड-बटर पकड़ा दिया, आज नीलम जी को महसूस हुआ कि मैंने शगुन की कदर नहीं की तो टीना भी मेरी कदर नहीं करती है, दो दिन से बाहर से खाना आ रहा है, जिसकी आदत लगभग छूट चुकी थी, शगुन सबके लिए मन से खाना बनाती थी।
दोपहर को दवाई लेनी थी, उन्होंने टीना को आवाज लगाई तो टीना ने नर्स से बोला,” मै टीवी देख रही हूं, जाओं अन्दर जाकर उस बुढ़िया को संभाल लें।
ये सुनकर उन्हें बहुत बुरा लगा, टीना उनके कमरे में आती ही नहीं थी, और अगली सुबह वो राहुल को लेकर अपने मायके चली गई ताकि उसे सास की सेवा नहीं करनी पड़े।
नीलम जी के एक्सीडेंट की खबर सुनते ही शगुन बेचैन हो गई, और वापस ससुराल आ गई।
अभि ने कहा भी कि,” तुम अपने पापा को छोड़कर मेरी मम्मी की सेवा करने आ गई”?
“हां, अभि पापा पहले से ठीक है, और वहां उनकी सेवा करने के लिए मेरी तीनों बहने हैं, मम्मी है, लेकिन इधर तो मम्मी जी अकेली है, आप दोनों तो ऑफिस चले जाओगे, फिर मम्मी जी को कौन संभालेगा? वो घर की बड़ी है, इस घर की मालकिन है तो उन्हें नर्स के भरोसे तो नहीं छोड़ा जा सकता है, और अब वो मेरी भी मम्मी है।
नीलम जी ने ये सब सुना तो उनका दिल भर आया, जिस बहू का इतना अपमान किया, दिन-रात तानें दिए, हर वक्त कमी निकाली, आज वो ही बहू उनकी सेवा के
लिए तत्पर है, नर्स से बढ़कर उनका ख्याल रख रही है, नीलम जी को आत्मग्लानि महसूस हो रही थी, और उनका पैसों का गुरूर भी चूर-चूर हो गया था।
कुछ दिन मूसलाधार बारिश हो गई, शहर के सारे रास्ते जाम हो गये, सभी सेवाएं बाधित हो गई, तो नर्स भी नहीं आई, अब नीलम जी के सारे काम शगुन करने लगी, वो उन्हें प्यार से नहलाती उनको कपड़े पहनाती और उनके बाल भी बनाती थी, उनको समय पर दवा भी देती थी। एक रात शगुन उनके कमरे में आई और बोली,”मम्मी जी वो नर्स अभी कुछ दिन और नहीं आयेगी, बारिश में उसका घर टूट गया है, तब तक मै आपके कमरे में रहूंगी”।
लेकिन अभि को बुरा लगेगा, तुम उसे छोड़कर मेरे कमरे में कैसे रह सकती हो? उन्होंने कहा।
“मम्मी जी, मै अभि से लड़कर आपके कमरे में नहीं
आ रही हूं, ये हम दोनों ने आपसी सहमति से फैसला लिया है, वो हंसते हुए बोली।
मै आपका ख्याल रखूंगी, नर्स का फोन आया था उसे अभी वक्त लगेगा और नई नर्स भी जगह-जगह पानी भरा हुआ है उस वजह से नहीं आ पायेगी।
फिर वो हिचकते हुए बोली,”शगुन, जो दैनिक काम में बिस्तर पर करती हूं वो तो नर्स ही करवा पायेगी, शगुन समझ गई और बोली,” नहीं मम्मी जी मै कर लूंगी, मैंने आपको अपनी मां माना है तो बेटी होने के नाते मै सब काम कर लूंगी, आप तो बस जल्दी से अच्छे हो जाइये” शगुन ने मुस्कराकर कहा।
नीलम जी की आंखें भर आईं, ‘बहू मुझे माफ कर दें, अब मेरा गुरूर टूट गया है, मैंने तेरे साथ इतना बुरा किया, तेरे मम्मी -पापा को बुरा भला कहा, हमेशा दहेज ना लाने का ताना दिया, हमेशा तेरे कपड़ों का मजाक बनाया, तुझे गंवार कहकर तेरा अपमान करती रही, और आज तू मेरी इतनी सेवा कर रही है, मेरी अपनी पेट की बेटी होती तो शायद वो भी नहीं करती, मैंने हमेशा दहेज और दिखावे को चाहा था, मै अभि के लिए टीना को लाना चाहती थी, पर अभि ने तुझे पसंद कर लिया, बस ये ही बात मुझे अखर रही थी। मैंने टीना को नहीं उसके पैसे और स्टेटस को चाहा था, आज टीना मुझे इस हाल में छोड़कर राहुल को लेकर अपने मायके चली गई है, उसे लग रहा होगा कि मै तो बिस्तर पर आ गई हूं, तो अब मेरी सेवा क्यों करें? उसे अपनी आजादी, किटी पार्टी और घूमना फिरना जो पसंद है, जब मै उससे पैसे के कारण जुड़ी थी तो वो मेरे दिल से कैसे जुड़ेगी? मेरे दर्द को क्या समझेगी?
मैंने सिर्फ पैसा देखा और अभि ने तेरे गुण देखे तभी तो तू घर को संभाल लेती है, मुझे संभाल रही हैं। टीना और तुझमें कितना बड़ा फर्क है, वो मुझे इस हाल में छोड़कर मायके चली गई और तू मेरा हाल सुनकर मायके से दौड़कर आ गई”।
“मम्मी जी, आप ज्यादा मत सोचिए,आपकी तबीयत और खराब हो जायेगी, मै सब संभाल लूंगी, आप दवाई खाकर आराम कीजिए, शगुन ने कहा।
शगुन की कुछ महीनों की मेहनत और डॉ की दवाई से नीलम जी ठीक हो गई, वो पहले की भांति चलने फिरने लगी और ऑफिस जाने लगी।
एक दिन सब घर पर बैठकर खाना खा रहे थे तो, राहुल और टीना आ गये।
” मम्मी जी, आप ठीक हो गई, मुझे बहुत खुशी हुई, आप चिंता मत करें, राहुल और मै कल से यही रहने आ जायेंगे”।
ये सुनते ही नीलम जी बोली,”बहू अब यहां आने की जरूरत नहीं है, मेरे पास अभि और शगुन है, तुम दोनों अपने पापा के ही पास रहो, और अब सारा बिजनस अभि और मैं संभाल लेंगे, मेरा तो अपना बेटा मुझे दुख में छोडकर चला गया तो मै तुमसे क्या कहूं? और हां अब इस घर में इस बिजनस में तुम दोनों का कोई अधिकार नहीं है, कोई हिस्सा नहीं है, अब तुम दोनों यहां से जा सकते हो”।
राहुल और टीना चले गये, नीलम जी अभि और शगुन के साथ सुखपूर्वक रहने लगी।
पाठकों, पैसा जरूरी चीज है पर जब पैसा हो और पास में कोई अपना ना हो तो वो भी बेकार लगता है, जब इंसान दुखी होता है, लाचार होता है तो अपने ही काम आते हैं, जिंदगी में जो लोग पैसो, स्टेटस का गुरूर करते हैं, वो टूट ही जाता है।
#गुरूर
अर्चना खंडेलवाल
मौलिक अप्रकाशित रचना