वो झूला – सरला मेहता
राधिका अपने बेटे को झुलाते हुए अतीत में खो जाती है। पार्क,झूला व शाम, सब वही। बस कृष्णम के स्थान पर बेटा दिव्यम। इसी झूले पर एक हुए और बिछड़े भी। बस यही एक सहारा बचा ज़िन्दगी में। कैसे भुलाए उन लम्हों को। सहकर्मी कृष्णम के साथ उसकी सुहानी शामें यहीं बीतती थी। दोनों घण्टों … Read more