भरोसे का खून – रश्मि प्रकाश : Moral stories in hindi
सुबह सुबह पाँच बजे दरवाज़े की घंटी बजते ही रचिता आँखें मलते हुए उठी और दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गई साथ ही साथ बुदबुदाती भी जा रही थी इतनी सुबह सुबह कौन आ सकता है….? दरवाज़ा खोलते ही देखती है सामने पड़ोस में काम करने वाला लखना परेशान सा खड़ा है “दीदी जी जल्दी घर … Read more