राजीव गांधी नेशनल पार्क में सुबह सुबह ठहाकों की आवाज़ें सुनाई दे रही थी । यहाँ रोज रिटायर्ड बुजुर्गों की एक मंडली बैठती है जो कुछ देर वॉकिंग करते हैं फिर वहीं पर बेंच पर बैठ कर हँसते गाते अपने सुख दुख बाँटते रहते हैं । उनकी अच्छी खासी दोस्ती हो गई थी वे एक दूसरे से अलग होने की सोच से ही डर जाते हैं ।
जब वे सुबह उठकर पार्क की तरफ निकलते हैं तो उनके चेहरों पर एक डर जरूर रहता था कि किसी को खोना दें । जब सबको देखते हैं तो दिल में एक सुकून सा महसूस होता था । इन दस बारह लोगों में नंदकिशोर भी शामिल थे ।
नंदकिशोर जी को रिटायर हुए दस साल से अधिक हो चुके थे । बेटा बैंगलोर में रहता था उसने माता-पिता से कहा कि आप लोगों को मैं कब से अपने घर बुला रहा हूँ और आप लोग हवा के झोंके के समान आकर चले जाते हैं अब मैं आप लोगों की एक नहीं सुनूँगा आप लोग अपना समान पैक कीजिए हैदराबाद का घर किराए पर देकर हमारे साथ रहने के लिए आ जाइए । पापा धीरे-धीरे आप लोगों की तबियत भी ख़राब हो रही है हमारे साथ रहेंगे तो हमें भी आपकी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । नंदकिशोर को लगा कि अब प्रकाश हमारी बात नहीं सुनेगा इसलिए उन्होंने हामी भर दी ।
नंदकिशोर की पत्नी और बहू में बहुत पटती थी । इसलिए भी पत्नी जल्दी से बेटे के घर जाने के लिए तैयार हो गई थी।
नंदकिशोर ने प्रकाश से कहा कि तुम्हें मेरी एक बात माननी पड़ेगी कि हम घर किराए पर नहीं देंगे थोड़े दिन वहाँ रहकर देखेंगे हम वहाँ रम गए तो ठीक वरना वापस अपने घर आ जाएँगे।
प्रकाश ने भी कहा ठीक है थोड़े दिनों के लिए ही सही आ जाइए । वे दोनों बेटे के पास बैंगलोर चले गए ।
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नंदकिशोर बहू से पूछ कर घर के लिए बाज़ार से सामान लाने के लिए जाने लगे थे । उन्होंने देखा कि उनके घर के पास ही पार्क है अपने पोते को लेकर शाम को कभी कभी पार्क जाने लगे । उस पार्क में ही उन्होंने कई दोस्तों को पाया था । अब वे वापस जाने का नाम नहीं ले रहे थे ।
हर रोज पार्क में सभी बुजुर्गों की ऐसी ही बातें सुनाई देती थीं । हेलो सब लोग कैसे हैं? श्याम कल तुम्हारे सर में दर्द था अब ठीक है ना। कुशाल जी कल का न्यूज़ देखा ।
इस तरह से बातें करते हुए सब वॉकिंग करते हुए एक जगह बैंचों पर बैठकर सुस्ता रहे थे कि एक बुलंद आवाज़ सुनाई दी हेलो दोस्तों आप सब कैसे हैं मेरा नाम आलोक कुमार मिश्रा है मैं दस साल पहले बैंक की नौकरी से रिटायर हुआ हूँ ।
मेरे दो बेटे हैं एक यहीं पर रहता है और दूसरा अमेरिका में रहता है । मैं यहाँ वहाँ घूमता रहता हूँ । मैं एक हफ़्ते पहले ही अमेरिका से आया हूँ आप लोगों की मस्ती मैं अपने घर की बॉलकनी से देखता रहता था अब मैं बिलकुल ठीक हो गया हूँ अपना बैग पैक कर लिया है तो सोचा आप सबसे भी मिल लूँ ।
उनकी बातों से वहाँ बैठे हुए सभी लोग प्रभावित हो गए थे और उनसे इस तरह से घुलमिल कर बातें करने लगे जैसे कि उनकी बहुत ही पुरानी पहचान हो ।
