आजी – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

 मेरी नजर में….विशिष्ट  नारी    वैसे तो इस उम्र तक आते-आते अनेकों विशिष्ट स्त्रियों का सानिध्य प्यार मिला… जिसमें अनेक विदुषी थी… अपनी कार्यक्षेत्र की अग्रगणी … जिनपर मैंने अनेक बार लिखा भी है… लेकिन आज मेरे वाल्यकाल की स्मृति में एक नाम उभरकर आया है वह है….आजी।    आजी से हमारा कोई रक्त संबंध नहीं था … Read more

एक फैसला आत्मसम्मान के लिए – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

सम्मान समारोह में जब महिमा ने अपनी सफलता का श्रेय रोशनी को दिया, तबसे रोशनी के आंसू ही नहीं रुक रहे थे।जब सब काम निपटाकर कमरे में आई तो नींद उसकी आंखों से दूर भागकर उसे यादों के झरोखे में ले गई। रोशनी, कहने को दो बच्चों की मां, कमानेवाला पति, सास ससुर,ठीक ठाक सी … Read more

एक फैसला आत्म सम्मान के लिए – विनीता महक गोण्डवी : Moral Stories in Hindi

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  के सम्मान समारोह में वीमेन अचीवमेंट अवार्ड के लिए अर्पिता के नाम की घोषणा हो रही थी और अर्पिता अपने अतीत में खोई हुई थी मानो पूरा अतीत एक फिल्म की तरह से उसकी आंखों से गुजर रहा था।    अर्पिता के पिता पुलिस विभाग में एक आरक्षी के पद पर तैनात थे। … Read more

बड़ी बहु से बड़ी दादी तक का सफर – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

ऐसे ही नहीं बन जाती है कोई घर की बड़ी बहु। वर्षो के त्याग और तपस्या से प्राप्त होता है यह दर्जा। मेरे घर में बड़ी दादी एक रिश्ता नहीं रहकर एक नाम बन गया था। मैंने बचपन से सभी को उन्हें बड़ी दादी ही कहते सुना था। मै तो यह सोच भी नहीं सकता … Read more

ढलती उम्र – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

कल्पवास का आख़िरी दिन और अम्मा सोच रही है कि कैसे कहे बच्चों से कि जब वो लौटे तो उसके बच्चे भी वही करें जो वो अपनी सास के साथ करती थी ।अब भाई वो समय कुछ और था जब उसकी सास लौटती थी तो कितना उत्सव सा माहौल रहता था । कोई पकवान बना … Read more

एक मिसाल.. फर्क और फर्ज की – चांदनी खटवानी : Moral Stories in Hindi

इतनी सवेरे सवेरे आज फोन किया है भाई.. क्या बात है.. राजीव का फोन रिसीव करते ही वीणा के मुंह से निकला! वह.. थोड़ा रुक कर.. फोन पर नहीं बता सकता.. आज तो तेरी छुट्टी होगी ना.. टाइम निकाल कर घर आ जा! राजीव की आवाज में काफी संजीदगी थी.. उसने अनमने सारा काम निपटाया.. … Read more

घर टूटने पर हर बार बेटे-बहु को ही दोष क्यों दिया जाता है? – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

शाम को अपने दोस्त के घर से आने के बाद से ही मेरा बेटा कुछ उदास-उदास सा लग रहा था। उसकी आँखो को देखकर लग रहा था कि वह मुझसे कुछ कहना चाह रहा है पर कह नहीं पा रहा। रात के खाने तक उसकी चुप्पी मुझे खलने लगी। वह किशोरावस्था में था अतः मुझे … Read more

बेचैन मन – विनय मोहन सिंह : Moral Stories in Hindi

मनोहर एक छोटे से गांव में अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसके पिता की गांव में अपनी छोटी सी परचून की दुकान थी। जिसकी कम आमदनी से घर का खर्च बड़ी कठिनाई से चल रहा था। उसके माता-पिता ने मनोहर की शादी पास के ही गांव में एक साधारण परिवार में की थी। अब … Read more

चकरघिन्नी – डा.मंजु लता : Moral Stories in Hindi

चकरघिन्नी सब उसे पुकारते थे।  बचपन से वह चंचल स्वभाव की  थी। एक जगह कभी टिकती नहीं थी।कभी इधर तो कभी उधर।मुहल्ले का हर घर जैसे उसका अपना हो। और घर वाले सब दादी,नानी,काकी,दीदी,भैया,चाचा  चाचा होते थे।                    वह थी भी इतनी प्यारी कि उसकी नादानी भरी  हरकतों से भी कोई नाराज नहीं  होता था। ईश्वर … Read more

ढलती साँझ – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

आज बाबूजी कुछ ज्यादा ही सुबह उठ गये थे। बाहर वाले कमरे से लगातार खट-पट की आवाज आ रही थी। पता नहीं  इतनी सुबह -सुबह उठकर बाबूजी कमरे में क्या कर रहे हैं,देखती हूं जाकर। सुधा उठकर जाने लगी तो अजय ने टोका -“कहां जा रही हो? सो जाओ आराम से नींद हराम करने की … Read more

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