राखी बहुत गुस्से में थी ।वो लगातार अपने दोस्त महेश को डांटते जा रही थी। सुधर जाओ वरना एक दिन बहुत पछताओगे।
महेश ने ढिठाई से हंसते हुए कहा_ अरे यार क्यों अपना खून जला रही हो ।मैं बिगड़ा ही कब था जो सुधर जाऊं।
तो ठीक है तो जाओ जो मर्जी हो करो मगर आज के बाद मुझसे मिलने की कोशिश मत करना और न ही मुझे फोन करना।तुम्हारी वजह से मुझे भी बहुत कुछ सुनना पड़ रहा है। पता नही तुम्हारे जैसे आवारा लड़के से क्यों प्यार कर बैठी।इतना कहकर राखी गुस्से से वहा से चली गई।
जाओ जाओ तुम नहीं तो कोई और सही ।महेश ने बेशर्मी से हंसते हुए कहा।
शाम को महेश के पिता के पास कुछ मोहल्ले वाले आए और उसकी शिकायत करने लगे _ आप अपने बेटे को समझाए बेवजह हमारे लडको के सथ मारपीट करता रहता है।अगर दुबारा ऐसा हुआ तो हम सब अब सीधे पुलिस थाना में जाकर शिकायत दर्ज करा देंगे।
अगले दिन कुछ और पड़ोसियों ने शिकायत किया और कहा आपका लड़का स्कूल नही जाता है।स्कूल जाने के बहाने सिनेमा देखने जाता है। जुआ खेलता है।सिगरेट और शराब पीता है।साथ में हमारे लडको को भी बिगाड़ रहा है ।आप उसे सुधारे।
हम सब आपका लिहाज करते है ।आप एक प्रतिष्ठित व्यक्ति है।इसलिए आपका लिहाज करते है ।इसलिए छोड़ रहे है वरना पकड़े जाने पर उसकी वही धुलाई कर देंगे।
सबके जाने के बाद जैसे ही महेश घर आया उसके पिता ने उसे समझाया बेटा _ अब तुम बड़े हो गए हो।बच्चे नही रहे भला बुरा सोच समझ सकते हो।तुम जो भी कर रहे हो इससे तुम अपना ही रास्ता खराब कर रहे हो।
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यही समय हैं कुछ करने का कुछ बनने का।अगर अपनी जिंदगी के प्रति गंभीर नहीं हुए अपनी आवारागर्दी नही छोड़ी तो बहुत पछताओगे आगे चलकर।अगर पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लग रहा है तो मेरे साथ चलकर बिजिनेश संभालो मैं तुम्हे सब समझा और सीखा दूंगा।मुझे रोज रोज तुम्हारी शिकायते सुनना अच्छा नही लगता है।
अपनी पिता की बात सुनकर महेश ने झल्लाते हुए कहा _ पापा आप तो हमेशा मोहल्ले वालों को ही तरफदारी करते है। मैं किसी के साथ भी कोई बुरा नही करता।
एक दिन एक लड़की ने स्कूल के क्लास टीचर से शिकायत किया _ सर महेश मुझे हमेशा छेड़ता रहता है।आप इसको दंड दीजिए वरना मैं इस स्कूल से अपना नाम कटवाकर दूसरे स्कूल में एडमिशन करवा लूंगी।
क्लास टीचर को बहुत गुस्सा आया उसने हेडमास्टर से शिकायत कर महेश का नाम स्कूल से काटकर स्कूल से बाहर कर दिया।
महेश चुपचाप घर आ गया ।जैसे वो चाहता था उसे स्कूल से निकाल दिया जाय।
उसके माता पिता को पता चला तो वे बड़े दुखी हुए।उन्हे उसके भविष्य की चिंता सताने लगी थी।उनको रेडिमेड गारमेंट का बड़ा बिजिनेश था।पैसे की कोई कमी नही थी।एक दिन उनको लकवा मार दिया।उनको अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।उसकी मां और दोनो बहनों को बहुत सदमा लगा था।लेकिन महेश को कोई फर्क ही नहीं पड़ा था।
