बदजात – कंचन सिंह चौहान : Moral Stories in Hindi

Post View 29 दुबली पतली सी वह, बड़ी सी आँखों वाले साँवले चेहरे और थोड़े से भरे होंठ के साथ, हाथ में चाय की ट्रे लिये सिमटी सकुचाई खड़ी थी। शायद हाथ काँप रहे थे उसके। बिस्नू इधर-उधर हिल डुल कर थोड़ा संभल कर बैठने लगे थे। भईया जी ने उनके हाथ पर हाथ रखते … Continue reading बदजात – कंचन सिंह चौहान : Moral Stories in Hindi