*बाँसुरी की तान का जादू* –    मुकुन्द लाल

Post Views: 9     उस दिन जब तारा की मालकिन श्रद्धा परिभ्रमण पर निकली हुई थी तो सुबह तड़के ही वह मंदिर के बाग से फूल तोड़ने के लिए उसके भवन से निकल पड़ी। बाग से फूलों को तोड़कर उसने दो मालाएंँ गूंँथ ली। फिर उसे एक डलनी(बहुत छोटी सी टोकरी) में लेकर वह उत्तम के … Continue reading *बाँसुरी की तान का जादू* –    मुकुन्द लाल