पिता के बीमार होने की वजह से उनका बिजीनेश बिगड़ने लगा ।दूसरे बिजिनेश मैन इसका फायदा उठाने लगे।उनके ठोक ग्राहकों को अपनी तरफ करने लगे।
उसकी मां ने कहा बेटा जाकर अपना निजिनेश संभालो वरना घर में भुखमरी की हालत आ जायेगी।लेकिन महेश घर के पैसे अपनी आवारा गर्दी में उड़ाता रहा ।उसके बिगड़ैल दोस्त उसके पैसे पर ऐस करने के लिए उसको सह देते रहे ।नतीजा ये हुआ घर के जमा पैसे जो बैंक में थे खर्च हो गए।मालिक के नही होने से स्टाफ और कर्मचारी मनमानी करने लगे।काफी नुकसान होने लगा।
मजबूरन उसकी मां को बिजिनेष संभालना पड़ा।लेकिन उनकी उम्र भी काफी हो चली थी ऊपर शुगर की मरीज होने के कारण ज्यादा भाग दौड़ नही कर पाती थी।नतीजन काफी कर्जा हो गया।बकाया वसूलने वाला कोई नही था।कर्मचारी दस हजार लाते तो दो हजार का हिसाब देते थे।
उसकी मां ने महेश से उम्मीद हो छोड़ दिया था।
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उसे अपनी दोनो छोटी बेटियो की पढ़ाई लिखाई और शादी की चिंता हो रही थी।डी
राखी उनके पड़ोस में ही रहती थी।एक दिन महेश के घर आई और महेश पर बरसने लगी _ चुल्लू भर पानी में डूब मरो। पिता अस्पताल में पडा है।बीमार मां बिजीनेश संभाल रही है और तुमको आवारागर्दी से फुर्सत नहीं है।कुछ तो शर्म करो।जिस उम्र में उनको आराम करना चाहिए उस उम्र में बेटा के रहते हुए उनको सब करना पड़ रहा है।
तुम हमारे घर के मामले में बोलने वाली कौन होती हो। जाओ अपना काम देखो।महेश ने राखी को डांटते हुए कहा।
गलती से ही सही मैं तुमसे प्यार कर बैठी थी इसलिए तुम्हारे घर की दुरदसा देखी नही जा रही है।तुम्हारी लापरवाही ,नाकायकी और आवारागर्दी नही देखी जा रही है।तुमको जो करना है वो तुम करो लेकिन आंटी का साथ दूंगी।राखी ने उसे फटकारते हुए कहा।
आंटी आज से इसको खाना पीना और पैसे देना बंद कर दो ।अब ये खुद कमाकर अपना खर्चा चलाएं।अगर कही काम न मिले तो ये मुझसे काम मांगेगा मैं काम दूंगी।।अगर इसने आपको तंग किया तो पुलिस शिकायत करना ।ये आपका बेटा कहलाने लायक नही है।
तुम ठीक कह रही हो बेटी इकलौता बेटा होने के कारण मेरे ज्यादा लाड़ प्यार से ये बिगड़ गया है।अब मुझे भी अपना दिल कड़ा करना पड़ेगा।उसकी मां ने रोते हुए कहा।
राखी ने महेश की मां के साथ मिलकर उसके बिगड़ते बिजिनेश को धीरे धीरे फिर से खड़ा करना शुरू किया।उसके पिता का इलाज भी ठीक से करवाने लगी।
महेश पैसे के बिना छटपटाने लगा अंततः उसे राखी से अपने ही फैक्टरी में काम मांगना पड़ा।
राखी ने उसे काम दे दिया ।वो तो यही चाहती थी ।मजबूर होकर महेश यहां काम करे ।
महेश ने धीरे धीरे काम सीखना शुरू किया।साथ ही साथ मेहनत करते हुए उसने अपनी गलती का एहसास भी किया।उसने सबसे माफी मांगा और अपने आपको काम में डूबा दिया । नतीजा अच्छा निकलने लगा।
उसका बिजिनेश भी खड़ा हो गया।उसके पिता का लकवा भी ठीक हो।
उसके पिता ने राखी के माता पिता से बात चीत कर दोनो का विवाह भी कर दिया।
_ : समाप्त :_
लेखक
श्याम कुंवर भारती