एक औरत के लिए उसके पति की खुशी और उनके मान सम्मान से बढ़ कर कुछ नही होता पर क्या एक पति भी अपनी पत्नी के मान सम्मान की रक्षा अपने ही घर में कर पाता है?
कामिनी जी और उनके पति पंकज जी का इकलौता बेटा अभिनव जो उनकी शादी के ६ साल बाद बड़ी मन्नतों से उनके जीवन में आया था अपने माता पिता का बहुत लाडला था।
उन दोनो ने बचपन से ही अपने बेटे की हर इच्छा पूरी करी और उसको बहुत ही प्यार से पाला। कामिनी जी और पंकज जी ने अभिनव के हर शौक तो पूरे करे ही और साथ ही उसको अच्छे संस्कार भी दिए।
अभिनव भी अपने माता पिता का बहुत सम्मान करता और उनकी हर बात मानता। जैसे जैसे अभिनव बड़ा होने लगा कामिनी
जी उसके लिए अपनी पसंद की बहु लाने के सपने मन ही मन संजोती रही और अपनी ही सहेली की बेटी दीक्षा को उन्होंने मन ही मन अपनी बहु मान लिया।
कामिनी जी की इच्छा के विरुद्ध अभिनव को कॉलेज में साथ पढ़ने वाली मोहिनी पसंद थी। मोहिनी जो एक चंचल स्वभाव की परंतु एक बहुत समझदार लड़की थी
पर मोहिनी घर के काम में उतनी निपुण नही थी। पर लाडले बेटे अभिनव के प्यार के सामने कामिनी जी को अपनी पसंद पीछे कर अभिनव की पसंद मोहिनी से अभिनव की शादी करानी पड़ी।
पर कहीं न कहीं उनके मन में बसी दीक्षा की छवि से मोहिनी अलग थी और इसी बात से कामिनी जी मन ही मन मोहिनी से खुश नहीं थी और उसको अपने बेटे की जिंदगी से निकालने की साजिश रचने लगी।
और ऐसा ही उन्होंने उस दिन भी किया। मोहिनी शादी के बाद पहले दशहरे पर पूजन की तैयारी में लगी थी की तभी उसकी सास कामिनी जी ने तमाशा करते हुए
उससे कहा की बहु मेरा वो पैंडल सेट वापस कर जो मैने तुझे पंद्रह दिन पहले पहनने के लिए दिया था जब तू मेरे भाई के घर गई थी।
मोहिनी जो पहले ही वो पैंडल सेट अपनी सास को वापस कर चुकी थी सोच में पड़ गई कि आखिर उसकी सास उस पर ऐसे झूठा इल्जाम क्यों लगा रही है।
मोहिनी के लाख बार बोलने पर भी कामिनी जी इस बात को मानने को तैयार नहीं थी और त्योहार की खुशी छोड़ कर वो ये ही हंगामा करती रही। बार बार समझाने पर भी जब कामिनी जी
ने उसकी एक भी बात नही मानी तो उसने अपने पति अभिनव को अपनी बात कही। अभिनव (जो अपनी मां को बखूबी जानता था कि वो झूठ बोल रही है और उनकी मंशा क्या है )
अपनी मां के सामने अपनी पत्नी मोहिनी का साथ न देते हुए बोला के तुम सास बहू की बात है तुम खुद ही सुलझाओ और वहां से चला गया।
कामिनी जी मोहिनी पर इल्जाम लगाते हुए बोली के मेरे बेटे से क्या कहती है जरूर वो तूने अपने घर दे दिया होगा। जा अपने घर जा और वो सेट वापस ले कर आ वरना तू भी मत आना।
मोहिनी जो एक समझदार लड़की थी उसने बोला के जब तक वो सेट नही मिल जाता वो कहीं नही जाएगी और जरूरत पड़ने पर अपने भाई को
ही यहीं बुला लेगी। कामिनी जी मन ही मन सोचने लगी के अगर इसका भाई यहां आया तो कहीं बात ज्यादा न बढ़ जाए और उनकी चाल उनको ही भारी न पड़ जाए
इसलिए थोड़ी देर में बहाना बनाते हुए वो सेट अपनी अलमारी से निकाल कर बाहर लाई और बोली के वो ही रख कर भूल गई थी और कोई बात नही बात जाने दे।
मोहिनी जो खुद को निर्दोष साबित करने में तो सफल रही पर उसके आत्म सम्मान को जो ठेस पहुंची उसके लिए जब उसने अपने पति और सास से जवाब मांगा तो उसका
पति अभिनव बोला की घर में क्या सम्मान और क्या बेइजती। कोई बात नही सेट तो मिल गया अब तुम बात जाने दो और मेरी मां से बहस करने के लिए उनसे माफी मांग कर बात खत्म करो।
मोहिनी जिसकी नई-नई शादी हुई थी वो अपने पापा और भाई को ये बात बता कर बात को बढ़ाना नही चाहती थी
इसलिए अपने पति के कहने पर बहु मोहिनी आंखों में आसूं भर अपनी सास कामिनी जी के पैरो में झुक गई।
सांची शर्मा
हरिद्वार
स्वरचित एवं अप्रकाशित लेख