मतभेद, – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 49

एक सप्ताह के लिए ऑफिस के काम से अपने शहर में अर्थात मायके जाने का मौका मिला है.. मां के साथ कुछ खूबसूरत सकूं भरे पल बीतेंगे सोच कर कितना अच्छा लग रहा है…                     जानी पहचानी सी सड़क और आड़ी तिरछी गलियों से होकर पहुंच हीं गई अपनी मां के पास…शुभाआ मां गले से लग … Read more

सीमा रेखा – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 68

विशाल के सीने से लगी सिया फूट फूट कर रो रही थी और बार बार मुझे माफ कर दो की रट लगाए जा रही थी… नाम के अनुसार हीं विशाल!विशाल हृदय का स्वामी भी था.. लगभग पैंतालिस साल की उम्र लंबा खूबसूरत ब्यक्तित्व के धनी धीर गंभीर विशाल की शादी सिया के साथ सत्रह साल … Read more

छोटी छोटी बातों में खुशियों को …… – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 48

दृश्य एक मेरे घर के एक किरायेदार.. पांच बच्चे और माता पिता को मिलाकर सात लोगों का परिवार.. अपना गांव घर छोड़ कर शहर में अपने परिवार को लेकर रहने वाला गृह स्वामी.. रोड के किनारे चौकी पर कपड़े बेचकर गुजर बसर करने वाला.. शाम तक की कमाई में पुलिस को हिस्सा देकर बचे पैसों … Read more

कड़वाहट – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 48

आज न जाने क्यों मन विगत जिंदगी के पन्ने बार बार पलट रहा है… मैं संगीता पचासवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी हूं… बेटी दामाद बेटा बहु सब अपनी जिंदगी में मस्त और व्यस्त हैं… और मै गुलमोहर की तरह हूं शायद इसी लिए मुझे गुलमोहर और पलाश बहुत पसंद हैं… मेरी ओर रजत की … Read more

कीमत – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 2

ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठी कविता के गालों पर आसुओं के निशान बदहवास चेहरा और आंखों में गहरी वेदना लिए अपनी किस्मत को कोस रही थी.. बीस साल पहले रजत से उसकी शादी हुई थी.. रिश्तेदार के नाम पर बड़ी दीदी और जीजा जी और उनके दो बच्चे छः साल की … Read more

पूतों वाली अभागन अम्माजी – वीणा सिंह   : Moral Stories in Hindi

New Project 45

शिव पार्वती कॉलोनी शहर का सबसे आबादी वाली कॉलोनी है.. पर यहां के रहने वालों पर अभी तक आधुनिक सभ्यता का रंग बहुत गहरा नही चढ़ा है.. एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होना अभी तक लोगों ने नही छोड़ा है.. इसी में लगभग चालीस साल पहले अम्माजी अपने तीन बेटे और एक बेटी … Read more

मनमुटाव – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

 केशव और मैं आज अजनवी से एक दूसरे से व्यवहार कर रहे हैं… कहां गया हमारा प्यार…एक दूसरे से किए वादे… ओह छोटी छोटी बातें #मनमुटाव #का ऐसा रूप ले लेगी सोचा न था…. शादी के तीन साल कैसे गुजर गए पता हीं नहीं चला… कॉलेज के टाइम से हीं हम दोनो एक दूसरे को … Read more

टूटते रिश्ते – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 42

आज सुमित की शादी की दूसरी सालगिरह और बेटे की छठी दोनो है… बहुत मनुहार किया आना जरूर आशीर्वाद देने… शहर का नामी संपन्न परिवार… धन्य धान्य से भरपूर…शहर के तीन फैक्ट्रियों के मालिक…उड़ीसा में पिछले साल एक और नई फैक्ट्री लगी है… इसलिए शहर के नामी गिरामी हस्ती आमंत्रित हैं…. मेरे नजरें सुमित की … Read more

गुरुर – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 68

सुमी का फोन सुबह सुबह देख कर मुस्कुरा उठी.. बचपन की सहेली..सुमी ने एक सांस में हीं कह डाला जान तुझे याद है मेरी छोटी बहन सेजल.. एचडीएफसी बैंक में पीओ बनकर तुम्हारे शहर में तीन महीने पहले हीं गई है.. उसके पति दूसरे शहर में जॉब करते हैं इसलिए शनिवार और रविवार को रहते … Read more

रिश्तों की डोर टूटे ना – वीणा सिंह Moral Stories in Hindi

New Project 60

  जूही इंफोसिस में इंजीनियर है, देखने में सुंदर पांच फीट छः इंच लंबी छरहरी, बेहद व्यवहारिक खुशमिजाज और मधुर स्वभाव की है… पर इतना काफी नही है, उसके ससुराल वालों को संतुष्ट करने के लिए… जूही और रोहन पांच साल से एक दूसरे को जानते हैं…. एक हीं कॉलेज से इंजीनियरिंग की.…जूही बेंगलुरु में नौकरी … Read more

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