उन सबके दिन हँसते खेलते गुज़र रहे थे कि एक दिन आलोक जी ने कहा कि दोस्तों मैंने हम सबके लिए गोआ के लिए टिकट बुक करा दिए हैं हम चार दिन वहाँ रहकर मस्ती करेंगे ।
सब लोग खुश हो गए थे और कहा कि यार जो भी खर्चा होता है बता दे हम भी पैसे पे कर देते हैं ।
आलोक जी ने कहा कि दोस्तों पहले मस्ती करेंगे फिर पैसों के बारे में बात करेंगे।
अपने अपने घर वालों से इजाज़त लेकर पूरी बुजुर्गों की टोली गोआ के लिए निकल पड़ी । वहाँ चार दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला और वे सब मस्त होकर वापस आ गए थे ।
उनके पैर एक दिन भी घर में नहीं टिके और पार्क के लिए सुबह ही निकल पड़े । उनके घर के लोग बोलते ही रह गए थे कि कल ही सफर से लौटे हो थोड़ा आराम कर लो पर नहीं दूसरे ही दिन पार्क की तरफ निकल पड़े ।
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आश्चर्य की बात तो यह थी कि आलोक जी ही पार्क में नहीं थे किसी का भी मन नहीं लगा और नंदकिशोर जी ने उन्हें फोन किया तो फोन उनके बेटे ने उठाया था और कहा कि कल रात गोआ से आते ही पापा की तबीयत खराब हो गई थी उनके हार्ट में ब्लॉकेज था । आज ऑपरेशन कर रहे हैं थोड़े दिन बाद वे आप लोगों से मिल पाएँगे ।
सबका मन खराब हो गया था जिस बात का डर उन्हें सता रहा था वह धीरे-धीरे उनके सामने आ खड़ा हो रहा था ।
आलोक जी के बेटे ने जब फोन करके बताया था कि आप सब पापा से मिल सकते हैं तो वे उनके घर पहुँच गए ।
उनके घर पहुँचकर देखा कि वे अब भी वैसे ही बिंदास थे । इन सबका आवभगत ज़ोरों शोरों से किया और कहा कि मैंने अपना बैग पैक कर लिया है दोस्तों आप लोग भी अपना बैग पैक कर लो ।
नंदकिशोर जी ने कहा कि अरे आलोक दो दिन पहले ही तो बैग पैक करके गोआ गए थे अभी तो उसे अनपैक भी नहीं किया और तुम फिर से बैग पैक करने के लिए कह रहे हो । अरे थोड़ा आराम कर लो फिर चलते हैं ।
आलोक ठहाका मारकर हँसते हुए कहते हैं दोस्तों मेरा बैग पैक करने का मतलब कुछ और है ।
सबने उनकी तरफ़ कौतूहलपूर्वक देखा कि बैग पैक काअसली अर्थ क्या हो सकता है ।
आलोक जी ने कहा कि दोस्तों हम उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहाँ हमें कभी भी ऊपर वाले का बुलावा आ सकता है । इसलिए मैंने जो ग़लतियाँ की हैं उन्हें सुधारने का प्रयास किया । किसी का दिल दुखाया है तो उनसे जाकर माफ़ी माँगी। ज़रूरतमंदों की मदद करने की कोशिश की । जिनके साथ झगड़े किए थे उनसे भी माफ़ी माँगी । जिसके लिए भी जो कुछ भी कर सकता था मैंने किया और अपना बैग पैक कर लिया है जब कभी भी ऊपर वाले का बुलावा आएगा मैं अपने बैग बेगेज के साथ बिलकुल तैयार हूँ ।
आलोक के दोस्तों को अब पता चला कि बैग पैक का मतलब क्या होता है। सब सोच में डूब गए थे कि उनके बैग में क्या सामान रखना होगा ।
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दूसरे दिन सुबह नंदकिशोर दिल्ली वाले फ्लाइट में बैठे हुए थे । पिछली रात को ही उन्होंने बेटे से कहकर फ्लाइट टिकट बुक करवा ली थी । वे एयरपोर्ट के लिए निकल रहे थे तो देखा पत्नी पूजा घर में पूजा करते हुए ही अपनी आँखें पोंछ रही थीं । अपनी पत्नी को बताकर वे एयरपोर्ट पहुँचे । उन्होंने रात को ही बेटे से पता और फोन नंबर ले लिया था ।
