कभी- कभी सेवा करवाने के लिए बीमार होने का दिखावा भी करना पड़ता है – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

विमला जी (६० बर्ष) अपने बेटी को बहुत बहुत ज्यादा मानती थी | हर बात पे मेरी बेटी ,मेरी बेटी करती रहती थी | विमला जी के पति राजेश जी, बहुत  समझदार और सुलझे हुए बुद्धि विचार वाले व्यक्ति थे | उन्ही के कारण उनके परिवार में  सब  हसी खुशी चल रहा था | उनका … Read more

किस्मत वाली – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सोनम (४४  बर्ष ) बहुत ही अच्छी महिला थी | वह अपना होटल चलाती  थी | बहुत ही कम दाम में खाना खिलाती थी लोगो को  | और रात को १० बजे होटल बंद करती थी | जो कुछ भी खाने  का सामान बच जाता वो पैक कर के  रख लेती | रास्ते में  जो … Read more

एक हाथ से ताली नहीं बजती – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

रितु और मीतू दो बहने थी | दोनो की एक ही घर में शादी हुई थी | रितु बहुत खुश रहती थी ,लेकिन मीतू बहुत दुखी  रहती थी |दोनो अपनी मम्मी से मिलने आई थी | मीतू ने बहुत सारी शिकायत अपने सास  की ,अपने मम्मी से  किया | और बोला मम्मी, सास हमको बिल्कुल … Read more

जिस घर में बुज़ुर्ग हंसते मुस्कुराते हुए रहते है | उस घर में भगवान का वास होता है – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

दीपा और रवि  की शादी बहुत ही अच्छे से हो गई | दोनों का प्रेम विवाह हुआ था | एक ही कम्पनी में दोनो काम करते थे |रवि के मम्मी पापा , बहू के घर आने से बहुत खुश थे | दीपा सुबह जल्दी उठ जाती और  घर का काम करती | फिर ऑफिस जाती … Read more

बहुरानी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

द्दुल्हन बनी बैठी थी सुनीता | बहुत ही सुंदर लग रही थी | सारे रिश्तेदार सुनीता को देखने आते | सब बोलते कमला जी आपकी बहु तो बहुत ही सुंदर है | कमला जी बोलती मेरी बहुरानी को नजर नही लगाओ , और मन ही मन बहुत खुश होती |सारा दिन बहुरानी बहुरानी करती रहती … Read more

अफसोस – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मैने अपनी जिंदगी मैं “ना ” कहना नही सीखा था | इसका अफसोस हमको हमेशा होता है | मैने ” ना ” कहा होता तो शायद मेरी जिंदगी आज इस मकाम पे नही होती | मैं अपने परिवार वालो की हर सही ,गलत  बातो को मानती | कभी मना नही किया |इस कारण मेरे परिवार … Read more

एक घुटन भरे रिश्ते से आजादी मिल ही गई – रंजीता पाण्डेय  : Moral Stories in Hindi

आज सुकून मिल रहा है | घुटन नही हो रही है | इतना बड़ा फैसला लेना ,वो भी इस उम्र में | चौहतर, साल की उम्र कैसे निकल गई  ,पता ही नही चला | अब उम्र के आखिरी पड़ाव पे आराम से अपने श्री मान जी के साथ आराम से जीना चाहती हू| अभी भी … Read more

खुशियों का दीप – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

भगवान का दिया मेरे पास सब कुछ था | गाड़ी ,घर, बंगला ,एक बहुत प्यार करने वाला पति | सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था | धीरे धीरे महसूस हुआ की हमारी शादी को पांच साल हो गए | हमारे अब तक बच्चे नही थे | जहा कही भी बच्चो को देखती ना चाहते … Read more

मैं नही चाहती ये छोटी सी बात कोई बड़ा रूप ले ले और सब रिश्ते बिखर जाएं – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मेरे पापा ने हम लोगों की परवरिश बहुत ही अच्छे से किया था | उम्र के इस पड़ाव में भी , उनकी एक एक बात याद है | उन्होंने जो संस्कार दिए है हमको,  उसी के बल पे आज मैं अपनी जिंदगी  के बड़े से बड़े दुख भी आसानी से काट लेती हूं |  आज … Read more

सिंदूर – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मैं दिल्ली में रहने वाली लड़की थी | मेरी पढ़ाई लिखाई सब दिल्ली से ही हुई | मैं एक छोटी सी कंपनी में जॉब भी करने लगी थी | जॉब मिलने के बाद मानो मैं हवा में उड़ने लगी | मेरी उम्र २५ की हो गई थी | घर वाले शादी देखने लगे | शादी … Read more

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