*बाँसुरी की तान का जादू* –    मुकुन्द लाल

Post View 227     उस दिन जब तारा की मालकिन श्रद्धा परिभ्रमण पर निकली हुई थी तो सुबह तड़के ही वह मंदिर के बाग से फूल तोड़ने के लिए उसके भवन से निकल पड़ी। बाग से फूलों को तोड़कर उसने दो मालाएंँ गूंँथ ली। फिर उसे एक डलनी(बहुत छोटी सी टोकरी) में लेकर वह उत्तम के … Continue reading *बाँसुरी की तान का जादू* –    मुकुन्द लाल