फ्लाइट में सवार होने के बाद वे सोचने लगे थे कि उन्हें भी बैग पैक करना है तो बिटिया को घर वापस लाकर पत्नी के दिल के दर्द को दूर करना है ।
नंदकिशोर की बेटी जब डिग्री पढ़ती थी तब ही एक लड़के से प्यार किया था और उससे शादी करने की इच्छा ज़ाहिर की थी । नंदकिशोर इस बात से राजी नहीं हुए थे क्योंकि वह लड़का उनकी बिरादरी का नहीं था ।
समाज में उनकी नाक कट जाएगी इसलिए उसे कमरे में बंद कर दिया और उसके लिए रिश्ता ढूँढने लगे थे लेकिन इस बीच रागिनी घर से भाग गई और उस लड़के से शादी करके घर आई । मैंने उसे अंदर नहीं आने दिया था । मुझे मालूम था कि पत्नी और बेटा दोनों उसके साथ बतियाते रहते हैं । अपनी तरफ से उन्हें रोकने की कोशिश भी नहीं की थी ।
जब वह पहली बार माँ बनने वाली थी तो पत्नी ने मुझसे बहुत कहा कि उसे बुला लेते हैं पर मैंने उनकी एक नहीं सुनी थी । आज वह दो बच्चों की माँ है और उसका पति दिल्ली में बहुत बड़े ओहदे पर कार्यरत है । इस बात को हुए पूरे बारह साल गुजर गए हैं । मैंने कई बार पत्नी को अपनी पल्लू से आँसू पोंछते हुए देखा था पर उसे अनदेखा कर देता था । आज जब आलोक जी की बात सुनकर लगा कि मुझे भी अपना बैग पैक करना है इसलिए बेटे से रागिनी का पता लिया और दिल्ली के लिए निकल गया ।
फ्लाइट से उतरने के बाद केब लेकर रागिनी के घर की ओर चल दिया ।
बहुत बड़ा घर था नौकर चाकर थे शायद दामाद बहुत बड़े ओहदे पर हैं । दरबान मुझे अंदर ले गया और बेल बजाई मैं भी बिटिया को देखने के लिए उतावला हो रहा था कि मुझे देख कर वह क्या करने वाली है । रागिनी ने ही दरवाज़ा खोला यह कहते हुए कि कौन है उसने मुझे आश्चर्य से देखा और पापा कहते हुए मुझसे लिपट गई थी । उसे गले लगाकर मेरे दिल को तसल्ली हुई ।
उसी ने पहले अपने होश को सँभाला और कहा कि पापा आइए ना और बच्चों को पति को आवाज़ लगाकर बुला लिया । बच्चे बहुत ही खूबसूरत थे उनसे कहा कि ये तुम लोगों के नानाजी हैं । वे मेरे पास नानाजी कहकर आए और मुझसे लिपट गए ।
उसी समय दामाद जिनका नाम मनोज था आए और मेरे पैर छुए मैंने दिल से उन्हें आशीर्वाद दिया ।
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मैंने उन दोनों को अपने साथ ले जाने के लिए बड़ी मुश्किल से राजी किया और अपने साथ शाम की फ्लाइट से ही वापस बैंगलोर ले आया था ।
अपने घर में पहुँच कर मैंने रसोई में काम कर रही मेरी पत्नी से कहा बाहर आकर देखो तुम से कोई मिलने आया है ।
जैसे ही वह मेरे साथ बाहर आई और रागिनी के परिवार को वहाँ देखा तो उसकी आँखों से आँसू छलक उठे और रागिनी को गले लगाकर बच्चों के समान रोने लगी थी ।
उनके मिलन को देख मैंने सोचा कि चलो मेरे बैग पैक में एक सामान रह गया था आज मैंने उसे भी रख लिया है । मैंने भी अपना बैग पैक कर लिया है और ऊपर वाले के बुलावे के इंतज़ार में हूँ ।
दोस्तों उम्र के एक पड़ाव पर पहुँचने के बाद हमें भी अपने बैग पैक कर लेना चाहिए । आपका क्या ख़याल है मेरी तो हाँ है ।
के कामेश्वरी