आँसू और मुस्कान – ज्योति अप्रतिम

टेबल पर पड़ा हुआ टिफिन मुँह चिड़ा रहा था।पाँच मिनट देर हुई और उसे वहीं छोड़ कर सुदेश ऑफिस निकल गए।ऊपर से चार बातें और सुना दीं। साढ़े पांच बजे से रोबोट की तरह काम करने के बावजूद ऐसी स्थिति !सोचते हुए रोना ही आ गया।एक बार आँसू निकल पड़े तो बन्द होने का नाम … Read more

सज़ा – अनु’ इंदु

एक ही शहर में रहते हुये भी तनु दीदी मुझसे कभी नहीं मिली थीं । जबकि तनु दी मेरी सगी बुआ की लड़की थी । फिर ऐसा कुछ हुआ कि तनु दी को मैंने दिल्ली में किसी रिश्तेदार की मृत्यु पर देखा । देख कर यकीन नहीं हुआ कि क्या यह वही है । कितनी … Read more

“सफेद झूठ” बहु नहीं बेटी है,-सुधा जैन

मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी अनाया अपने मम्मी पापा दादा दादी सभी  की लाडली बिटिया है… उसमें अपना ग्रेजुएशन पूर्ण कर लिया ..और भी आगे पढ़ना चाहती थी.. कुछ करना चाहती थी पर उसके मम्मी पापा ने सामाजिक दबाव… पारिवारिक… कुछ भी कहो… हमारे परिवारों में विवाह योग्य लड़की सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है? सभी … Read more

खुशी की चाह – गरिमा जैन

जब भी राधिका की बात अपनी सहेली मालती से होती तो उसका दिल मचल मचल उठता। मालती कितनी खुश थी। ना जाने किन चक्र में पड़कर राधिका ने शहर में शादी कर ली। बचपन से तो उसका सपना यही था कि वह गांव में रहे। क्यों उसने इतनी बड़ी गलती की?  उसकी सहेली मालती कितनी … Read more

परी की वापिसी – रीटा मक्कड़

परी की वापिसी – रीटा मक्कड़ शादी के बाद पहली बार जब वो माँ बनने वाली थी तो उसके पति और उसका दोनो का ही मन था कि उनके घर एक प्यारी सी बेटी हो। लेकिन भगवान ने उनको  प्यारा सा बेटा दिया।पहली संतान थी वो भी बेटा। तो सभी परिवार वाले बहुत खुश हुए … Read more

जश्न_CompetingOneself – Dr Ashokalra

आपको ये किस्सा सुना रहा है, मेरा एक किरदार— आकाशगंगा! आज मेरे पापा का जन्मदिवस है, और मैं, आकाशगंगा, अपने पति के साथ जश्न मनाने आई हूँ। मैंने बैंक से हाफ-डे लीव ली है, अपने पति, आकाश, को भी बोला था हाफ-डे में ही घर आने के लिए। कारण उन्हें नहीं बताया था, बस बाद … Read more

गहने या सम्मान – विनिता मोहता

“ये कैसे गहने चडाए है तुम्हारे ससुराल वालों ने गहने कोई वजन ही नही है एकदम हल्के |” कहते हुए प्रीया की ताईजी ने उसके ससुराल से आया हुआ सोने का सेट साइड़ मे रखते हुए कहा| “अरे दीदी सोने का भाव पता है, क्या है ?ना हर किसी के बस की नही है की … Read more

पेंशन पार्ट 2 – अरुण कुमार अविनाश

ओल्ड ऐज होम!    सुमित्रा देवी विचारों के भंवर में डूब-उबर ही रही थी कि डोर बेल बजी – उठ कर उन्होंने दरवाज़ा खोला – निवेदिता थी। अगले एक घँटे में निवेदिता जल्दी-जल्दी तैयार हुई और स्कूल जाने के लिये घर से बाहर निकल गयी। इस समय सुबह के 09:15 हो रहें थे – निवेदिता … Read more

पेंशन पार्ट 1 – अरुण कुमार अविनाश

” माँजी , मैं सरला के यहाँ से पाँच मिनट में आ रही हूँ – आप डॉली को खाना खिला दीजियेगा।” – निवेदिता ने कहा और सास की सहमति या असहमति सुने बिना मेन गेट खोल कर फ्लैट से बाहर निकल गयी। डोर क्लोज़र की मदद से ऑटोमेटिक दरवाज़ा स्वतः बंद हो गया था। सरला … Read more

मदर्स डे-अमित भिमटे

राजीव अपने कमरे में कुछ सोचते हुए चहलकदमी कर रहा था, उसके चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। पास ही बैठी उसकी मां ने उससे पूछा “क्या हुआ बेटा कोई समस्या है क्या…? “।      “मां कल मदर्स डे है, आप तो जानती हो रिया और सिया दोनो हर साल मदर्स डे कितने अच्छे से … Read more

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