जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होंगी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मैं बाजार जा रही थी. बाजार में मेरी दोस्त प्रतिमा मिली. बहुत सालो बाद. कैसी हो? ठीक हूं! तुम बताओ?  मैं भी ठीक हूं डियर, बस बच्चों का कुछ सामान लेने आई थी, चलो साथ में बैठते है, मैने उसे बोला. आज नहीं किसी और दिन, आज मुझे बहुत काम है. प्रतिमा की मनुहार सुन … Read more

रिश्तों मे बढ़ती दूरियां – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मेरी शादी को १० साल हो गए थे  | हर साल कोई भी तीज त्यौहार हो मायके से मेरे लिए सब कुछ आता था |कई बार मैं फोन करके अपने भाई भाभी या मां को बोल देती कि, आपने जो साड़ी भेजा उसका रंग मुझे अच्छा नही लगा | या आपने मेरे पसंद की मिठाई … Read more

“सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

बहू सुन रही हो , खाना बना की नही? जल्दी काम खतम करो सब लोग आते होंगे | जी मम्मी सब काम हो गया है  | आज घर में मम्मी जी की  किटी पार्टी थी | इस लिए मम्मी जी कुछ ज्यादा ही खुश थी | सब लोग आ गए थे | फिर क्या था … Read more

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