“बदलाव ”  – गोमती सिंह

Post View 321 ——-बहुत दिनों से मेरी लेखनी थमी हुई थी, मैं समझ गई; लिख लिख कर नारी की गाथा कलम मेरी हैरान बड़ी थी।      तब क्या हुआ, एक दिन देखा ख्वाबों में मैंने  बलखाई नागन की तरह फिर इक नारी राहों में खड़ी थी ।              ख़्वाबों में ही पूछा मैंने- ऐ माँ … Continue reading “बदलाव ”  – गोमती सिंह