नफरत की दीवार – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

आज रमेश फूट-फूट कर रो रहा था,-बडे पापा, मैंने आपको क्या समझा और आप? क्या हुआ रमेश? क्यों रो रहे हो,-बडे पापा सिर पर हाथ फेरते हुए बोले। पापा आपने मेरी मां,पापा मेरे भाई को नहीं मारा था?-वह बिलखते हुए पूछा था। अरे वे मेरे परिवार थे, तुम्हारे पापा मेरा छोटा भाई था? भला मैं … Read more

एक माफी ने बिगड़ने से पहले रिश्ते सुधार दिए – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“दीदी आपका राजू मेरी बेटी सुहाना को हमेशा तंग करता रहता है । ये क्या बात हुई माना हमारे पास ज्यादा रुपया – पैसा नहीं है तो क्या हम और हमारा परिवार आपके गुलाम बन कर रहेंगे ” गुस्से में तमतमाई रिचा अपनी जेठानी गुंजन को भला-बुरा सुनाए जा रही थी। गुंजन सरल स्वभाव की … Read more

आंसू बन गए मोती – राजेश इसरानी : Moral Stories in Hindi

एक बार मैं जिंदगी से परेशान होकर शहर से भाग कर गांव आ गया। शहर की भागम भाग से और काम के तनाव से एवं शांति की कमी की वजह से मै थक चुका था।  रोज की बेजान दिनचर्या से ऊब चुका था मैं…. अभी दो वर्ष पहले ही माता पिता के मना करने के … Read more

ऑंसू बन गए मोती – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रजनी की शादी के कई साल बाद भी उसे मातृत्व का सुख नहीं मिला था और अब तो उसकी देवरानी गीता भी मां बनने वाली थी। रजनी खुश तो बहुत थी पर उसने अपने ही घर में अब सभी के नजरों को बदलते हुए महसूस करने लगी थी। काम काज करके दफ्तर निकल जाती और … Read more

ऑंसू बन गए मोती – विनीता महक गोण्डवी : Moral Stories in Hindi

अरे …… सुशीला तुम रोज रोज इतनी देर से क्यों आती हो….?  तुम तो जानती हो मुझे ऑफिस जाना है। सुशीला की मालकिन दिव्या ने कहा… सुशीला बिना कुछ कहे … जल्दी जल्दी काम में लग गई। दिव्या को लगा सुशीला कुछ परेशान हैं। दिव्या ने किचन में जाकर सुशीला से कहा…. क्या बात है … Read more

उपहार की कीमत नहीं दिल देखा जाता है। – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

कुसुम जी के तेवर में आज सख्ती थी।बहू रीत की मां ने सबके लिए कुछ उपहार स्वरूप कपड़े, मिठाइयां और लिफाफे भेजे थे क्योंकि रीत की पहली दीपावली थी। रीत ” तुम्हारी मां को हमारी हैसियत का बिल्कुल अंदाजा नहीं  है। ऐसे कपड़े हमलोग नहीं पहनते हैं, अगर देना है तो ढंग की चीजें भेजा … Read more

स्नेह का बंधन – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

राधा और गुंजन का खून का रिश्ता नहीं था लेकिन ऐसा रिश्ता था जो हर किसी के मन में चाहत लाता था कि काश! गुंजन जैसी बेटी ईश्वर सबको देता। गुंजन राधा के घर काम करने वाली सेविका की बेटी थी। बेटे की चाहत में जब चौथी बेटी के रूप में गुंजन का जन्म हुआ … Read more

सच्चे रिश्तों की पहचान – सीमा शर्मा : Moral Stories in Hindi

दीपक जी खाना खाकर कुछ देर आराम करने के लिए अपने कमरे में गए ही थे कि अचानक फोन की घंटी बज उठी। उन्होंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से उनके समधी शशिकांत जी की आवाज़ आई। उन्होंने कहा, “कल आपसे एक ज़रूरी मुलाकात करनी है।” यह सुनकर दीपक जी चिंतित हो गए, क्योंकि दो … Read more

खुशियों का रंग – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

 होली का त्यौहार आने वाला था । नीतू के पति रेलवे में बड़े अधिकारी थे, इसलिए उनके घर पर हर वर्ष होली पर लोगों की भीड़ इकठ्ठी हो जाती थी । नीतू एक हफ़्ते पहले से ही होली की तैयारी में जुट जाती थी । हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नीतू ने अपने … Read more

आपको तो अपनी बहू की अच्छाई के आगे कुछ दिखाती ही नहीं पड़ता है। – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

जैसे ही रीमा ने घर में कदम रखा । रिया ने सोफे पर पसरते हुए कहा,” भाभी जल्दी से चाय बना लो अब। तभी साथ बैठी, बुआ सास मालती बोली,” और हां पकौड़े भी बना लेना साथ। जी बुआ जी,” रीमा ने कहा। रीमा आज ऑफिस में बहुत थक गई थी, सर दर्द से भयंकर … Read more

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