मुहँ ना खुलवाओ – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 नमस्ते आंटी….. पौधों में पानी डाल रही है…..?? हां बेटा पर तुम कब आई ससुराल से गिन्नी…..?? तुम्हारी मम्मी ने बताया नहीं कि तुम आने वाली हो…. आओ अंदर बैठते हैं…! पाइप पौधों के बीच में रखते हुए आभा ने कहा….! हां आंटी वो अचानक ही प्रोग्राम बन गया…तो बस आ गई….।      गिन्नी आभा के … Read more

सावन में हरी साड़ी भैया से या सैंया से…. – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   अरे…. देखिए ना जी…. वो हरा पत्ता कितना प्यारा लग रहा है …..वाह … इसका हल्का हरापन कितना प्यारा है….. सैवी ने बागान में टहलते हुए सुशांत को एक नन्हे पौधे की पत्ती दिखाते हुए कहा….।    काश… इस कलर की साड़ी मेरे पास होती….. सुनिए ना सुशांत… मेरे लिए खरीद देंगे… ये वाली हरे रंग … Read more

अफसर बेटा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   माँ…माँ…ननका भाई आ रहा है…. सरकारी दौरे पर इधर आना हो रहा था तो बोल रहा है घर आकर सबसे मिलकर जाऊंगा….. फोन आया था…. मोना ननका आ रहा है घर में सब चीजें तो है ना…! बड़ा भाई कनका (कनक)  ने एक ही साँस में खुश होते हुए कहा…  हां भाई हां ….मैंने सुन … Read more

कड़वाहट – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

“कितनी बार कहा सुबह -सुबह लड़ा मत करो, पर नहीं तुम्हे कुछ समझ में आता नहीं “नितिन ऑफिस से आते ही मेघा पर बरस पड़ा। “सुबह की बात तो सुबह खत्म हो गई, अब क्यों गुस्सा हो रहे “मेघा ने हैरानी से पूछा।    “तुम्हारी वजह से मै ऑफिस देर से पहुंचा, मेरा प्रेजेंटेशन खराब हो … Read more

दिव्यतारा ( भाग 6 और अंतिम) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —            जीजी , आप साड़ी तो बदल लें …  हां हां बदलती हूं ….मेहमानों में से रिश्ते की देवरानी मीना ने कहा … अरे क्या बताँऊ मीना…तारा मुंह फुला कर पार्लर गई है … क्यों जीजी …? वो कह रही थी… मेरी शादी में मम्मी आप भी मेरे साथ पार्लर जाकर … Read more

दिव्यतारा (भाग-5) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —             एक दिन मजाक मजाक में दिव्य ने पूछा…. तारा तुझे कैसा लड़का चाहिए…?           तारा ने भी बड़े भोलेपन से जवाब दिया ….आपके जैसा दिव्य… जो मुझे समझ सके ….तारा का ये जवाब न जाने क्यों दिव्य को बहुत अच्छा लगा ….शायद यही तो सुनना चाहता था दिव्य… ! अब आगे … Read more

दिव्यतारा (भाग-4) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —              दादी साड़ी के पल्लू की गांठ खोलने लगी…. आज उसमें से मिचूड़े मिचुड़े 20 ,50 , 100 के कई नोट थे …जो दादी ने जमा किए होंगे… उसे निकाल कर तपन को देते हुए बोली …..इसे एकदम अंदर रखना… आखिरी इमरजेंसी के लिए… और ये सिर्फ पैसे नहीं है… दादी … Read more

दिव्यतारा (भाग-3) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —            अम्मा आज आप भी ले ही लो ना ….आज आपका पोता पास हुआ है ….रसगुल्ला के रस को निचोड़ते हुए मालती ने कहा ….       अरे अब पूरा ही रस निचोड़ कर देगी क्या बहू ….तो क्या मैं रूई के समान बेस्वाद सीठा सीठा रसगुल्ला खाऊंगी ……      मां अभी सुगर बढ़ा … Read more

दिव्यतारा (भाग-2) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —          अरे जा लल्ला तू लेकर आ जा…. भला पोते को खाने की इच्छा हो और दादी मान जाए , ऐसा कैसे हो सकता है …अरे मेरी दादी पैसे वाली है भाई ….कहकर तपन दादी की गोद में सिर रखकर लेट गया…। अब आगे —  तपन ओ तपन ….बाहर से दिव्य … Read more

दिव्यतारा (भाग-1) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

जय बजरंगबली… जय पीड़ा हारी…. जय कष्ट निवारण…… मम्मी ओ मम्मी.. कहां गई , देखो भाई बाहर कोई तुम्हें बुला रहा है …..बहू ओ बहू  जरा देखना चश्मा कहां रख दिया है मैंने ….मिल नहीं रहा , अरे कंघी करने को उतारा ….यही तो रखा था…. कहां चला गया… जैसे उसका भी पैर हो…          हे … Read more

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