सूरज – भगवती सक्सेना गौर 
14 वर्षीय पोते सूरज की आवाज़ से नींद टूटी, “बाबा, उठिए, ब्रश करिए।” और 70 वर्षीय सत्येंद्र ने आंख खोली अब अपनी जिंदगी से हताश हो चुके सत्येंद्र पोते के लिए जीवित थे। वो जीना भी एक सजा ही मालूम होती थी. धरती नही समा पायी, तो बिस्तर ने ही अपने कब्जे में कर लिया। … Read more