रिश्तों में ये कैसी स्पर्धा – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 99

“कहाँ हो अनीता? अरे भाई महेश भैया का फ़ोन आया था| मिलन का आईआईटी में सिलेक्शन हो गया है।” अंश की तरफ देखते व्यंग से बोले “एक हमारे साहबजादे हैं।” अंश ने दूसरी तरफ मुँह घुमा लिया। मिलन अंश का ममेरा भाई है…। पढने में बहुत तेज है। तो आई.  आई. टी.  निकाल लिया।  जहीन … Read more

रिटायरमेंट…. उम्र का या मन का.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 37

  विनीत आज रिटायर हो रहे… सुबह सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गए …. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा… खुशी मनाये या दुख… ऑफिस के संगी -साथी छूट रहे… वो ग्यारह और चार बजे की चाय के संग कुछ फिकरे बाजी …. अब कहाँ ये सब…. भारी मन से नाश्ता कर…. ऑफिस रवाना हो … Read more

मेरे बीमार होने से किसी को फ़र्क नहीं पड़ता – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 42

सुबह की खटर -पटर नहीं सुनाई देने से सुहास की नींद देर से टूटी घड़ी आठ बजा रही, हेमा पर गुस्सा करने वाला था, देखा बगल में हेमा अभी तक सोई पड़ी है। हेमा को हिलाते हुये सुहास बोले “हेमा उठो आज अलार्म नहीं लगाई थी क्या…? मुझे ऑफिस को लेट हो रहा “। तभी … Read more

साधारण सासुमां की असाधारण कहानी – संगीता त्रिपाठी   : Moral Stories in Hindi

New Project 58

नित्या जब शादी कर ससुराल आई तो बहुत डरी हुई थी.. भारतीय घरों में  “पराये घर जाना हैं ”  या “सास बहुत कष्ट देगी, ताने देगी” जैसी बातें, लड़कियां बचपन से सुनती हैं…। और सभी लड़कियां ससुराल को जेल और सास माँ को  एक डरावनी शख्सियत समझ लेती हैं । फिर भी ससुराल रूपी जेल … Read more

जीवन का सच – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

New Project 57

 हर माँ की तरह माला को भी अपने बच्चों पर बहुत गर्व था। प्रभात जी से झगड़ा होने पर अक्सर इतरा कर बोलती, “मेरे बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो जायेंगे तो मैं उनके साथ रहूंगी आपके साथ नहीं “ प्रभात जी बोलते,”देखता हूँ तुम्हारे बच्चे कितना करते है “   सुनते ही माला गर्व से … Read more

प्यार दिमाग से नहीं दिल से होता है… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 41

नीला शलभ की सहपाठी थी, दोनों में प्यार हुआ और माँ -बाप की इच्छा के विरुद्ध जा शलभ ने नीला से शादी कर ली। शलभ की इस हरकत से उसके पिता दिवान साहब को बहुत आघात लगा। समाज में उनका रुतबा था, शहर के नामी -गिरामी लोगों में से एक थे दीवान साहब। शलभ उनका … Read more

सासुमां बुरी और माँ अच्छी क्यों.. – संगीता त्रिपाठी.. : Moral Stories in Hindi

New Project 88

 टॉपिक तो भयंकर हैं… इतना क्या तुझे सासुमां से प्यार जो ये लिखने बैठी हैं… विभा बोली… बस ऐसे ही… अपने आस – पास जो देखती हूँ तो एक प्रश्न जेहन में आया…. क्या सास हमेशा बुरी होती हैं… मेरी सासुमां तो बहुत अच्छी थी… कल मेरी कामवाली बाई खूब रो रही थी उसका  आदमी  … Read more

तेरा -मेरा छोड़ो, खुशियों से नाता जोड़ो.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 41

घर में आते ही आदेश ने रेवा को सूचना दी “परसों सुबह की ट्रेन से मम्मी -पापा आ रहे है..” “ओह, इसीलिये आवाज से खुशी छलकी जा रही है, परसों से तो हम आपके लिये गैर हो जायेंगे..”रेवा तल्ख़ होकर बोली “कैसी बात करती हो रेवा, गैर क्यों होगी, और मुझे खुशी क्यों नहीं होगी, … Read more

अब क्या गहना पहनना – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 57

“ले बहू अपने गहने, बहुत दिनों तक मैंने इसे संभाल कर रखा “सासु माँ सावित्री जी ने अपनी बहू ऊषा को देते हुये कहा। गहने के नाम पर एक सेट पकड़ा दिया।हाथ में पकडे हार को ले, ऊषा ने विरक्ति से कहा -“अब क्या करुँगी माँ इसे लेकर…। “ये लो जब मेरे पास था तब … Read more

रिश्तो का मेकअप – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 77

बहुत दिनों से संध्या के दिल और दिमाग में एक लड़ाई चल रही थी.. अजय को छोड़ती है तो बच्चों का क्या होगा? कैसे अकेले परवरिश कर पायेगी? कैसे समाज में अपने को सुरक्षित रख पायेगी? कई प्रश्नों के जाल में उलझी संध्या को चैन नहीं मिल रहा। करवटे बदलते रात गुजरी। सुबह फिर काम … Read more

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