बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है। – गीतांजलि गुप्ता

Post View 251 “ओ छोरे ठीक से काम कर वर्ना निकाल दूंगा नौकरी से। आलसी कहीं का जल्दी जल्दी हाथ चला कर टेबलें साफ़ कर फिर बर्तन भी धो पोंछ कर लगा सारे।” रोज डयूटी पर आते ही नवीन लाल की यही आवाज़ चौदह वर्ष के कांशी के कानों को चीरती और बेचारा भूखा बच्चा … Continue reading बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है। – गीतांजलि गुप्ता